चिन्हित फीडिंग पॉइंट पर लावारिस कुत्तों को दे सकेंगे खाना,नही तो भरना होगा भारी भरकम जुर्माना
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शिमला , 23 अगस्त [ विशाल सूद ] ! राजधानी में लोगों को हमलावर कुत्तों की अब दूर से पहचान हो सकेगी। नगर निगम ने ऐसे लावारिस कुत्तों के गले में लाल रंग का कॉलर यानि पट्टा लगाने का अभियान आरंभ कर दिया है। खतरे का निशान लाल रंग का कॉलर देखकर लोग दूर से ही जान जाएंगे कि यह कुत्ता हमला कर सकता है। इससे लोग सावधान रहेंगे और बचाव किया जा सकेगा। बाकी लावारिस कुत्तों के गले में हरे-नीले और अन्य रंगों के कॉलर लगाए जा रहे हैं। लाल रंग के कॉलर पट्टे सिर्फ उन्हीं कुत्तों को लगाए जा रहे हैं जो कई बार लोगों को काट चुके हैं जिनकी प्रवर्ति काटने की है । नगर निगम ऐसे लावारिस कुत्तों को चिह्नित कर कॉलर पट्टे लगा रहा है। शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने आज शनिवार को रिज मैदान से लावारिस कुत्ते के गले में कॉलर लगाकर इस अभियान की शुरुआत कर दी है । इस अभियान में मदद कर रही संस्था की टीमें आज शनिवार से वार्डाें में जाकर कुत्तों में यह कॉलर लगाने का काम शुरू कर देगी। शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि यह अभियान 15 अगस्त से आरंभ हुआ था और 29 अगस्त तक चलेगा इस 14 दिन के अभियान में लावारिस कुत्तों की वैक्सीनेशन कर टैगिंग की जाएगी ।आज लावारिस कुत्ते को कॉलर पहनाया गया है जिसकी एंटी रेबिस वैक्सीनेशन हो गयी है। उसके गले मे क्यू आर कोड भी है जिसको स्कैन करने से कुत्ते की पूरी डिटेल आ जायेगी की कुत्ते की वैक्सीनेशन हुई है या नही।इस अभियान से एक फायदा यह होगा कि पूरे शहर में लावारिस कुत्ता की गणना हो जाएगी साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि कितने कुत्तों की वैक्सीनेशन हुई है।विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि इस अभियान के अंर्तगत स्कूलों में भी बच्चों को लावारिस कुत्तों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि अभियान का बहुत लाभ होगा क्योंकि कुत्ते के काटने से लोगों को बहुत नुकसान होता था। उन्होंने कहा कि शिमला देश का पहला नगर निगम है जहां पर ऐसे अभियान की शुरुआत की गई है । नगर निगम शिमला ने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग से 2 वर्ष पहले ही कार्य आरंभ कर दिया है। आने वाले समय में इससे पापुलेशन को कम करने में भी मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि लावारिस कुत्तों को सौ प्रतिशत स्टेरलाइजेशन करने का मकसद है । नगर निगम के साथ लगती 17 पंचायतें है जिसका असर शिमला शहर में भी पड़ता है। इसलिए इस बाबत मुख्यमंत्री, मंत्री व उस विधानसभा से संबंधित प्रतिनिधियों से भी बात की जाएगी कि वहां पर भी इस प्रकार का स्टेरलाइजेशन कार्यक्रम आरंभ किया जाए। महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि शहर में फीडिंग ज़ोन चिन्हित किए जाएंगे।अगर इन फीडिंग पॉइंट के अतिरिक्त कोई व्यक्ति लावारिस कुत्तों को खाने की वस्तु देगा तो उसे भारी भरकम जुर्माना लगेगा। लावारिस कुत्तों को लगने वाले कॉलर में क्यूआर कोड वाले स्मार्ट टैग भी लगाए जा रहे हैं। इससे कुत्ते की उम्र, सेहत, क्षेत्र, नसबंदी और एंटी रैबीज के टीकाकरण संबंधी जानकारी मिलेगी। शिमला शहर में कुल कितने लावारिस कुत्ते हैं। इस माह के अंत तक पता लग जाएगा कि शहर में कुल कितने लावारिस कुत्ते हैं। इस क्यू आर कोड कोड को स्कैन करते ही कुत्ते की पूरी डिटेल उपलब्ध हो जाएगी।
