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शिमला ! आईजीएमसी में ब्लैक फंगस का एक संदिग्ध मरीज आया। ऐसे में चिकित्सक भी अब अलर्ट हो गए हैं। चिकित्सकों ने मरीज का सैंपल लिया गया जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि मरीज ब्लैक फंगस नामक बीमारी से ग्रसित है। महिला जिला मंडी की रहने वाली है। महिला को उपचार के लिए मंडी से रैफर किया गया है, लेकिन ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकों ने महिला मरीज का सैंपल लिया है और लैब में जांच की गई। हिमाचल में अभी तक ब्लैक फंगस का एक भी मामला नहीं आया है। यह संदिग्ध मरीज भी पहली बार आया है। ब्लैक फंगस कोविड के बाद होने वाली बीमारी है। कोरोना संक्रमित होने पर मरीज लंबे समय से ऑक्सीजन पर रहा हो, शूगर हो और इम्यूनिटी कमजोर हो, ऐसे लोगों में 4 से 6 सप्ताह बाद ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं। देश में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले सामने आने लगे हैं। राजस्थान, दिल्ली और महाराष्ट्र में इस तरह के मामले सामने आए हैं, लेकिन हिमाचल एक ऐसा प्रदेश है जहां पर अब तक कोई मामला नहीं आया था। विशेषज्ञ का मानना है कि आने वाले समय में हिमाचल में भी इस तरह के और भी मामले सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस कोविड से ठीक हो चुके लोगों को घेर रहा है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और मरीजों की जान पर बन रही है। ब्लैक फंगस में बुखार का आना, आंखों के पीछे दर्द रहना, शरीर में काले निशान बन जाना, सिर में दर्द रहना, दांत में दर्द होना, चेहरे पर काले निशान होना, थूक के साथ खून आना जैसे कई अन्य लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर मरीजों को अस्पताल में दिखाना चाहिए यह ब्लैक फंगस हो सकता है। लोग खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें। लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें, इससे बीमारी बढ़ सकती है। स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं। वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को और इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी है। इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं। स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें। घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों। आईजीएमसी को एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि आईजीएमसी में एक मरीज का ब्लैक फंगस को लेकर सैंपल लिया गया जिसकी पुष्टि की जा चुकी है।
शिमला ! आईजीएमसी में ब्लैक फंगस का एक संदिग्ध मरीज आया। ऐसे में चिकित्सक भी अब अलर्ट हो गए हैं। चिकित्सकों ने मरीज का सैंपल लिया गया जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि मरीज ब्लैक फंगस नामक बीमारी से ग्रसित है। महिला जिला मंडी की रहने वाली है।
महिला को उपचार के लिए मंडी से रैफर किया गया है, लेकिन ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकों ने महिला मरीज का सैंपल लिया है और लैब में जांच की गई। हिमाचल में अभी तक ब्लैक फंगस का एक भी मामला नहीं आया है। यह संदिग्ध मरीज भी पहली बार आया है।
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ब्लैक फंगस कोविड के बाद होने वाली बीमारी है। कोरोना संक्रमित होने पर मरीज लंबे समय से ऑक्सीजन पर रहा हो, शूगर हो और इम्यूनिटी कमजोर हो, ऐसे लोगों में 4 से 6 सप्ताह बाद ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं। देश में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले सामने आने लगे हैं। राजस्थान, दिल्ली और महाराष्ट्र में इस तरह के मामले सामने आए हैं, लेकिन हिमाचल एक ऐसा प्रदेश है जहां पर अब तक कोई मामला नहीं आया था।
विशेषज्ञ का मानना है कि आने वाले समय में हिमाचल में भी इस तरह के और भी मामले सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस कोविड से ठीक हो चुके लोगों को घेर रहा है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और मरीजों की जान पर बन रही है।
ब्लैक फंगस में बुखार का आना, आंखों के पीछे दर्द रहना, शरीर में काले निशान बन जाना, सिर में दर्द रहना, दांत में दर्द होना, चेहरे पर काले निशान होना, थूक के साथ खून आना जैसे कई अन्य लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर मरीजों को अस्पताल में दिखाना चाहिए यह ब्लैक फंगस हो सकता है।
लोग खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें। लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें, इससे बीमारी बढ़ सकती है। स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं। वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को और इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी है।
इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं। स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें। घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।
आईजीएमसी को एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि आईजीएमसी में एक मरीज का ब्लैक फंगस को लेकर सैंपल लिया गया जिसकी पुष्टि की जा चुकी है।
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