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शिमला ,20 जनवरी [ विशाल सूद ] ! 500 वर्ष के लंबे संघर्ष, त्याग ,बलिदान के बाद न्यायालय के फैसले के चलते अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ और अब रामलाल 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हो रहे हैं ।इस राम मंदिर के आंदोलन में हिमाचल प्रदेश के अनेक राम भक्त शामिल रहे। जिन्हें कारसेवा करने व कारसेवा में संघर्ष कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का अवसर मिला। इन्हीं कारसेवकों में से एक है शिमला के वरिष्ठ अधिवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से जुड़े हुए भक्ति प्रकाश शर्मा जो वरिष्ठ अधिवक्ता है, संघ के विचारों व हिंदू विचारों से ओतप्रोत है , 1990 की कारसेवा में बीपी शर्मा को भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ। भक्ति प्रकाश शर्मा उन दिनों के संस्मरणों को याद करते हुए बताते हैं कि 1990 में जब कारसेवा का आवाहन हुआ, तब रामलला का मंदिर अयोध्या में बने ऐसे भाव को लेकर के मैं भी कर सेवा में जाने के लिए तैयार हुआ । उस समय अक्टूबर माह के आखिरी हफ्ते में 40 कारसेवकों के जत्थे के के साथ कारसेवा के लिए शिमला से कालका तक विशेष बस में गए। कालका से फैजाबाद के लिए रवाना हुए ।राम भजन राम के नारे लगाते हुए सफर आगे बढ़ता गया। उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते ही पुलिस की सख्ती दिखनी शुरू हो गई, सबके मन में यह विचार आ गया की जैसे पुलिस कारसेवकों को पकड़ रही है, ऐसे में अयोध्या में पहुंचना कठिन भी हो सकता है और कुछ भी हो सकता है । अयोध्या से तनाव की खबरें भी आ रही थी लेकिन हौसले बुलंद थे कि कुछ भी हो जाए कार सेवा में जाकर रहेंगे। 28 अक्टूबर 1990 को मुरादाबाद रेलवे स्टेशन में रेलगाड़ी को पुलिस ने घेर लिया ।चुन चुन कर राम भक्तों को ट्रेन से उतारने लगे। हम 40 लोगों को भी ट्रेन से उतार गया, पूछताछ की गई, हमने भी रामलला के जयकारे लगाए ,उद्घोष किया और वहां कारसेवकों की देखरेख करने के लिए स्थानीय लोग भी उपस्थित रहे यह देख कर खुशी हुई कि कारसेवकों के प्रति कितनी श्रद्धा है।उन्होंने भोजन के पैकेट भी उपलब्ध करवाए। पुलिस पकड़ कर बिजनौर ले गई ,वहां एक स्कूल को जेल में तब्दील किया हुआ था । दो दिन उस स्कूल में रखा गया, पुलिस की सुरक्षा में दो दिन बाद पुलिसकर्मियों ने बताया कि इस अस्थाई जेल पर आंतकी हमला हो सकता है। तभी तुरंत सभी वहां रखे गए राम भक्तों को बिजनौर जेल ले जाया गया, वहां बरामदे में रखा गया। यहां पूरा समय कारसेवकों के साथ भजन करते हुए ,कर सेवा की चिंता करते हुए ,जब गोलियों की खबर आई थी उसे समय खून खोलता था कि आखिर ऐसा श्री राम की धरती पर कैसे जुल्म हो रहा है। हम सब का मन करता था कि जेल तोड़कर के भाग जाएं कारसेवा के लिए जाए।पुलिस के पहरे में हम लगातार राम भजन करते रहे, राशन लेकर खुद खाना पकाते रहे ।6 नवंबर1990 को पुलिस ने जेल से छोड़ा ।उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों के अनुसार विशेष बस में पुलिसकर्मियों के बीच सभी कारसेवकों को शिमला भेजा गया। यूपी सरकार को यह डर भी था कि यह कार सेवक अगर छोड़ दिए तो वापस अयोध्या की तरफ ना चले जाएं ।