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चम्बा , 06 ऑक्टूबर [ शिवानी ] ! राजकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय चम्बा के *प्राणी विज्ञान विभाग तथा वनस्पति विज्ञान विभाग* की *सोसाइटी फ़ॉर वाइल्ड लाइफ एंड नेचर* तथा *नेओ बॉटनी*के सयुंक्त तत्वावधान में "विश्व वन्य प्राणी सप्ताह 2025" को मनाते हुए विभिन्न प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं तथा एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया । उक्त जानकारी देते हुए प्राणी विज्ञान विभाग व सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ मनेश वर्मा ने कहा कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वन्य प्राणियों, प्रकृति व पर्यावरण के सरंक्षण व उनकी महत्वता की जागरूकता हेतु सप्ताह भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के दौरान विभिन्न वक्ताओं द्वारा विद्यार्थियों को वन्य प्राणियों, पर्यावरण व प्रकृति के प्रति जागरूकता हेतु व्याख्यान प्रस्तुत किये गए । कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन भी किया गया । प्रतियोगोताओं के दौरान डॉ मनेश ने क्विज मास्टर, डॉ पूनम, प्रोफेसर सुमित, प्रोफेसर अंजना ने निर्णायक की भूमिका निभाई । निर्णायकों के अंतिम निर्णय के अनुसार भाषण प्रतियोगिता में याशिका, कशिश, श्रेया क्रमश: प्रथम, द्वितीय, तृतीय ; प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में ; तुषार और इक्षान्त प्रथम, सलोनी और शशि बाला द्वितीय, हितेश और विनोद की टीम तृतीय : पोस्टर बनाओ प्रतियोगिता में ; प्रार्थना प्रथम, रुपाली द्वितीय, कानन तृतीय : नारा लेखन प्रतियोगिता में गौरीती प्रथम : निबंध लेखन प्रतियोगिता में भावना प्रथम रहे। कार्यक्रम के दौरान सेवानिवृत प्राचार्य, पर्यावरणविद, वैज्ञानिक, पर्वतारोही, वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ बिपन राठौर जी मुख्यतिथि के रूप में उपस्थित रहें। मुख़ातिथि द्वारा विभिन्न विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया। अपने सम्बोधन में मुख्यातिथि ने कहा कि मनुष्य के लिये वन्य जीव व वन प्रकृति का ऐसा वरदान है, जिस पर उसका अस्तित्व, उन्नति एवं समृद्धि निर्भर है। वनों में जिन्दगी बसर करने वाले वन्य जीवों से मानव जाति का युगों से विशिष्ट सम्बंध रहा है। अपने विकास की प्रारम्भिक अवस्था में मानव जाति एक वन्य जीव ही थी। विकास के बढ़ते कदमों एवं बुद्धि विकास तथा विकसित मस्तिष्क के परिणामस्वरूप मनुष्य धीरे-धीरे वन्य जीवन से अलग होकर सामाजिक बन गया और अपने उद्भव की कहानी को विस्मृत कर प्रकृति का स्वामी बन गया। प्राकृतिक वन और उसमें विचरण करने वाले वन्य प्राणी आज भी मनुष्य की सहायता के बिना जीवित रह सकते हैं। जबकि मानव समाज इनके अभाव में अपना अस्तित्व बहुत दिनों तक कायम नहीं रख सकता। प्रकृति, पानी, हवा, पेड़-पौधे, वनस्पति जीवों के संवर्धन एवं संरक्षण की ओर ध्यान दिया जाना आवश्यक है । वन्य जीवन संरक्षण और प्रकृति संरक्षण तो हमारी भारतीय जीवन पद्धति का अंग है। उन्होंने सभी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने और वैज्ञानिक चेतना के अनुरूप कार्य करने का आह्वान किया। डॉ बिपन राठोर ने युवाओं को विज्ञान, विज्ञान के चमत्कार, वैज्ञानिक चेतना तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रादन की । अपने प्रभावशाली, प्रेरणादायक, अनुभवी और रोचक वक्तव्य ने युवाओं को काफी प्रोत्साहित किया । उन्होंने रोजमर्रा के उदाहरण सहित विद्यार्थियों को आज के आधुनिक समय में भी लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव और गैर वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग तथा अंधविश्वास के बारे में बेहतरीन तरीके से बताया जिस का विद्यार्थियों ने भरपूर लाभ उठाया । कार्यक्रम के दौरान प्रिया, हिमानी और शाक्षी के बॉलिवुड नृत्य, दीक्षित के मधुर गीत और मुस्कान के पंजाबी लोल नृत्य ने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। पल्ल्वी और शिल्पा के एकल शास्त्रीय नृत्यों ने सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर डॉ मनेश, डॉक्टर पूनम, डॉ चमन, प्रोफेसर सुमित, प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर अंजना, डॉ शेली महाजन, प्रोफेसर मनीराज सिंह राठौर, डॉक्टर सुनील, डॉ विजय कुमार, डॉ शिवानी, प्रोफेसर निशा, डॉ प्रशांत रमण रवि, प्रोफेसर सचिन भारद्वाज, प्रोफेसर सचिन ठाकुर, डॉ विदुषी शर्मा इत्यादि मौजूद रहे ।
