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शिमला, 3 सितंबर [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला में “आधुनिक हिंदी साहित्य और भारतीयता” विषयक द्विवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ आज प्रातः संस्थान के संगोष्ठी सभागार में हुआ। उद्घाटन सत्र में संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय ने स्वागत एवं विषय-प्रस्तुति दी। बीज-वक्तव्य पं. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने दिया, जबकि समारोह की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल शिक्षण-प्रशिक्षण विश्वविद्यालय, कोलकाता की कुलपति प्रो. सोमा बंदोपाध्याय ने की। सत्र के अंत में श्री मेहर चंद नेगी, सचिव, आईआईएएस ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी का केंद्रीय फोकस आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतीयता की वैचारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अभिव्यक्तियों का बहुआयामी अध्ययन है। अवधारणा-पत्र के अनुसार यह विमर्श भारतीय भाषाओं में निहित सांस्कृतिक अंतःसूत्रता, भारतीय मानस की भावात्मक एकता तथा राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना के विविध आयामों को रेखांकित करता है। संगोष्ठी के उद्देश्यों में भारतीय अस्मिता के पोषक तत्वों की पहचान, भारत-बोध के स्वरों का मूल्यांकन, तथा साहित्य-चिंतन की आधुनिक परंपरा में भारतीय जीवन-दृष्टि का उद्घाटन प्रमुख हैं। पहला दिन (3 सितंबर): उद्घाटन के बाद तीन अकादमिक सत्र प्रस्तावित हैं। प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. गिरीश्वर मिश्र (पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय) द्वारा होगी, जिसमें प्रो. विजय कुमार रोड़े और प्रो. अखिलेश शंखधर ‘आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतीय सांस्कृतिक अवबोध’ तथा ‘आधुनिकता, भारतीयता और अज्ञेय’ जैसे विषयों पर विचार रखेंगे। इसके उपरांत दूसरे सत्र में प्रो. आलोक गुप्त की अध्यक्षता में प्रो. सर्वेश सिंह और प्रो. वीरपाल सिंह यादव ‘सामाजिक उत्थान की चिंता’ तथा ‘कथाभाषा और भारतीयता’ पर केंद्रित व्याख्यान देंगे। तृतीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. शिव प्रसाद शुक्ला करेंगे, जिसमें प्रो. विजय कुमार प्रधान, डॉ. गिरजा शंकर गौतम और डॉ. रामप्रवेश रजक भारतीय जीवन-मूल्य, नवजागरण-संवहन और राष्ट्रबोध से संबद्ध विषयों पर विशेष वक्तव्य देंगे। दूसरा दिन (4 सितंबर): चौथे सत्र की अध्यक्षता प्रो. सोमा बंदोपाध्याय करेंगी, जिसमें प्रो. राजेश कुमार गर्ग और डॉ. सुनील कुमार ‘मानस’ भारत-बोध एवं काव्य में भारतीय चिंतन के कलात्मक भावों पर अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। पंचम सत्र प्रो. बृजेंद्र पाण्डेय की अध्यक्षता में होगा, जिसमें डॉ. मनोज कुमार राय और डॉ. प्रफुल्ल कुमार आधुनिकता-भारतीयता की अवधारणाओं पर विमर्श करेंगे। षष्ठम सत्र की अध्यक्षता प्रो. विनोद मिश्र करेंगे; वक्ताओं में डॉ. विनम्र सेन सिंह, डॉ. अनुराग त्रिपाठी और डॉ. अपर्णा दीक्षित शामिल हैं, जो आधुनिक कविता में राष्ट्रीयता, सांस्कृतिक अवबोध और साहित्य में भारतीयता के संवहन पर केंद्रित रहेंगे। समापन सत्र 4 सितंबर की अपराह्न में आईआईएएस के निदेशक प्रो. हिमांशु कुमार चतुर्वेदी की अध्यक्षता में होगा, जिसमें प्रो. अंबिकादत्त शर्मा समापन भाषण देंगे तथा संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे। अवधारणा-पत्र में उल्लिखित उप-विषयों—भारतीयता की अवधारणा, आधुनिकता की संकल्पना, राष्ट्रीयता के स्वर, सामाजिक उत्थान की चिंता, साहित्य में भारत-बोध आदि—पर केंद्रित विचार-विमर्श के माध्यम से संगोष्ठी का लक्ष्य भारतीय मूल्य-चेतना और राष्ट्रीय अस्मिता की व्यापक समझ विकसित करना है।