हम वापस आए मन मे जो मलाल भी रहा की गोलियां भी चल गई कारसेवक शहीद भी हो गए, ढांचा वहीं रहा यह मलाल 1992 में दूर हुआ तब खुशी हुई की बाबर द्वारा आक्रमण करके जबरन तोड़ेंगे मंदिर के स्थल को मुक्त करवा लिया गया है। अब एक ही सपना था की भव्य मंदिर उस स्थल पर बने ।उस समय कारसेवा में जो मेरे साथ गए उनमें पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज भगत राम चौहान ,देशबंधु ,अजय शर्मा जंगी ,अनिल शर्मा ,सुमेश डोगरा एडवोकेट ,राजेंद्र पाल व अशोक सूद सहित अन्य कार सेवक शामिल रहे। अब जब भव्य राम मंदिर बन गया है पूरा देश विश्व राम के रंग में रंगा हुआ है, तो मुझे खुशी है कि 500 वर्ष के लंबे संघर्ष में एक छोटा सा योगदान करसेवक के रूप में मेरा भी रहा है और परिवार का सहयोग भी रहा कार सेवा में जाने के लिए । अब खुशी है कि रामलला विराजमान हो रहे हैं ।जब भी समय मिलेगा जरूर अयोध्या में भव्य मंदिर और रामलला के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करूंगा। केंद्र की मोदी सरकार व उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का धन्यवाद जरुर व्यक्त करना चाहूंगा कि एक भव्य मंदिर बनने का रास्ता प्रशस्त किया है। भाजपा इस आंदोलन के साथ जुड़ी रही है इसलिए वह खुशी मना रहे हैं यह अच्छी बात है। दुख इस बात का है की राजनीति के चलते कुछ दल श्री राम का विरोध कर रहे हैं जो सही नहीं है ,राजनीति अलग है श्री राम के भव्यता ,मर्यादा उनका धाम अयोध्या श्रेष्ठ है विश्व भर में।
शिमला ,20 जनवरी [ विशाल सूद ] ! 500 वर्ष के लंबे संघर्ष, त्याग ,बलिदान के बाद न्यायालय के फैसले के चलते अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ और अब रामलाल 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हो रहे हैं ।इस राम मंदिर के आंदोलन में हिमाचल प्रदेश के अनेक राम भक्त शामिल रहे। जिन्हें कारसेवा करने व कारसेवा में संघर्ष कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का अवसर मिला।
इन्हीं कारसेवकों में से एक है शिमला के वरिष्ठ अधिवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से जुड़े हुए भक्ति प्रकाश शर्मा जो वरिष्ठ अधिवक्ता है, संघ के विचारों व हिंदू विचारों से ओतप्रोत है , 1990 की कारसेवा में बीपी शर्मा को भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ। भक्ति प्रकाश शर्मा उन दिनों के संस्मरणों को याद करते हुए बताते हैं कि 1990 में जब कारसेवा का आवाहन हुआ, तब रामलला का मंदिर अयोध्या में बने ऐसे भाव को लेकर के मैं भी कर सेवा में जाने के लिए तैयार हुआ ।
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उस समय अक्टूबर माह के आखिरी हफ्ते में 40 कारसेवकों के जत्थे के के साथ कारसेवा के लिए शिमला से कालका तक विशेष बस में गए। कालका से फैजाबाद के लिए रवाना हुए ।राम भजन राम के नारे लगाते हुए सफर आगे बढ़ता गया। उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते ही पुलिस की सख्ती दिखनी शुरू हो गई, सबके मन में यह विचार आ गया की जैसे पुलिस कारसेवकों को पकड़ रही है, ऐसे में अयोध्या में पहुंचना कठिन भी हो सकता है और कुछ भी हो सकता है ।
