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चम्बा ! सीटू जिला कमेटी ने होली मुख्यालय में किसानों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। इस मोके पर मांगों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। इस मोके पर सीटू जिला सचिव सुदेश ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार आम जन विरोधी फैसले ले रही है। संसद में लगातार पूंजीपतियों के हित में कानून बना रही है। जनता जिस समय घरों से निकल नहीं पा रही थी उसका अनुचित लाभ उठाते हुए बिना बहस चुने हुए प्रतिनिधियों के मतदान के अधिकार की उपेक्षा करते हुए जबरदस्ती ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया। सरकार का दावा है कि यह अध्यादेश किसान को देश के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति या व्यापारी को अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता देता है जबकि इसके विपरीत यह अध्यादेश किसी भी कोऑपरेटिव कृषि व्यापारी को किसी भी किसान का उत्पाद किसी भी कीमत पर खरीदने की आजादी देता है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश 2020 खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा और वैधता प्रदान करेगा। संकट के समय इस विधेयक के माध्यम से दलहन ,तिलहन ,प्याज ,आलू को मुक्त करके बाजार के हवाले कर दिया गया है । इसके चलते मुनाफाखोरी या बड़े कॉर्पोरेट घराने इन वस्तुओं का असीमित मात्रा में भंडारण करेंगे और बाजार में इनकी झूठी कमी दर्शाकर ऊंचे दामों पर बेचेंगे।
चम्बा ! सीटू जिला कमेटी ने होली मुख्यालय में किसानों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। इस मोके पर मांगों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। इस मोके पर सीटू जिला सचिव सुदेश ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार आम जन विरोधी फैसले ले रही है।
संसद में लगातार पूंजीपतियों के हित में कानून बना रही है। जनता जिस समय घरों से निकल नहीं पा रही थी उसका अनुचित लाभ उठाते हुए बिना बहस चुने हुए प्रतिनिधियों के मतदान के अधिकार की उपेक्षा करते हुए जबरदस्ती ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया। सरकार का दावा है कि यह अध्यादेश किसान को देश के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति या व्यापारी को अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता देता है जबकि इसके विपरीत यह अध्यादेश किसी भी कोऑपरेटिव कृषि व्यापारी को किसी भी किसान का उत्पाद किसी भी कीमत पर खरीदने की आजादी देता है।
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आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश 2020 खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा और वैधता प्रदान करेगा। संकट के समय इस विधेयक के माध्यम से दलहन ,तिलहन ,प्याज ,आलू को मुक्त करके बाजार के हवाले कर दिया गया है ।
इसके चलते मुनाफाखोरी या बड़े कॉर्पोरेट घराने इन वस्तुओं का असीमित मात्रा में भंडारण करेंगे और बाजार में इनकी झूठी कमी दर्शाकर ऊंचे दामों पर बेचेंगे।
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