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सोलन , 08 अगस्त [ विशाल सूद ] ! छैला रोड पर माई पुल के समीप आज एक भयावह घटना ने ग्रामीणों की सांसें थाम दीं। अचानक पहाड़ से गिरी विशालकाय चट्टानें एक पिकअप पर इस कदर बरसीं कि गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि चालक चमत्कारिक रूप से सुरक्षित बच गया, जिसे गांववासी दैवीय कृपा मान रहे हैं।लेकिन सवाल यह है कि क्या हम हर बार चमत्कार की उम्मीद पर जिंदा रहेंगे? इस खस्ता हाल सड़क पर आए दिन हादसे हो रहे हैं, अब ऊपर से पत्थरों का कहर भी जुड़ गया है। खतरा सिर पर मंडरा रहा है, पर नेताओं की कुर्सियां इस खतरे से अछूती हैं और वह टांग पर टांग रख कर कुम्भकर्णी नींद सो रहे है ।न सांसद की नजर, न विधायक को कोई फिक्र है – इलाके के लोग अपने हाल पर छोड़ दिए गए हैं। विकास शब्द अब यहां के लोगों के लिए एक भूली-बिसरी कहानी बन चुका है। जनता का रोष चरम पर है, लेकिन सत्ता के गलियारों में शायद अभी नींद गहरी है। अगर यह नींद नहीं टूटी, तो अगली बार कोई चालक इतना भाग्यशाली होगा इस बात की कोई गारंटी नहीं है ।
सोलन , 08 अगस्त [ विशाल सूद ] ! छैला रोड पर माई पुल के समीप आज एक भयावह घटना ने ग्रामीणों की सांसें थाम दीं। अचानक पहाड़ से गिरी विशालकाय चट्टानें एक पिकअप पर इस कदर बरसीं कि गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि चालक चमत्कारिक रूप से सुरक्षित बच गया, जिसे गांववासी दैवीय कृपा मान रहे हैं।लेकिन सवाल यह है कि क्या हम हर बार चमत्कार की उम्मीद पर जिंदा रहेंगे?
इस खस्ता हाल सड़क पर आए दिन हादसे हो रहे हैं, अब ऊपर से पत्थरों का कहर भी जुड़ गया है। खतरा सिर पर मंडरा रहा है, पर नेताओं की कुर्सियां इस खतरे से अछूती हैं और वह टांग पर टांग रख कर कुम्भकर्णी नींद सो रहे है ।न सांसद की नजर, न विधायक को कोई फिक्र है – इलाके के लोग अपने हाल पर छोड़ दिए गए हैं।
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विकास शब्द अब यहां के लोगों के लिए एक भूली-बिसरी कहानी बन चुका है। जनता का रोष चरम पर है, लेकिन सत्ता के गलियारों में शायद अभी नींद गहरी है। अगर यह नींद नहीं टूटी, तो अगली बार कोई चालक इतना भाग्यशाली होगा इस बात की कोई गारंटी नहीं है ।
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