
आधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला है लंबित ।
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 12 सितंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में आज राजनीतिक हलचल तब तेज हो गई जब कैप्टन अतुल शर्मा ने प्रदेश सरकार के एमपीपी एवं ऊर्जा सचिव, राकेश कंवर को एक गंभीर पत्र लिखकर हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (HPERC) के अध्यक्ष पद पर विवादास्पद नियुक्ति का विरोध किया। अपने पत्र में कैप्टन शर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकार इस अत्यंत संवेदनशील पद पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नियुक्त करने का प्रयास कर रही है, जबकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला लंबित है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सक्सेना को दिल्ली की एक अदालत से व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट प्राप्त है। पत्र में आगे कहा गया है कि श्री सक्सेना को जारी किया गया सतर्कता मंजूरी प्रमाण पत्र दोषपूर्ण है और यह प्रक्रिया कार्यालय ज्ञापन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है। कैप्टन शर्मा ने सचिव, एमपीपी एवं ऊर्जा विभाग से आग्रह किया है कि इस प्रमाण पत्र की तत्काल समीक्षा की जाए, ताकि एक आरोपी व्यक्ति को सार्वजनिक विश्वास और पारदर्शिता से जुड़े महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त होने से रोका जा सके। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह नियुक्ति होती है तो यह कानून, न्याय और जनभावनाओं के साथ घोर अन्याय होगा। यह मामला प्रदेश की राजनीति और शासन व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। जनता और राजनीतिक दल भी सरकार की प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
शिमला , 12 सितंबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में आज राजनीतिक हलचल तब तेज हो गई जब कैप्टन अतुल शर्मा ने प्रदेश सरकार के एमपीपी एवं ऊर्जा सचिव, राकेश कंवर को एक गंभीर पत्र लिखकर हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (HPERC) के अध्यक्ष पद पर विवादास्पद नियुक्ति का विरोध किया।
अपने पत्र में कैप्टन शर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकार इस अत्यंत संवेदनशील पद पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नियुक्त करने का प्रयास कर रही है, जबकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला लंबित है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सक्सेना को दिल्ली की एक अदालत से व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट प्राप्त है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
पत्र में आगे कहा गया है कि श्री सक्सेना को जारी किया गया सतर्कता मंजूरी प्रमाण पत्र दोषपूर्ण है और यह प्रक्रिया कार्यालय ज्ञापन के नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है।
कैप्टन शर्मा ने सचिव, एमपीपी एवं ऊर्जा विभाग से आग्रह किया है कि इस प्रमाण पत्र की तत्काल समीक्षा की जाए, ताकि एक आरोपी व्यक्ति को सार्वजनिक विश्वास और पारदर्शिता से जुड़े महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त होने से रोका जा सके।
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह नियुक्ति होती है तो यह कानून, न्याय और जनभावनाओं के साथ घोर अन्याय होगा।
यह मामला प्रदेश की राजनीति और शासन व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। जनता और राजनीतिक दल भी सरकार की प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -