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शिमला , 04 मई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार में पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही और उससे उत्पन्न हो रही सफाई और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सभी आगंतुकों से यूजर चार्जिस लिया जा रहा है। हर साल अप्रैल से नवंबर के बीच करीब एक लाख पर्यटक चूड़धार पहुंचते हैं। इनमें चूड़ेश्वर महादेव मंदिर के श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रेकिंग, हाइकिंग और कैंपिंग के शौकीन भी शामिल होते हैं। ये पर्यटक मुख्यतः शिमला जिले के सैरन और सिरमौर जिले के नोह्राधार मार्गों से 8 से 17 किमी लंबा ट्रेक करते हुए चूड़धार पहुंचते हैं। यह शुल्क न सिर्फ वेस्ट मैनेजमेंट में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने और बुनियादी सुविधाएं विकसित करने में भी उपयोग किया जाएगा। यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के तहत लिया गया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि राज्य के ऐसे तमाम हाई फुटफॉल वाले पर्यटन स्थलों और वन क्षेत्रों में यूजर चार्ज लागू कर पर्यावरणीय दबाव को नियंत्रित किया जाए और उससे प्राप्त राशि को संबंधित क्षेत्र के संरक्षण और विकास में लगाया जाए। शिमला वाइल्डलाइफ डिवीजन के डीएफओ शाहनवाज़ भट्ट के अनुसार, चूड़धार सैंक्चुरी के भीतर और उसके रूट्स पर हर साल करीब 1 लाख से 1.5 लाख लोग पहुंचते हैं। इनमें मंदिर के श्रद्धालु, ट्रैकर्स, कैंपर्स, डॉक्यूमेंट्री शूट करने वाले फिल्मकार और बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। खासकर नोराधार और चौपाल रूट्स से हजारों लोग हर साल ट्रैक करते हैं। इस अत्यधिक भीड़ के कारण न सिर्फ वन क्षेत्र में प्लास्टिक और कूड़े की समस्या गंभीर हो गई है, बल्कि हिमालयन रेयर स्पीशीज़ के लिए खतरा भी बढ़ गया है। अब तक क्षेत्र में कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं थी, जिससे जल स्रोत भी प्रदूषित हो रहे थे। शाहनवाज़ भट्ट के अनुसार अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जो भी पर्यटक या श्रद्धालु सैंक्चुरी क्षेत्र में प्रवेश करे, उसकी जानकारी दर्ज हो और उससे एक नाममात्र का यूजर चार्ज लिया जाए। शिमला सोलन और सिरमौर जिले के लोगों से किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया जाएगा अगर वह अपनी इच्छा से कोई भी योगदान करना चाहते हैं तो वह कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य हिमाचली लोगों को 20 रुपये गैर हिमाचलियों को 50, सभी राज्यों के ट्रैक्टर्स को 100, विदेशी नागरिकों को 200, टेटिंग शुल्क 200 से 500 चुकाना होगा। वही कैमरा शुल्क के लिए भारतीयों से 50 और विदेशियों से 100 लिए जाएंगे। इस जगह पर शूटिंग के लिए भारतीयों से 10000 प्रतिदिन और विदेशियों से 15000 प्रतिदिन लिए जाएंगे। अगर यहां पर कोई वेडिंग शूट के लिए जाना चाहता है तो प्रतिदिन 3000 के हिसाब से यूजर चार्ज देने होंगे। यूजर चार्ज से जो राशि जमा होगी, उसका उपयोग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, शौचालयों की स्थापना, ड्रिंकिंग वॉटर प्वाइंट्स, शेल्टर स्पॉट्स, और अन्य मूलभूत सुविधाएं बनाने में किया जाएगा। साथ ही इन व्यवस्थाओं के संचालन में स्थानीय युवाओं को जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल सकें। वन विभाग के मुताबिक नोराधार और चौपाल की पंचायतों के साथ बातचीत कर यह सहमति बनाई गई है कि वे न सिर्फ इस व्यवस्था का समर्थन करेंगी, बल्कि यूजर चार्ज की कलेक्शन प्रक्रिया में भी सक्रिय भागीदारी करेंगी। इसके साथ ही टेंपल कमेटी और अन्य स्थानीय संस्थाएं भी इस सिस्टम का हिस्सा बनाई गई हैं। चूड़धार सैंक्चुरी में रेयर वाइल्डलाइफ प्रजातियों का निवास है। अब तक यहां हजारों की संख्या में लोग बिना किसी निगरानी के आ-जा रहे थे, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा था बल्कि वन्य जीवों की सुरक्षा भी खतरे में थी। यूजर चार्ज के साथ-साथ प्रवेश डेटा का संग्रह भी शुरू किया गया है ताकि किसी भी इमरजेंसी या घटना की स्थिति में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास पूरी जानकारी हो। यह कोई तात्कालिक पहल नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि आसपास के गांवों और पंचायतों को भी सामाजिक-आर्थिक लाभ पहुंचेगा। स्थानीय लड़कों को ट्रैकिंग गाइड, कैंपिंग स्टाफ, कचरा प्रबंधन स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों में रोजगार मिलेगा।
