व्यापार मंडल के आह्वान के बाद भी बंद रहा बाजार प्रदेश और केंद्र सरकार से रखी रोपवे रद्द करने की मांग प्रदर्शन में शामिल हुए बीजेपी और कांग्रेस के भी नेता
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शिमला , 25 जुलाई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के खराहल घाटी में लग रहे रोपवे के विरोध में शुक्रवार को रामशिला से लेकर ढालपुर तक एक विशाल रैली निकाली गई। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने शामिल होकर रोपवे के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया। शुक्रवार को इस रैली का आयोजन रामशिला से लेकर ढालपुर तक किया गया और रैली में शामिल लोगों ने नारेबाजी के माध्यम से भी रोपवे के विरुद्ध अपना रोष जताया। वही, डीसी कार्यालय के बाहर भी लोगों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया और प्रदेश तथा केंद्र सरकार से मांग रखी गई कि देवस्थान को ध्यान में रखते हुए इस रोपवे को रद्द किया जाना चाहिए। इस प्रदर्शन में शामिल हजारों लोगों को संबोधित करते हुए बिजली महादेव रोपवे विरोध *समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी ने बताया* कि बिजली महादेव रोपवे देवस्थान का केंद्र है। इसलिए इसे पर्यटन स्थल के रूप में बिल्कुल भी विकसित नहीं किया जाना चाहिए। सुरेश नेगी ने कहा कि बिजली महादेव में कई ऐसे देव कार्य होते हैं। उस दौरान यहां पर लोगों के आवागमन पर भी रोक लगाई जाती है। लेकिन रोपवे बनने के बाद क्या कंपनी के द्वारा उस दौरान लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई जाएगी। ऐसे में रोपवे लगने से यहां की देव परंपराएं भी खंडित होगी। बिजली महादेव ने अपने गुर की देव वाणी में भी स्पष्ट कहा है कि उन्हें रोपवे बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। अगर कोई इसे जबरदस्ती लगाएगा तो इसका खामियाजा फिर सभी लोगों को भुगतना होगा। वही प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि* बिजली महादेव घाटी के आराध्य देवता है और उनकी देव वाणी का सम्मान करना सभी लोगों का कर्तव्य है। रोपवे के लिए यहां पर पेड़ों का भी कटान किया गया। जबकि सरकार प्रदेश में जंगलों को बचाने के कार्य में जुटी हुई है। यहां लोगों की आस्था देवी देवताओं के साथ जुड़ी हुई है और देवी देवताओं का पवित्र स्थलों को भी बचाने की कवायद लोग कर रहे हैं। ऐसे में लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश और केंद्र सरकार को इसरो को भी प्रोजेक्ट को रद्द करना चाहिए।
शिमला , 25 जुलाई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के खराहल घाटी में लग रहे रोपवे के विरोध में शुक्रवार को रामशिला से लेकर ढालपुर तक एक विशाल रैली निकाली गई। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने शामिल होकर रोपवे के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया। शुक्रवार को इस रैली का आयोजन रामशिला से लेकर ढालपुर तक किया गया और रैली में शामिल लोगों ने नारेबाजी के माध्यम से भी रोपवे के विरुद्ध अपना रोष जताया।
वही, डीसी कार्यालय के बाहर भी लोगों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया और प्रदेश तथा केंद्र सरकार से मांग रखी गई कि देवस्थान को ध्यान में रखते हुए इस रोपवे को रद्द किया जाना चाहिए। इस प्रदर्शन में शामिल हजारों लोगों को संबोधित करते हुए बिजली महादेव रोपवे विरोध *समिति के अध्यक्ष सुरेश नेगी ने बताया* कि बिजली महादेव रोपवे देवस्थान का केंद्र है।
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इसलिए इसे पर्यटन स्थल के रूप में बिल्कुल भी विकसित नहीं किया जाना चाहिए। सुरेश नेगी ने कहा कि बिजली महादेव में कई ऐसे देव कार्य होते हैं। उस दौरान यहां पर लोगों के आवागमन पर भी रोक लगाई जाती है। लेकिन रोपवे बनने के बाद क्या कंपनी के द्वारा उस दौरान लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई जाएगी। ऐसे में रोपवे लगने से यहां की देव परंपराएं भी खंडित होगी। बिजली महादेव ने अपने गुर की देव वाणी में भी स्पष्ट कहा है कि उन्हें रोपवे बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। अगर कोई इसे जबरदस्ती लगाएगा तो इसका खामियाजा फिर सभी लोगों को भुगतना होगा।
वही प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि* बिजली महादेव घाटी के आराध्य देवता है और उनकी देव वाणी का सम्मान करना सभी लोगों का कर्तव्य है। रोपवे के लिए यहां पर पेड़ों का भी कटान किया गया। जबकि सरकार प्रदेश में जंगलों को बचाने के कार्य में जुटी हुई है। यहां लोगों की आस्था देवी देवताओं के साथ जुड़ी हुई है और देवी देवताओं का पवित्र स्थलों को भी बचाने की कवायद लोग कर रहे हैं। ऐसे में लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश और केंद्र सरकार को इसरो को भी प्रोजेक्ट को रद्द करना चाहिए।
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