अयोध्या से तनाव की खबरें भी आ रही थी लेकिन हौसले बुलंद थे कि कुछ भी हो जाए कार सेवा में जाकर रहेंगे। 28 अक्टूबर 1990 को मुरादाबाद रेलवे स्टेशन में रेलगाड़ी को पुलिस ने घेर लिया ।चुन चुन कर राम भक्तों को ट्रेन से उतारने लगे। हम 40 लोगों को भी ट्रेन से उतार गया, पूछताछ की गई, हमने भी रामलला के जयकारे लगाए ,उद्घोष किया और वहां कारसेवकों की देखरेख करने के लिए स्थानीय लोग भी उपस्थित रहे यह देख कर खुशी हुई कि कारसेवकों के प्रति कितनी श्रद्धा है।उन्होंने भोजन के पैकेट भी उपलब्ध करवाए। पुलिस पकड़ कर बिजनौर ले गई ,वहां एक स्कूल को जेल में तब्दील किया हुआ था ।
दो दिन उस स्कूल में रखा गया, पुलिस की सुरक्षा में दो दिन बाद पुलिसकर्मियों ने बताया कि इस अस्थाई जेल पर आंतकी हमला हो सकता है। तभी तुरंत सभी वहां रखे गए राम भक्तों को बिजनौर जेल ले जाया गया, वहां बरामदे में रखा गया। यहां पूरा समय कारसेवकों के साथ भजन करते हुए ,कर सेवा की चिंता करते हुए ,जब गोलियों की खबर आई थी उसे समय खून खोलता था कि आखिर ऐसा श्री राम की धरती पर कैसे जुल्म हो रहा है।
हम सब का मन करता था कि जेल तोड़कर के भाग जाएं कारसेवा के लिए जाए।पुलिस के पहरे में हम लगातार राम भजन करते रहे, राशन लेकर खुद खाना पकाते रहे ।6 नवंबर1990 को पुलिस ने जेल से छोड़ा ।उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों के अनुसार विशेष बस में पुलिसकर्मियों के बीच सभी कारसेवकों को शिमला भेजा गया। यूपी सरकार को यह डर भी था कि यह कार सेवक अगर छोड़ दिए तो वापस अयोध्या की तरफ ना चले जाएं ।हम वापस आए मन मे जो मलाल भी रहा की गोलियां भी चल गई कारसेवक शहीद भी हो गए, ढांचा वहीं रहा यह मलाल 1992 में दूर हुआ तब खुशी हुई की बाबर द्वारा आक्रमण करके जबरन तोड़ेंगे मंदिर के स्थल को मुक्त करवा लिया गया है।
अब एक ही सपना था की भव्य मंदिर उस स्थल पर बने ।उस समय कारसेवा में जो मेरे साथ गए उनमें पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज भगत राम चौहान ,देशबंधु ,अजय शर्मा जंगी ,अनिल शर्मा ,सुमेश डोगरा एडवोकेट ,राजेंद्र पाल व अशोक सूद सहित अन्य कार सेवक शामिल रहे। अब जब भव्य राम मंदिर बन गया है पूरा देश विश्व राम के रंग में रंगा हुआ है, तो मुझे खुशी है कि 500 वर्ष के लंबे संघर्ष में एक छोटा सा योगदान करसेवक के रूप में मेरा भी रहा है और परिवार का सहयोग भी रहा कार सेवा में जाने के लिए ।
अब खुशी है कि रामलला विराजमान हो रहे हैं ।जब भी समय मिलेगा जरूर अयोध्या में भव्य मंदिर और रामलला के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करूंगा। केंद्र की मोदी सरकार व उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का धन्यवाद जरुर व्यक्त करना चाहूंगा कि एक भव्य मंदिर बनने का रास्ता प्रशस्त किया है। भाजपा इस आंदोलन के साथ जुड़ी रही है इसलिए वह खुशी मना रहे हैं यह अच्छी बात है। दुख इस बात का है की राजनीति के चलते कुछ दल श्री राम का विरोध कर रहे हैं जो सही नहीं है ,राजनीति अलग है श्री राम के भव्यता ,मर्यादा उनका धाम अयोध्या श्रेष्ठ है विश्व भर में।
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