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चम्बा ! हिमाचल प्रदेश में अब 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू कर दी गई है। 9वीं से बारहवीं तक के छात्र अपनी समस्या को लेकर अपने अभिभावकों के रजामंदी से स्कूल में अध्यापकों से अपने विषयों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। लेकिन बहुत से स्कूल ऐसे हैं जहां पर अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं इस दरमियान बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। हिमाचल प्रदेश के बहुत से स्कूल ऐसे हैं जहां पर अलग-अलग विषयों को स्वीकृति तो मिल चुकी है लेकिन वहां पर ना तो उसके लिए कोई भवन बनाया गया ना ही किसी अध्यापक को तैनात किया गया है। चंबा जिला के मंजीर स्कूल की बात करें तो वहां पर विज्ञान का विषय तो शुरू कर दिया गया लेकिन अतिरिक्त भवन नहीं बन पाया है। यहां पर अध्यापकों की भी कमी है जिसकी बजह से बच्चों को साइंस विषय छोड़ दूसरे विषयों को लेने पर मजबूर होना पड़ता है। यहां के छात्रों ने बताया कि उनकी बचपन से तमन्ना थी कि वह एक डॉक्टर बन लोगो की सेवा करे लेकिन उनके स्कूल में साइंस का विषय तो है लेकिन उसके लिए अध्यापक नहीं है। मजबूरन उन्हें दूसरे विषय लेने पड़ रहे हैं। छात्राओं ने बताया कि उनके मां-बाप बहुत गरीब है और वह साइंस विषय के लिए दूसरे स्कूल नहीं भेज सकते हैं इसी वजह से उन्हें मजबूरन दूसरे विषय लेने पड़ रहे है। ,उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से उनके स्कूल में साइंस विषय के अध्यापक की तेनती की जाये ताकि हमारी तरह दूसरे छात्रों के सपने भी अधूरे न रह जाएँ। स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया की उन्होने इस विषय के लिए अपने उच्चाधिकारियों को लिखित रूप में सूचित क्र दिया है साथ ही यहां पर साइंस ब्लॉक बनाना है उसके लिए एक लेटर भी भेज दिया गया है। जगह यहां पर चिन्हित कर ली गई है और जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा और छात्रों को उसका फायदा होगा।
चम्बा ! हिमाचल प्रदेश में अब 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू कर दी गई है। 9वीं से बारहवीं तक के छात्र अपनी समस्या को लेकर अपने अभिभावकों के रजामंदी से स्कूल में अध्यापकों से अपने विषयों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। लेकिन बहुत से स्कूल ऐसे हैं जहां पर अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं इस दरमियान बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। हिमाचल प्रदेश के बहुत से स्कूल ऐसे हैं जहां पर अलग-अलग विषयों को स्वीकृति तो मिल चुकी है लेकिन वहां पर ना तो उसके लिए कोई भवन बनाया गया ना ही किसी अध्यापक को तैनात किया गया है। चंबा जिला के मंजीर स्कूल की बात करें तो वहां पर विज्ञान का विषय तो शुरू कर दिया गया लेकिन अतिरिक्त भवन नहीं बन पाया है। यहां पर अध्यापकों की भी कमी है जिसकी बजह से बच्चों को साइंस विषय छोड़ दूसरे विषयों को लेने पर मजबूर होना पड़ता है।
यहां के छात्रों ने बताया कि उनकी बचपन से तमन्ना थी कि वह एक डॉक्टर बन लोगो की सेवा करे लेकिन उनके स्कूल में साइंस का विषय तो है लेकिन उसके लिए अध्यापक नहीं है। मजबूरन उन्हें दूसरे विषय लेने पड़ रहे हैं। छात्राओं ने बताया कि उनके मां-बाप बहुत गरीब है और वह साइंस विषय के लिए दूसरे स्कूल नहीं भेज सकते हैं इसी वजह से उन्हें मजबूरन दूसरे विषय लेने पड़ रहे है। ,उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से उनके स्कूल में साइंस विषय के अध्यापक की तेनती की जाये ताकि हमारी तरह दूसरे छात्रों के सपने भी अधूरे न रह जाएँ।
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