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बददी ! पुराने समय में जब अस्पताल नहीं थे तो वैद्य नाड़ी देखकर लोगों का इलाज करते थे लेकिन धीरे धीरे यह पद्धति समाप्त होती चली गई और लोग अंग्रेजी इलाज पर निर्भर होते चले गए। हालांकि देश में आयुर्वेदिक अस्पताल तो चल रहे हैं लेकिन उनमें पुरानी परंपरा के अनुसार इलाज नहीं हो रहा है। ऐसे में पुरानी पद्धति से इलाज करने की पंरपरा को एक बार नवजीवन देने के लिए वृंदावन आयुर्वेेदिक अस्पताल ने कदम बढ़ाए हैं। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते वृंदावन आयुर्वेदिक अस्पताल के संचालक राजेंद्र पाल गर्ग ने कहा कि पुरानी पद्धति से इलाज करने वाले डाक्टर जार्ज वी जोसफ को विशेष रूप से यहां तैनात किया है। जार्ज वी जोसफ पिछले पचास वर्षों से इसी पद्धति से इलाज कर रहे हैं। वह नाड़ी देखकर लोगो की बीमारी का पता लगाते हैं तथा उन्हेंं उसी बीमारी के हिसाब से इलाज करते हैं। हालांकि यह अस्पताल पिछले तीन वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन कोविड 19 के कारण इसे बंद कर दिया गया था लेकिन अब इसे 2 अक्टूबर से दोबारा खोला जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल में पंचकर्मा, हिजमा चिकित्सा, अगिन चिकित्सा, रक्त मोक्षया, मर्म चिकित्सा जैसी पद्धति से इलाज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंचकर्मा में स्नेहन, संवेदन, वमन, रेचन, रक्त मोक्ष आदि आता है जबकि मर्म चिकित्सा में 107 प्रकार के मर्म आते हैं। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल का संचालन पिछले तीन वर्षों से किया जा रहा है तथा इन वर्षों में विदेशों से भी लोग अपना इलाज करवा चुके हैं। इस मौके पर डा. जार्ज वी जोसफ, डा. अंकाक्षा तथा श्रीहरिओम योगा सोसाइटी के अध्यक्ष डा. श्रीकांत भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
बददी ! पुराने समय में जब अस्पताल नहीं थे तो वैद्य नाड़ी देखकर लोगों का इलाज करते थे लेकिन धीरे धीरे यह पद्धति समाप्त होती चली गई और लोग अंग्रेजी इलाज पर निर्भर होते चले गए। हालांकि देश में आयुर्वेदिक अस्पताल तो चल रहे हैं लेकिन उनमें पुरानी परंपरा के अनुसार इलाज नहीं हो रहा है। ऐसे में पुरानी पद्धति से इलाज करने की पंरपरा को एक बार नवजीवन देने के लिए वृंदावन आयुर्वेेदिक अस्पताल ने कदम बढ़ाए हैं। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते वृंदावन आयुर्वेदिक अस्पताल के संचालक राजेंद्र पाल गर्ग ने कहा कि पुरानी पद्धति से इलाज करने वाले डाक्टर जार्ज वी जोसफ को विशेष रूप से यहां तैनात किया है। जार्ज वी जोसफ पिछले पचास वर्षों से इसी पद्धति से इलाज कर रहे हैं। वह नाड़ी देखकर लोगो की बीमारी का पता लगाते हैं तथा उन्हेंं उसी बीमारी के हिसाब से इलाज करते हैं। हालांकि यह अस्पताल पिछले तीन वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन कोविड 19 के कारण इसे बंद कर दिया गया था लेकिन अब इसे 2 अक्टूबर से दोबारा खोला जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस अस्पताल में पंचकर्मा, हिजमा चिकित्सा, अगिन चिकित्सा, रक्त मोक्षया, मर्म चिकित्सा जैसी पद्धति से इलाज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंचकर्मा में स्नेहन, संवेदन, वमन, रेचन, रक्त मोक्ष आदि आता है जबकि मर्म चिकित्सा में 107 प्रकार के मर्म आते हैं। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल का संचालन पिछले तीन वर्षों से किया जा रहा है तथा इन वर्षों में विदेशों से भी लोग अपना इलाज करवा चुके हैं। इस मौके पर डा. जार्ज वी जोसफ, डा. अंकाक्षा तथा श्रीहरिओम योगा सोसाइटी के अध्यक्ष डा. श्रीकांत भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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