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चम्बा ! प्रदेश की सरकार ने भले ही अपने राज्य में लॉक डाउन खोल दिया हो पर स्कुल की व्यवस्था को अभी भी सरकार ठीक से पटरी पर नहीं ला पाई है। बताते चले कि जिले के दूरदराज के क्षेत्र में चलने वाले स्कूलों की बात की जाये तो यंहा पर ऑन लाइन के माध्यम से शिक्षा तो दी जा रही है पर कई बच्चे ऐसे भी है जिनके पास ऑन लाइन शिक्षा लेने के लिए फोन तक नहीं है। मिड डे मिल में 2300 रूपये महीने में काम कर रहे गरीब बच्चे के माता पिता ने बताया कि वह स्कुल में मिड डे मिल में 2300 रूपये महीने में काम कर रहे उनका घर भी टूट चूका है। इस गरीब परिवार का कहना है कि वह इन पैसो से अपने परिवार के लिए खाना जुटाए,या फिर टूटे हुए घर की मुरम्मत करवाए या फिर अपने बच्चे को ऑनलाइन पढाने के लिए मोबाईल खरीदे जोकि सम्भव नहीं है। भगौलिक दृष्टि से देखा जाए तो चम्बा जिला सबसे पिछडे जिलों की गणना में आता है। प्रदेश सरकार द्वारा चलाये गए यंहा के स्कुल ऊंची दुर्गम पहाड़ियों पर स्तिथ है और अगर हम यंहा के दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले कुछ परिवारों की बात करे तो कई गरीब लोग ऐसे भी है जोकि बड़ी मुश्किल से अपने परिवार की रोजी रोटी को चला पते है। ऐसे ही एक गरीब परिवार के मुखिया ने बताया कि वह स्कुल में मिड डे मिल में 2300 रूपये महीने में काम कर रहे उनका घर भी टूट चूका है। इस गरीब परिवार का कहना है कि वह इन पैसो से अपने परिवार के लिए खाना जुटाए,या फिर टूटे हुए घर की मुरम्मत करवाए या फिर अपने बच्चे को ऑन पढाने मोबाईल खरीदे जोकि सम्भव नहीं है। बच्चे के अभिभावकों ने बताया कि उनका बच्चा आज ऑनलाइन शिक्षा नहीं ग्रहण कर पा रहा है क्योंकि उनके पास मोबाइल खरीदने के लिए पैसे नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें इतना भी मालूम नहीं है की उनका बच्चा क्या पढ़ रहा है और उनके स्कूल में क्या हो रहा है । उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनकी थोड़ी सी मदद की जाए ताकि वह बच्चों को मोबाइल खरीद के दे सकें और वह अपनी शिक्षा को सुचारू रूप से चला पाए। अपने घर में किताबों के जरिए शिक्षा ग्रहण करें बच्चे ने बताया कि उसे यह मालूम नहीं है कि ऑनलाइन शिक्षा किस तरह से होती है । उसने कहा कि जब से कर्फ्यू लगा था वह घर में ही पड़ रहा है ।बच्चे ने बताया कि उसके गांव के बच्चे उसे नहीं बताते हैं कि स्कूल में क्या हो रहा है । बच्चे ने बताया कि उसके पिता की वेतन बहुत कम है जिससे मोबाइल नहीं दे पा रहे हैं और जो उनके पास मोबाइल है वह काफी पुराना है और टूट चुका है जिससे बात होना भी मुश्किल हो पा रहा है। बच्चे ने शिक्षा मंत्री से आग्रह किया है कि उसके लिए भी कुछ किया जाए ताकि वह भी अपनी शिक्षा को सुचारू रूप से चला पाए।
चम्बा ! प्रदेश की सरकार ने भले ही अपने राज्य में लॉक डाउन खोल दिया हो पर स्कुल की व्यवस्था को अभी भी सरकार ठीक से पटरी पर नहीं ला पाई है। बताते चले कि जिले के दूरदराज के क्षेत्र में चलने वाले स्कूलों की बात की जाये तो यंहा पर ऑन लाइन के माध्यम से शिक्षा तो दी जा रही है पर कई बच्चे ऐसे भी है जिनके पास ऑन लाइन शिक्षा लेने के लिए फोन तक नहीं है। मिड डे मिल में 2300 रूपये महीने में काम कर रहे गरीब बच्चे के माता पिता ने बताया कि वह स्कुल में मिड डे मिल में 2300 रूपये महीने में काम कर रहे उनका घर भी टूट चूका है। इस गरीब परिवार का कहना है कि वह इन पैसो से अपने परिवार के लिए खाना जुटाए,या फिर टूटे हुए घर की मुरम्मत करवाए या फिर अपने बच्चे को ऑनलाइन पढाने के लिए मोबाईल खरीदे जोकि सम्भव नहीं है।
भगौलिक दृष्टि से देखा जाए तो चम्बा जिला सबसे पिछडे जिलों की गणना में आता है। प्रदेश सरकार द्वारा चलाये गए यंहा के स्कुल ऊंची दुर्गम पहाड़ियों पर स्तिथ है और अगर हम यंहा के दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले कुछ परिवारों की बात करे तो कई गरीब लोग ऐसे भी है जोकि बड़ी मुश्किल से अपने परिवार की रोजी रोटी को चला पते है। ऐसे ही एक गरीब परिवार के मुखिया ने बताया कि वह स्कुल में मिड डे मिल में 2300 रूपये महीने में काम कर रहे उनका घर भी टूट चूका है। इस गरीब परिवार का कहना है कि वह इन पैसो से अपने परिवार के लिए खाना जुटाए,या फिर टूटे हुए घर की मुरम्मत करवाए या फिर अपने बच्चे को ऑन पढाने मोबाईल खरीदे जोकि सम्भव नहीं है। बच्चे के अभिभावकों ने बताया कि उनका बच्चा आज ऑनलाइन शिक्षा नहीं ग्रहण कर पा रहा है क्योंकि उनके पास मोबाइल खरीदने के लिए पैसे नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें इतना भी मालूम नहीं है की उनका बच्चा क्या पढ़ रहा है और उनके स्कूल में क्या हो रहा है । उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनकी थोड़ी सी मदद की जाए ताकि वह बच्चों को मोबाइल खरीद के दे सकें और वह अपनी शिक्षा को सुचारू रूप से चला पाए।
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