शिमला , 04 मई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार में पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही और उससे उत्पन्न हो रही सफाई और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सभी आगंतुकों से यूजर चार्जिस लिया जा रहा है।
हर साल अप्रैल से नवंबर के बीच करीब एक लाख पर्यटक चूड़धार पहुंचते हैं। इनमें चूड़ेश्वर महादेव मंदिर के श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रेकिंग, हाइकिंग और कैंपिंग के शौकीन भी शामिल होते हैं। ये पर्यटक मुख्यतः शिमला जिले के सैरन और सिरमौर जिले के नोह्राधार मार्गों से 8 से 17 किमी लंबा ट्रेक करते हुए चूड़धार पहुंचते हैं।
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यह शुल्क न सिर्फ वेस्ट मैनेजमेंट में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने और बुनियादी सुविधाएं विकसित करने में भी उपयोग किया जाएगा। यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के तहत लिया गया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि राज्य के ऐसे तमाम हाई फुटफॉल वाले पर्यटन स्थलों और वन क्षेत्रों में यूजर चार्ज लागू कर पर्यावरणीय दबाव को नियंत्रित किया जाए और उससे प्राप्त राशि को संबंधित क्षेत्र के संरक्षण और विकास में लगाया जाए।
शिमला वाइल्डलाइफ डिवीजन के डीएफओ शाहनवाज़ भट्ट के अनुसार, चूड़धार सैंक्चुरी के भीतर और उसके रूट्स पर हर साल करीब 1 लाख से 1.5 लाख लोग पहुंचते हैं। इनमें मंदिर के श्रद्धालु, ट्रैकर्स, कैंपर्स, डॉक्यूमेंट्री शूट करने वाले फिल्मकार और बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। खासकर नोराधार और चौपाल रूट्स से हजारों लोग हर साल ट्रैक करते हैं।
इस अत्यधिक भीड़ के कारण न सिर्फ वन क्षेत्र में प्लास्टिक और कूड़े की समस्या गंभीर हो गई है, बल्कि हिमालयन रेयर स्पीशीज़ के लिए खतरा भी बढ़ गया है। अब तक क्षेत्र में कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं थी, जिससे जल स्रोत भी प्रदूषित हो रहे थे। शाहनवाज़ भट्ट के अनुसार अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जो भी पर्यटक या श्रद्धालु सैंक्चुरी क्षेत्र में प्रवेश करे, उसकी जानकारी दर्ज हो और उससे एक नाममात्र का यूजर चार्ज लिया जाए।
शिमला सोलन और सिरमौर जिले के लोगों से किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया जाएगा अगर वह अपनी इच्छा से कोई भी योगदान करना चाहते हैं तो वह कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य हिमाचली लोगों को 20 रुपये गैर हिमाचलियों को 50, सभी राज्यों के ट्रैक्टर्स को 100, विदेशी नागरिकों को 200, टेटिंग शुल्क 200 से 500 चुकाना होगा। वही कैमरा शुल्क के लिए भारतीयों से 50 और विदेशियों से 100 लिए जाएंगे।
इस जगह पर शूटिंग के लिए भारतीयों से 10000 प्रतिदिन और विदेशियों से 15000 प्रतिदिन लिए जाएंगे। अगर यहां पर कोई वेडिंग शूट के लिए जाना चाहता है तो प्रतिदिन 3000 के हिसाब से यूजर चार्ज देने होंगे। यूजर चार्ज से जो राशि जमा होगी, उसका उपयोग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, शौचालयों की स्थापना, ड्रिंकिंग वॉटर प्वाइंट्स, शेल्टर स्पॉट्स, और अन्य मूलभूत सुविधाएं बनाने में किया जाएगा। साथ ही इन व्यवस्थाओं के संचालन में स्थानीय युवाओं को जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल सकें।
वन विभाग के मुताबिक नोराधार और चौपाल की पंचायतों के साथ बातचीत कर यह सहमति बनाई गई है कि वे न सिर्फ इस व्यवस्था का समर्थन करेंगी, बल्कि यूजर चार्ज की कलेक्शन प्रक्रिया में भी सक्रिय भागीदारी करेंगी। इसके साथ ही टेंपल कमेटी और अन्य स्थानीय संस्थाएं भी इस सिस्टम का हिस्सा बनाई गई हैं।
चूड़धार सैंक्चुरी में रेयर वाइल्डलाइफ प्रजातियों का निवास है। अब तक यहां हजारों की संख्या में लोग बिना किसी निगरानी के आ-जा रहे थे, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा था बल्कि वन्य जीवों की सुरक्षा भी खतरे में थी। यूजर चार्ज के साथ-साथ प्रवेश डेटा का संग्रह भी शुरू किया गया है ताकि किसी भी इमरजेंसी या घटना की स्थिति में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास पूरी जानकारी हो।
यह कोई तात्कालिक पहल नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि आसपास के गांवों और पंचायतों को भी सामाजिक-आर्थिक लाभ पहुंचेगा। स्थानीय लड़कों को ट्रैकिंग गाइड, कैंपिंग स्टाफ, कचरा प्रबंधन स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों में रोजगार मिलेगा।
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