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चुराह ! किसी एक व्यक्ति की नशे की लत से परिवार और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना ही इसका सर्वोत्तम इलाज है। कुछ बीमारियों का इलाज ही बचाव है, जबकि कुछ बीमारियों से बचाव ही उनका इलाज है। नशे की आदत को छोड़ने के लिए पीड़ित को ऐसे लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए, जो नशा ना करते हों। साथ ही सकारात्मक विचार रखते हों। नशे की सामग्री व्यक्ति को पहले उत्तेजित करती है, लेकिन उसके पश्चात जैसे-जैसे आप उसकी गिरफ्त में आते जाते हैं, वो व्यक्ति को भीतर से नकारात्मक बनाती है। जिससे व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास कम होने लगता है, जीवन में निराशा का भाव आने लगता है। साथ ही चिड़चिड़ापन पैदा होता है, जो उसकी सफलता और जीवन के रोजमर्रा के कामों में बाधक बनता है। उक्त बातें हिमाचल प्रदेश नशा निवर्ण बोर्ड के सयोजक एवम सलाहकार ओपी शर्मा ने कही। ओ पी शर्मा ने शुक्रवार को ग्राम पंचायत सनवाल,झझाकोठी,कुठेड़ बुधोडा के ग्रामीणों को नशा नहीं करने के लिए जागरूक किया।उपमंडल चुराह की पंचायतों में हुए कार्यक्रम के मुख्य ओ पी शर्मा ने बताया कि नशा, नाश का द्वार है। उन्होंने कहा कि नशे की लत व्यक्ति को सबसे पहले परिवार से दूर करती है। साथ ही अपनी बुरी आदत की वजह से पीड़ित आर्थिक तंगी की दौर से गुजरता है, जिसकी वजह से उसमें नकारात्मक भाव पैदा होते है और समय के साथ उसके करीबी मित्र भी उसका साथ छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में युवा नशा कर रहे हैं। उन्हें जागरूक होना होगा। इसके लिए इस तरह कि जागरूकता कार्यक्रम हर क्षेत्र में करानी चाहिए। वहीं ओ पी शर्मा ने कहा कि गांव-गांव घर-घर में लोग व्यसनों से मुक्त हों इसके लिए हम सब कटिबद्ध हों। नशामुक्ति अभियान को जन आंदोलन का रूप दिया जाना आज जरूरी है। उन्होंने कहा कि नशा के सेवन से आज हर घर परिवार प्रभावित हैं तथा इसका सबसे बुरा प्रभाव भावी पीढ़ी पर पड़ रहा है। अगर एक परिवार में कोई एक व्यक्ति भी नशाखोरी करता है, तो सिर्फ वही प्रभावित नहीं होता है बल्कि इसका बुरा नतीजा पूरा परिवार भोगता है।इसमें ग्राम पंचायत प्रधान सनवाल,झझाकोठी,कुठेड़ बुधोडा सहित ग्रामीणों ने भाग लिया।
चुराह ! किसी एक व्यक्ति की नशे की लत से परिवार और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना ही इसका सर्वोत्तम इलाज है। कुछ बीमारियों का इलाज ही बचाव है, जबकि कुछ बीमारियों से बचाव ही उनका इलाज है। नशे की आदत को छोड़ने के लिए पीड़ित को ऐसे लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए, जो नशा ना करते हों। साथ ही सकारात्मक विचार रखते हों। नशे की सामग्री व्यक्ति को पहले उत्तेजित करती है, लेकिन उसके पश्चात जैसे-जैसे आप उसकी गिरफ्त में आते जाते हैं, वो व्यक्ति को भीतर से नकारात्मक बनाती है। जिससे व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास कम होने लगता है, जीवन में निराशा का भाव आने लगता है। साथ ही चिड़चिड़ापन पैदा होता है, जो उसकी सफलता और जीवन के रोजमर्रा के कामों में बाधक बनता है। उक्त बातें हिमाचल प्रदेश नशा निवर्ण बोर्ड के सयोजक एवम सलाहकार ओपी शर्मा ने कही।
ओ पी शर्मा ने शुक्रवार को ग्राम पंचायत सनवाल,झझाकोठी,कुठेड़ बुधोडा के ग्रामीणों को नशा नहीं करने के लिए जागरूक किया।उपमंडल चुराह की पंचायतों में हुए कार्यक्रम के मुख्य ओ पी शर्मा ने बताया कि नशा, नाश का द्वार है। उन्होंने कहा कि नशे की लत व्यक्ति को सबसे पहले परिवार से दूर करती है। साथ ही अपनी बुरी आदत की वजह से पीड़ित आर्थिक तंगी की दौर से गुजरता है, जिसकी वजह से उसमें नकारात्मक भाव पैदा होते है और समय के साथ उसके करीबी मित्र भी उसका साथ छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में युवा नशा कर रहे हैं। उन्हें जागरूक होना होगा। इसके लिए इस तरह कि जागरूकता कार्यक्रम हर क्षेत्र में करानी चाहिए। वहीं ओ पी शर्मा ने कहा कि गांव-गांव घर-घर में लोग व्यसनों से मुक्त हों इसके लिए हम सब कटिबद्ध हों। नशामुक्ति अभियान को जन आंदोलन का रूप दिया जाना आज जरूरी है। उन्होंने कहा कि नशा के सेवन से आज हर घर परिवार प्रभावित हैं तथा इसका सबसे बुरा प्रभाव भावी पीढ़ी पर पड़ रहा है। अगर एक परिवार में कोई एक व्यक्ति भी नशाखोरी करता है, तो सिर्फ वही प्रभावित नहीं होता है बल्कि इसका बुरा नतीजा पूरा परिवार भोगता है।इसमें ग्राम पंचायत प्रधान सनवाल,झझाकोठी,कुठेड़ बुधोडा सहित ग्रामीणों ने भाग लिया।
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