शिमला, 3 सितंबर [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला में “आधुनिक हिंदी साहित्य और भारतीयता” विषयक द्विवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ आज प्रातः संस्थान के संगोष्ठी सभागार में हुआ। उद्घाटन सत्र में संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय ने स्वागत एवं विषय-प्रस्तुति दी। बीज-वक्तव्य पं. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने दिया, जबकि समारोह की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल शिक्षण-प्रशिक्षण विश्वविद्यालय, कोलकाता की कुलपति प्रो. सोमा बंदोपाध्याय ने की। सत्र के अंत में श्री मेहर चंद नेगी, सचिव, आईआईएएस ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
संगोष्ठी का केंद्रीय फोकस आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतीयता की वैचारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अभिव्यक्तियों का बहुआयामी अध्ययन है। अवधारणा-पत्र के अनुसार यह विमर्श भारतीय भाषाओं में निहित सांस्कृतिक अंतःसूत्रता, भारतीय मानस की भावात्मक एकता तथा राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना के विविध आयामों को रेखांकित करता है। संगोष्ठी के उद्देश्यों में भारतीय अस्मिता के पोषक तत्वों की पहचान, भारत-बोध के स्वरों का मूल्यांकन, तथा साहित्य-चिंतन की आधुनिक परंपरा में भारतीय जीवन-दृष्टि का उद्घाटन प्रमुख हैं।
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पहला दिन (3 सितंबर): उद्घाटन के बाद तीन अकादमिक सत्र प्रस्तावित हैं। प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. गिरीश्वर मिश्र (पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय) द्वारा होगी, जिसमें प्रो. विजय कुमार रोड़े और प्रो. अखिलेश शंखधर ‘आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतीय सांस्कृतिक अवबोध’ तथा ‘आधुनिकता, भारतीयता और अज्ञेय’ जैसे विषयों पर विचार रखेंगे। इसके उपरांत दूसरे सत्र में प्रो. आलोक गुप्त की अध्यक्षता में प्रो. सर्वेश सिंह और प्रो. वीरपाल सिंह यादव ‘सामाजिक उत्थान की चिंता’ तथा ‘कथाभाषा और भारतीयता’ पर केंद्रित व्याख्यान देंगे। तृतीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. शिव प्रसाद शुक्ला करेंगे, जिसमें प्रो. विजय कुमार प्रधान, डॉ. गिरजा शंकर गौतम और डॉ. रामप्रवेश रजक भारतीय जीवन-मूल्य, नवजागरण-संवहन और राष्ट्रबोध से संबद्ध विषयों पर विशेष वक्तव्य देंगे।
दूसरा दिन (4 सितंबर): चौथे सत्र की अध्यक्षता प्रो. सोमा बंदोपाध्याय करेंगी, जिसमें प्रो. राजेश कुमार गर्ग और डॉ. सुनील कुमार ‘मानस’ भारत-बोध एवं काव्य में भारतीय चिंतन के कलात्मक भावों पर अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। पंचम सत्र प्रो. बृजेंद्र पाण्डेय की अध्यक्षता में होगा, जिसमें डॉ. मनोज कुमार राय और डॉ. प्रफुल्ल कुमार आधुनिकता-भारतीयता की अवधारणाओं पर विमर्श करेंगे। षष्ठम सत्र की अध्यक्षता प्रो. विनोद मिश्र करेंगे; वक्ताओं में डॉ. विनम्र सेन सिंह, डॉ. अनुराग त्रिपाठी और डॉ. अपर्णा दीक्षित शामिल हैं, जो आधुनिक कविता में राष्ट्रीयता, सांस्कृतिक अवबोध और साहित्य में भारतीयता के संवहन पर केंद्रित रहेंगे।
समापन सत्र 4 सितंबर की अपराह्न में आईआईएएस के निदेशक प्रो. हिमांशु कुमार चतुर्वेदी की अध्यक्षता में होगा, जिसमें प्रो. अंबिकादत्त शर्मा समापन भाषण देंगे तथा संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे। अवधारणा-पत्र में उल्लिखित उप-विषयों—भारतीयता की अवधारणा, आधुनिकता की संकल्पना, राष्ट्रीयता के स्वर, सामाजिक उत्थान की चिंता, साहित्य में भारत-बोध आदि—पर केंद्रित विचार-विमर्श के माध्यम से संगोष्ठी का लक्ष्य भारतीय मूल्य-चेतना और राष्ट्रीय अस्मिता की व्यापक समझ विकसित करना है।
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