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चम्बा , 26 सितंबर [ शिवानी ] ! पिरामल फाउंडेशन द्वारा राजकीय वारिष्ट माध्यमिक विद्यालय करियां मे अपशिष्ट प्रबंधन पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जिसमे विद्यालय के लगभग 90 छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत मे अध्यापक श्री सुरेंद्र हांडा जी ने पिरामल फाउंडेशन का परिचय कराया तथा कार्यक्रम मे टीम का स्वागत किया। उसके पश्चात पिरामल फाउंडेशन के प्रोग्राम लीड सौरव कुमार, गाँधी फेलो इमरान अली, वारुन अगरवाल ने विद्यालय के सभी बच्चों को कचरा प्रबंधन के बारे मे बताया जिसमे उन्होंने बायोडिग्रेडेबल तथा नॉनबायोडिग्रेडेबल कचरे के बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि हमारे घरों मे पाए जाने वाला कूड़ा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है जिसमे एक बायोडिग्रेडेबल होता है जो मुख्यतः हमारे रसोई घर से निकलने वाला खाद्य पदार्थो तथा फल सब्जी इत्यादि का बचा हुआ अवशेष होता है जिसे हम खाद के रूप मे इस्तेमाल कर सकते है तथा माल मवेशियों को खिला कर तथा खाद बना कर इसका प्रबंधन कर सकते है। इसके अलावा नॉन बायोडिग्रेडेबल वेस्ट मे ठोस कचरा शामिल होता है जिसमे प्लास्टिक, ई वेस्ट, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट, शीशा आदि शामिल होता है ज्यादातर लोग इन सभी प्रकार के कचरे को इधर-उधर फेंक देते है या एक जगह एक ही डस्टबिन मे डाल देते है। विद्यालय की प्राधनाचार्य श्रीमती रेखा शर्मा जी ने पीरामल टीम का धन्यवाद किया साथ ही आश्वाशन दिया की हमारे विद्यालय के बच्चे कचरे का प्रबंधन अवश्य करेंगे और वो साथ साथ अपने घर परिवार व ग्रामीण लोगो को कचरा प्रबंधन के बारे मे जागरूक करेंगे।
चम्बा , 26 सितंबर [ शिवानी ] ! पिरामल फाउंडेशन द्वारा राजकीय वारिष्ट माध्यमिक विद्यालय करियां मे अपशिष्ट प्रबंधन पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जिसमे विद्यालय के लगभग 90 छात्रों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरूआत मे अध्यापक श्री सुरेंद्र हांडा जी ने पिरामल फाउंडेशन का परिचय कराया तथा कार्यक्रम मे टीम का स्वागत किया।
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उसके पश्चात पिरामल फाउंडेशन के प्रोग्राम लीड सौरव कुमार, गाँधी फेलो इमरान अली, वारुन अगरवाल ने विद्यालय के सभी बच्चों को कचरा प्रबंधन के बारे मे बताया जिसमे उन्होंने बायोडिग्रेडेबल तथा नॉनबायोडिग्रेडेबल कचरे के बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि हमारे घरों मे पाए जाने वाला कूड़ा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है जिसमे एक बायोडिग्रेडेबल होता है जो मुख्यतः हमारे रसोई घर से निकलने वाला खाद्य पदार्थो तथा फल सब्जी इत्यादि का बचा हुआ अवशेष होता है जिसे हम खाद के रूप मे इस्तेमाल कर सकते है तथा माल मवेशियों को खिला कर तथा खाद बना कर इसका प्रबंधन कर सकते है।
इसके अलावा नॉन बायोडिग्रेडेबल वेस्ट मे ठोस कचरा शामिल होता है जिसमे प्लास्टिक, ई वेस्ट, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट, शीशा आदि शामिल होता है ज्यादातर लोग इन सभी प्रकार के कचरे को इधर-उधर फेंक देते है या एक जगह एक ही डस्टबिन मे डाल देते है।
विद्यालय की प्राधनाचार्य श्रीमती रेखा शर्मा जी ने पीरामल टीम का धन्यवाद किया साथ ही आश्वाशन दिया की हमारे विद्यालय के बच्चे कचरे का प्रबंधन अवश्य करेंगे और वो साथ साथ अपने घर परिवार व ग्रामीण लोगो को कचरा प्रबंधन के बारे मे जागरूक करेंगे।
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