शिमला , 23 अगस्त [ विशाल सूद ] ! राजधानी में लोगों को हमलावर कुत्तों की अब दूर से पहचान हो सकेगी। नगर निगम ने ऐसे लावारिस कुत्तों के गले में लाल रंग का कॉलर यानि पट्टा लगाने का अभियान आरंभ कर दिया है।
खतरे का निशान लाल रंग का कॉलर देखकर लोग दूर से ही जान जाएंगे कि यह कुत्ता हमला कर सकता है। इससे लोग सावधान रहेंगे और बचाव किया जा सकेगा। बाकी लावारिस कुत्तों के गले में हरे-नीले और अन्य रंगों के कॉलर लगाए जा रहे हैं। लाल रंग के कॉलर पट्टे सिर्फ उन्हीं कुत्तों को लगाए जा रहे हैं जो कई बार लोगों को काट चुके हैं जिनकी प्रवर्ति काटने की है ।
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नगर निगम ऐसे लावारिस कुत्तों को चिह्नित कर कॉलर पट्टे लगा रहा है। शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने आज शनिवार को रिज मैदान से लावारिस कुत्ते के गले में कॉलर लगाकर इस अभियान की शुरुआत कर दी है । इस अभियान में मदद कर रही संस्था की टीमें आज शनिवार से वार्डाें में जाकर कुत्तों में यह कॉलर लगाने का काम शुरू कर देगी।
शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि यह अभियान 15 अगस्त से आरंभ हुआ था और 29 अगस्त तक चलेगा इस 14 दिन के अभियान में लावारिस कुत्तों की वैक्सीनेशन कर टैगिंग की जाएगी ।आज लावारिस कुत्ते को कॉलर पहनाया गया है जिसकी एंटी रेबिस वैक्सीनेशन हो गयी है।
उसके गले मे क्यू आर कोड भी है जिसको स्कैन करने से कुत्ते की पूरी डिटेल आ जायेगी की कुत्ते की वैक्सीनेशन हुई है या नही।इस अभियान से एक फायदा यह होगा कि पूरे शहर में लावारिस कुत्ता की गणना हो जाएगी साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि कितने कुत्तों की वैक्सीनेशन हुई है।विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि इस अभियान के अंर्तगत स्कूलों में भी बच्चों को लावारिस कुत्तों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि अभियान का बहुत लाभ होगा क्योंकि कुत्ते के काटने से लोगों को बहुत नुकसान होता था। उन्होंने कहा कि शिमला देश का पहला नगर निगम है जहां पर ऐसे अभियान की शुरुआत की गई है । नगर निगम शिमला ने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग से 2 वर्ष पहले ही कार्य आरंभ कर दिया है।
आने वाले समय में इससे पापुलेशन को कम करने में भी मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि लावारिस कुत्तों को सौ प्रतिशत स्टेरलाइजेशन करने का मकसद है । नगर निगम के साथ लगती 17 पंचायतें है जिसका असर शिमला शहर में भी पड़ता है। इसलिए इस बाबत मुख्यमंत्री, मंत्री व उस विधानसभा से संबंधित प्रतिनिधियों से भी बात की जाएगी कि वहां पर भी इस प्रकार का स्टेरलाइजेशन कार्यक्रम आरंभ किया जाए।
महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि शहर में फीडिंग ज़ोन चिन्हित किए जाएंगे।अगर इन फीडिंग पॉइंट के अतिरिक्त कोई व्यक्ति लावारिस कुत्तों को खाने की वस्तु देगा तो उसे भारी भरकम जुर्माना लगेगा।
लावारिस कुत्तों को लगने वाले कॉलर में क्यूआर कोड वाले स्मार्ट टैग भी लगाए जा रहे हैं। इससे कुत्ते की उम्र, सेहत, क्षेत्र, नसबंदी और एंटी रैबीज के टीकाकरण संबंधी जानकारी मिलेगी। शिमला शहर में कुल कितने लावारिस कुत्ते हैं। इस माह के अंत तक पता लग जाएगा कि शहर में कुल कितने लावारिस कुत्ते हैं। इस क्यू आर कोड कोड को स्कैन करते ही कुत्ते की पूरी डिटेल उपलब्ध हो जाएगी।
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