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शिमला , 07 सितंबर [ शिवानी ] ! दिनांक 3 सितम्बर 2025 की देर रात भारी वर्षा के कारण हिमाचल प्रदेश की तहसील रोहड़ू के अंतर्गत ग्राम भलूण-कैंची में एक दुखद हादसा घटित हुआ। इस प्राकृतिक आपदा में ग्रामवासी श्री रमेश चन्द मेहता का दो मंज़िला मकान पूरी तरह से ढह गया। वे स्वयं इसी मकान में निवास करते थे और यहीं अपने परिवार सहित जीवन यापन कर रहे थे। इस हादसे के चलते वे बेघर हो गए हैं तथा उनके सामने आजीविका और रहने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। यह अत्यंत खेद का विषय है कि घटना घटित होने के कई दिन बीत जाने के पश्चात भी न तो पंचायत प्रतिनिधि, न ही प्रशासनिक अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि मौके पर पहुँचा है। प्रभावित परिवार को अभी तक किसी भी प्रकार की राहत सामग्री, अस्थायी आवास या आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है। यह प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। हम सरकार, प्रशासन तथा संबंधित विभागों से पुरज़ोर मांग करते हैं कि: 1. प्रभावित परिवार को तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध करवाई जाए। 2. अस्थायी आवास की व्यवस्था की जाए। 3. उचित एवं पर्याप्त मुआवज़ा (आर्थिक सहायता राशि) प्रदान की जाए। 4. भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने हेतु प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर आवश्यक कदम उठाए जाएं। हम यह भी कहना चाहते हैं कि आपदा की घड़ी में प्रशासन व सरकार का दायित्व है कि वह शीघ्रता से पीड़ित परिवार तक पहुँचे और उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराए।
शिमला , 07 सितंबर [ शिवानी ] ! दिनांक 3 सितम्बर 2025 की देर रात भारी वर्षा के कारण हिमाचल प्रदेश की तहसील रोहड़ू के अंतर्गत ग्राम भलूण-कैंची में एक दुखद हादसा घटित हुआ। इस प्राकृतिक आपदा में ग्रामवासी श्री रमेश चन्द मेहता का दो मंज़िला मकान पूरी तरह से ढह गया। वे स्वयं इसी मकान में निवास करते थे और यहीं अपने परिवार सहित जीवन यापन कर रहे थे। इस हादसे के चलते वे बेघर हो गए हैं तथा उनके सामने आजीविका और रहने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
यह अत्यंत खेद का विषय है कि घटना घटित होने के कई दिन बीत जाने के पश्चात भी न तो पंचायत प्रतिनिधि, न ही प्रशासनिक अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि मौके पर पहुँचा है। प्रभावित परिवार को अभी तक किसी भी प्रकार की राहत सामग्री, अस्थायी आवास या आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है। यह प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है।
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हम सरकार, प्रशासन तथा संबंधित विभागों से पुरज़ोर मांग करते हैं कि:
1. प्रभावित परिवार को तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध करवाई जाए।
2. अस्थायी आवास की व्यवस्था की जाए।
3. उचित एवं पर्याप्त मुआवज़ा (आर्थिक सहायता राशि) प्रदान की जाए।
4. भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने हेतु प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर आवश्यक कदम उठाए जाएं।
हम यह भी कहना चाहते हैं कि आपदा की घड़ी में प्रशासन व सरकार का दायित्व है कि वह शीघ्रता से पीड़ित परिवार तक पहुँचे और उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराए।
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