बोले लेबर कोड बंधुआ मजदूरी और गुलामी को करेंगे स्थापित।
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शिमला , 26 नवंबर [ विशाल सूद ] ! सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार नए लेबर कोड के खिलाफ बुधवार को शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया। संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ता पंचायत भवन से रैली निकालते हुए लोअर बाजार होते हुए उपायुक्त कार्यालय के बाहर पहुंचे। यहां मजदूरों ने लेबर कोड के विरोध में नारेबाजी की और केंद्र सरकार से इन्हें वापिस लेने की मांग उठाई। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मजदूर विरोधी लेबर कोड का राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक विरोध हो रहा है। मेहरा ने केंद्र सरकार के चारों लेबर कोड को मजदूर विरोधी करार देते हुए इन्हें तत्काल निरस्त करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि ये कोड मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों, सुरक्षा, वेतन और सामाजिक सुरक्षा को कमजोर करते हैं तथा श्रम कानूनों को पूंजीपति वर्ग के हित में पुनर्गठित करने की कोशिश हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नए लेबर कोड लागू होने से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के मजदूरों पर ठेका, कॉन्ट्रैक्ट और अस्थायी रोजगार का बोझ और बढ़ेगा। ट्रेड यूनियन गतिविधियों पर भी अंकुश लगाने की स्थिति पैदा होगी और श्रम कल्याण की मौजूदा संरचना संकुचित होती जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने लेबर कोड वापस नहीं लिए तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।
शिमला , 26 नवंबर [ विशाल सूद ] ! सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार नए लेबर कोड के खिलाफ बुधवार को शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया। संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ता पंचायत भवन से रैली निकालते हुए लोअर बाजार होते हुए उपायुक्त कार्यालय के बाहर पहुंचे। यहां मजदूरों ने लेबर कोड के विरोध में नारेबाजी की और केंद्र सरकार से इन्हें वापिस लेने की मांग उठाई।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मजदूर विरोधी लेबर कोड का राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक विरोध हो रहा है। मेहरा ने केंद्र सरकार के चारों लेबर कोड को मजदूर विरोधी करार देते हुए इन्हें तत्काल निरस्त करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि ये कोड मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों, सुरक्षा, वेतन और सामाजिक सुरक्षा को कमजोर करते हैं तथा श्रम कानूनों को पूंजीपति वर्ग के हित में पुनर्गठित करने की कोशिश हैं।
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उन्होंने आरोप लगाया कि नए लेबर कोड लागू होने से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के मजदूरों पर ठेका, कॉन्ट्रैक्ट और अस्थायी रोजगार का बोझ और बढ़ेगा। ट्रेड यूनियन गतिविधियों पर भी अंकुश लगाने की स्थिति पैदा होगी और श्रम कल्याण की मौजूदा संरचना संकुचित होती जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने लेबर कोड वापस नहीं लिए तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।
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