चम्बा , 06 ऑक्टूबर [ शिवानी ] ! राजकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय चम्बा के *प्राणी विज्ञान विभाग तथा वनस्पति विज्ञान विभाग* की *सोसाइटी फ़ॉर वाइल्ड लाइफ एंड नेचर* तथा *नेओ बॉटनी*के सयुंक्त तत्वावधान में "विश्व वन्य प्राणी सप्ताह 2025" को मनाते हुए विभिन्न प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं तथा एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
उक्त जानकारी देते हुए प्राणी विज्ञान विभाग व सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ मनेश वर्मा ने कहा कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वन्य प्राणियों, प्रकृति व पर्यावरण के सरंक्षण व उनकी महत्वता की जागरूकता हेतु सप्ताह भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।
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कार्यक्रम के दौरान विभिन्न वक्ताओं द्वारा विद्यार्थियों को वन्य प्राणियों, पर्यावरण व प्रकृति के प्रति जागरूकता हेतु व्याख्यान प्रस्तुत किये गए । कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन भी किया गया । प्रतियोगोताओं के दौरान डॉ मनेश ने क्विज मास्टर, डॉ पूनम, प्रोफेसर सुमित, प्रोफेसर अंजना ने निर्णायक की भूमिका निभाई ।
निर्णायकों के अंतिम निर्णय के अनुसार भाषण प्रतियोगिता में याशिका, कशिश, श्रेया क्रमश: प्रथम, द्वितीय, तृतीय ; प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में ; तुषार और इक्षान्त प्रथम, सलोनी और शशि बाला द्वितीय, हितेश और विनोद की टीम तृतीय : पोस्टर बनाओ प्रतियोगिता में ; प्रार्थना प्रथम, रुपाली द्वितीय, कानन तृतीय : नारा लेखन प्रतियोगिता में गौरीती प्रथम : निबंध लेखन प्रतियोगिता में भावना प्रथम रहे।
कार्यक्रम के दौरान सेवानिवृत प्राचार्य, पर्यावरणविद, वैज्ञानिक, पर्वतारोही, वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ बिपन राठौर जी मुख्यतिथि के रूप में उपस्थित रहें। मुख़ातिथि द्वारा विभिन्न विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया।
अपने सम्बोधन में मुख्यातिथि ने कहा कि मनुष्य के लिये वन्य जीव व वन प्रकृति का ऐसा वरदान है, जिस पर उसका अस्तित्व, उन्नति एवं समृद्धि निर्भर है। वनों में जिन्दगी बसर करने वाले वन्य जीवों से मानव जाति का युगों से विशिष्ट सम्बंध रहा है। अपने विकास की प्रारम्भिक अवस्था में मानव जाति एक वन्य जीव ही थी। विकास के बढ़ते कदमों एवं बुद्धि विकास तथा विकसित मस्तिष्क के परिणामस्वरूप मनुष्य धीरे-धीरे वन्य जीवन से अलग होकर सामाजिक बन गया और अपने उद्भव की कहानी को विस्मृत कर प्रकृति का स्वामी बन गया।
प्राकृतिक वन और उसमें विचरण करने वाले वन्य प्राणी आज भी मनुष्य की सहायता के बिना जीवित रह सकते हैं। जबकि मानव समाज इनके अभाव में अपना अस्तित्व बहुत दिनों तक कायम नहीं रख सकता। प्रकृति, पानी, हवा, पेड़-पौधे, वनस्पति जीवों के संवर्धन एवं संरक्षण की ओर ध्यान दिया जाना आवश्यक है । वन्य जीवन संरक्षण और प्रकृति संरक्षण तो हमारी भारतीय जीवन पद्धति का अंग है।
उन्होंने सभी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने और वैज्ञानिक चेतना के अनुरूप कार्य करने का आह्वान किया। डॉ बिपन राठोर ने युवाओं को विज्ञान, विज्ञान के चमत्कार, वैज्ञानिक चेतना तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रादन की । अपने प्रभावशाली, प्रेरणादायक, अनुभवी और रोचक वक्तव्य ने युवाओं को काफी प्रोत्साहित किया । उन्होंने रोजमर्रा के उदाहरण सहित विद्यार्थियों को आज के आधुनिक समय में भी लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव और गैर वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग तथा अंधविश्वास के बारे में बेहतरीन तरीके से बताया जिस का विद्यार्थियों ने भरपूर लाभ उठाया ।
कार्यक्रम के दौरान प्रिया, हिमानी और शाक्षी के बॉलिवुड नृत्य, दीक्षित के मधुर गीत और मुस्कान के पंजाबी लोल नृत्य ने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। पल्ल्वी और शिल्पा के एकल शास्त्रीय नृत्यों ने सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर डॉ मनेश, डॉक्टर पूनम, डॉ चमन, प्रोफेसर सुमित, प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर अंजना, डॉ शेली महाजन, प्रोफेसर मनीराज सिंह राठौर, डॉक्टर सुनील, डॉ विजय कुमार, डॉ शिवानी, प्रोफेसर निशा, डॉ प्रशांत रमण रवि, प्रोफेसर सचिन भारद्वाज, प्रोफेसर सचिन ठाकुर, डॉ विदुषी शर्मा इत्यादि मौजूद रहे ।
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