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चम्बा , 07 सितम्बर, [ शिवानी ] ! चम्बा जिला में लगातार हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। जिले भर में जगह-जगह भूस्खलन के चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है और कई सड़कों पर यातायात ठप हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा की मार अब शीतला क्षेत्र में रावी नदी पर बने ऐतिहासिक लोहे के पुराने पुल पर भी पड़ी है, जो कभी इस इलाके की जीवनरेखा माना जाता था। शीतला पुल, जो लोहे की रस्सियों से बना एक पुराना झूला पुल है, आज भी सैकड़ों स्थानीय लोग इसे पार कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। हालांकि इसके पास ही एक नया फ्लाईओवर पुल भी बनाया गया है, लेकिन मंगला, शीतला और माई का बाग जैसे क्षेत्रों में जाने वाले लोग आज भी इस पुराने पुल पर भरोसा करते हैं। स्थानीय लोगो का कहना है कि यहां के दुकानदारों की इस पुल से आवाजाही जारी रहने के कारण उन्हें थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती है, लेकिन यदि यह पुल पूरी तरह से टूट गया, तो न सिर्फ आम लोगों को परेशानी होगी, बल्कि व्यापार और शिक्षा से जुड़ी गतिविधियाँ भी प्रभावित होंगी। बारिश के कारण रावी नदी में जलस्तर बढ़ने से पुराने पुल की एक ओर की सुरक्षा दीवार पूरी तरह गिर चुकी है और पुल को संभालने वाली लोहे की रस्सियाँ भी अब टूटने की कगार पर हैं। यदि ये रस्सियाँ भी टूटती हैं, तो यह पुल पूरी तरह से धराशायी हो जाएगा, जिससे लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है। स्थानीय लोगों ने अपनी चिंता और भावनात्मक जुड़ाव जाहिर किया है। उनका कहना है कि यह पुल न केवल एक साधन है, बल्कि उनकी यादों और रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा भी है। उनका मानना है कि यह पुराना पुल नए बने फ्लाईओवर को भी तेज बहाव से अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और सरकार से इस पुल की मरम्मत और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस पुल को संरक्षित नहीं किया गया, तो भविष्य में एक बड़ा हादसा हो सकता है।
चम्बा , 07 सितम्बर, [ शिवानी ] ! चम्बा जिला में लगातार हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। जिले भर में जगह-जगह भूस्खलन के चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है और कई सड़कों पर यातायात ठप हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा की मार अब शीतला क्षेत्र में रावी नदी पर बने ऐतिहासिक लोहे के पुराने पुल पर भी पड़ी है, जो कभी इस इलाके की जीवनरेखा माना जाता था।
शीतला पुल, जो लोहे की रस्सियों से बना एक पुराना झूला पुल है, आज भी सैकड़ों स्थानीय लोग इसे पार कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। हालांकि इसके पास ही एक नया फ्लाईओवर पुल भी बनाया गया है, लेकिन मंगला, शीतला और माई का बाग जैसे क्षेत्रों में जाने वाले लोग आज भी इस पुराने पुल पर भरोसा करते हैं।
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स्थानीय लोगो का कहना है कि यहां के दुकानदारों की इस पुल से आवाजाही जारी रहने के कारण उन्हें थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती है, लेकिन यदि यह पुल पूरी तरह से टूट गया, तो न सिर्फ आम लोगों को परेशानी होगी, बल्कि व्यापार और शिक्षा से जुड़ी गतिविधियाँ भी प्रभावित होंगी।
बारिश के कारण रावी नदी में जलस्तर बढ़ने से पुराने पुल की एक ओर की सुरक्षा दीवार पूरी तरह गिर चुकी है और पुल को संभालने वाली लोहे की रस्सियाँ भी अब टूटने की कगार पर हैं। यदि ये रस्सियाँ भी टूटती हैं, तो यह पुल पूरी तरह से धराशायी हो जाएगा, जिससे लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है।
स्थानीय लोगों ने अपनी चिंता और भावनात्मक जुड़ाव जाहिर किया है। उनका कहना है कि यह पुल न केवल एक साधन है, बल्कि उनकी यादों और रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा भी है। उनका मानना है कि यह पुराना पुल नए बने फ्लाईओवर को भी तेज बहाव से अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और सरकार से इस पुल की मरम्मत और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस पुल को संरक्षित नहीं किया गया, तो भविष्य में एक बड़ा हादसा हो सकता है।
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