महापौर ने दोहराई वन संरक्षण की एवज में केंद्र से एड की मांग
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शिमला , 29 जुलाई [ विशाल सूद ] ! शिमला नगर निगम की ओर से राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है. शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने ख़ुद इस अभियान की अगवाई की. शिमला में एक सप्ताह तक यह पौधरोपण अभियान चलेगा. इस दौरान सुरेन्द्र चौहान ने एक बार फ़िर प्रदेश को वन संरक्षण के लिए स्पेशल एड देने की मांग दोहराई. सुरेंद्र चौहान ने कहा कि हिमाचल को वन संरक्षण के लिए विकासात्मक कार्यों के साथ समझौता करना पड़ता है ऐसे में केंद्र को इस आवाज में प्रदेश को अतिरिक्त आर्थिक मदद देनी चाहिए. शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत शिमला में पौधरोपण पखवाड़ा बनाया जा रहा है. शिमला नगर निगम खुद इस पौधारोपण अभियान में हिस्सा ले रहा है. इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं का भी नगर निगम को साथ मिल रहा है. महापौर ने कहा कि प्रदेश में बड़ा क्षेत्र वन भूमि है. ऐसे में 1982 का फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट और 1994 के अधिनियम के चलते यहां विकासात्मक कार्यों को करने में प्रदेश को समझौता करना पड़ता है. ऐसे में वन संरक्षण के लिए केंद्र सरकार को प्रदेश को अधिक आर्थिक मदद देनी चाहिए. उन्होंने केंद्र के समक्ष भी यह मांग उठाई थी. लिहाज़ा केंद्र सरकार को पहाड़ी राज्यों को संतुलित विकास के लिए ग्रीन ऐड देनी चाहिए.
शिमला , 29 जुलाई [ विशाल सूद ] ! शिमला नगर निगम की ओर से राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है. शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने ख़ुद इस अभियान की अगवाई की. शिमला में एक सप्ताह तक यह पौधरोपण अभियान चलेगा. इस दौरान सुरेन्द्र चौहान ने एक बार फ़िर प्रदेश को वन संरक्षण के लिए स्पेशल एड देने की मांग दोहराई.
सुरेंद्र चौहान ने कहा कि हिमाचल को वन संरक्षण के लिए विकासात्मक कार्यों के साथ समझौता करना पड़ता है ऐसे में केंद्र को इस आवाज में प्रदेश को अतिरिक्त आर्थिक मदद देनी चाहिए. शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत शिमला में पौधरोपण पखवाड़ा बनाया जा रहा है.
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शिमला नगर निगम खुद इस पौधारोपण अभियान में हिस्सा ले रहा है. इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं का भी नगर निगम को साथ मिल रहा है. महापौर ने कहा कि प्रदेश में बड़ा क्षेत्र वन भूमि है. ऐसे में 1982 का फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट और 1994 के अधिनियम के चलते यहां विकासात्मक कार्यों को करने में प्रदेश को समझौता करना पड़ता है. ऐसे में वन संरक्षण के लिए केंद्र सरकार को प्रदेश को अधिक आर्थिक मदद देनी चाहिए. उन्होंने केंद्र के समक्ष भी यह मांग उठाई थी. लिहाज़ा केंद्र सरकार को पहाड़ी राज्यों को संतुलित विकास के लिए ग्रीन ऐड देनी चाहिए.
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