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चम्बा , 08 जुलाई [ शिवानी ] ! खून से लतपत बेजुबान मवेशियों की इस दयनीय दुर्दशा के लिए कोन कोन जिम्मेदार है। जी हां हम बात कर रहे है अपने समाज के उन लोगों की जो केवल बेजुबान जानवरों को तब तक अपने पास रखते है जब वह जानवर उनके लिए फायदे का सौदा होते है,पर जब वही जानवर किसी बीमारी से पीड़ित हो जाता है तो उसको उसी दयनीय हालत में सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है। खून से लटपत यह बैल जिसके शरीर पर हर जगह बड़े बड़े मस्से और उन्ही मस्सों से निकलता बेशुमार खून जिसको देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए पर कई दिनों से इस दयनिय हालत में फिर रहा यह बैल जिंदगी और मौत की जंग लड़ने को मजबूर है। यह तस्वीरे डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली डलहौजी क्षेत्र के बनीखेत पद्दर की है। एक ऐसा गौवंश जो ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जो उसे दिन प्रतिदिन अपना शिकार बनाती जा रही है। बता दे उसके शरीर पर ऐसे मस्से हैं जो बढ़ रहे हैं जिससे बैल का मुंह अथवा टांगे पूर्ण रूप से इन मस्सों से ढक चुकी है और इसे खून बह रहा है। अब गोवंश तिल तिल कर मरने को मजबूर है। जब इस बीमारी को लेकर एक ग्रामीण से पूछा गया तो उनका कहना था की खरडू नामक यह बिमारी पिछले साल भी हुई थी और इस बीमारी से हम ग्रामीण लोगों का बहुत माल मर गया था। इनका कहना है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है अगर समय पर इसकी रोकथाम कर ली जाए तो थोड़ी बहुत इस बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है। हालंकि यह बीमारी काफी गंभीर है और क्या इसका कोई उचित इलाज है भी या नहीं इसके लिए हमारी टीम पशु चिकित्सालय पहुंची और वहां बैठे असिस्टेंट डायरेक्टर प्रोजेक्ट्स गौरव महाजन ने बताया कि इस बीमारी का नाम बट्स है जिसको की हमारी देसी भाषा में मोहके कहा जाता है,यह ज्यादातर दोगली नस्ल के जानवरो में देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि यह ज्यादातर चमड़ी का रोग है जिसको ठहरा हुआ डिनाइंग केंसर भी कहा जाता है और यह रोग एक दूसरे में नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि इसका इलाज संभव है और अगर हफ्ते में एक दिन की छोड़कर लगातार इसके इंजेक्शन लगाए जाय तो यह रोग समाप्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत एक छोटे से मस्से के रूप से होती है और अगर इसका शुरू में ही ठीक से ध्यान नहीं रखा जाता है तो यह रोग बहुत जल्दी पूरी चमड़ी में फैल जाता है।
चम्बा , 08 जुलाई [ शिवानी ] ! खून से लतपत बेजुबान मवेशियों की इस दयनीय दुर्दशा के लिए कोन कोन जिम्मेदार है। जी हां हम बात कर रहे है अपने समाज के उन लोगों की जो केवल बेजुबान जानवरों को तब तक अपने पास रखते है जब वह जानवर उनके लिए फायदे का सौदा होते है,पर जब वही जानवर किसी बीमारी से पीड़ित हो जाता है तो उसको उसी दयनीय हालत में सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है।
खून से लटपत यह बैल जिसके शरीर पर हर जगह बड़े बड़े मस्से और उन्ही मस्सों से निकलता बेशुमार खून जिसको देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए पर कई दिनों से इस दयनिय हालत में फिर रहा यह बैल जिंदगी और मौत की जंग लड़ने को मजबूर है।
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यह तस्वीरे डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली डलहौजी क्षेत्र के बनीखेत पद्दर की है। एक ऐसा गौवंश जो ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जो उसे दिन प्रतिदिन अपना शिकार बनाती जा रही है। बता दे उसके शरीर पर ऐसे मस्से हैं जो बढ़ रहे हैं जिससे बैल का मुंह अथवा टांगे पूर्ण रूप से इन मस्सों से ढक चुकी है और इसे खून बह रहा है। अब गोवंश तिल तिल कर मरने को मजबूर है। जब इस बीमारी को लेकर एक ग्रामीण से पूछा गया तो उनका कहना था की खरडू नामक यह बिमारी पिछले साल भी हुई थी और इस बीमारी से हम ग्रामीण लोगों का बहुत माल मर गया था। इनका कहना है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है अगर समय पर इसकी रोकथाम कर ली जाए तो थोड़ी बहुत इस बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है।
हालंकि यह बीमारी काफी गंभीर है और क्या इसका कोई उचित इलाज है भी या नहीं इसके लिए हमारी टीम पशु चिकित्सालय पहुंची और वहां बैठे असिस्टेंट डायरेक्टर प्रोजेक्ट्स गौरव महाजन ने बताया कि इस बीमारी का नाम बट्स है जिसको की हमारी देसी भाषा में मोहके कहा जाता है,यह ज्यादातर दोगली नस्ल के जानवरो में देखने को मिलता है।
उन्होंने बताया कि यह ज्यादातर चमड़ी का रोग है जिसको ठहरा हुआ डिनाइंग केंसर भी कहा जाता है और यह रोग एक दूसरे में नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि इसका इलाज संभव है और अगर हफ्ते में एक दिन की छोड़कर लगातार इसके इंजेक्शन लगाए जाय तो यह रोग समाप्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत एक छोटे से मस्से के रूप से होती है और अगर इसका शुरू में ही ठीक से ध्यान नहीं रखा जाता है तो यह रोग बहुत जल्दी पूरी चमड़ी में फैल जाता है।
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