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शिमला , 11 अगस्त [ विशाल सूद ] ! लगातार हो रही भारी बारिश और जगह-जगह भूस्खलन की घटनाओं ने इस साल प्रदेश के पर्यटन उद्योग को गहरी चोट पहुंचाई है। मौसम विभाग की चेतावनियों और सड़क मार्गों के बार-बार बाधित होने के कारण पर्यटकों का रुख प्रदेश की ओर लगभग थम सा गया है। पहाड़ों की ओर घूमने आने वाले सैलानियों की भीड़ जहां हर साल जुलाई–अगस्त में चरम पर होती थी, वहीं इस बार होटलों के कमरे खाली पड़े हैं, टैक्सी स्टैंड सूने हैं और बाजारों में रौनक गायब हो गई है। पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि हालात इतने खराब हैं कि इस साल का सीजन “कोरोना काल” से भी बदतर साबित हो रहा है। प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए जाने वाली कई सड़कें भूस्खलन के कारण बंद पड़ी हैं। कुछ मार्गों पर तो बहाल होते ही दोबारा मलबा आने से ट्रैफिक ठप हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों में पर्यटक अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यात्रा टाल रहे हैं।होटल संचालक, रेस्टोरेंट मालिक और टूर ऑपरेटर अब सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि लगातार दो से तीन महीने का नुकसान पूरे साल की कमाई पर पानी फेर देगा। प्रदेश व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष इंद्र जीत सिंह ने कहा कि “पहले करोना ने हमें आर्थिक तौर पर कमजोर किया, अब बारिश और लैंडस्लाइड ने। बैंक की किश्तें और कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो गया है। पर्यटन कारोबारियों ने मांग की है कि सरकार पर्यटन उद्योग को इस बुरे वक्त से उबारने के लिए पर्यटन कारोबारियों मदद करे ताकि वे अपने स्टाफ का वेतन देने की स्थिति में आ सके । समय देने जैसे कदम उठाए
शिमला , 11 अगस्त [ विशाल सूद ] ! लगातार हो रही भारी बारिश और जगह-जगह भूस्खलन की घटनाओं ने इस साल प्रदेश के पर्यटन उद्योग को गहरी चोट पहुंचाई है। मौसम विभाग की चेतावनियों और सड़क मार्गों के बार-बार बाधित होने के कारण पर्यटकों का रुख प्रदेश की ओर लगभग थम सा गया है।
पहाड़ों की ओर घूमने आने वाले सैलानियों की भीड़ जहां हर साल जुलाई–अगस्त में चरम पर होती थी, वहीं इस बार होटलों के कमरे खाली पड़े हैं, टैक्सी स्टैंड सूने हैं और बाजारों में रौनक गायब हो गई है। पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि हालात इतने खराब हैं कि इस साल का सीजन “कोरोना काल” से भी बदतर साबित हो रहा है।
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प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए जाने वाली कई सड़कें भूस्खलन के कारण बंद पड़ी हैं। कुछ मार्गों पर तो बहाल होते ही दोबारा मलबा आने से ट्रैफिक ठप हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों में पर्यटक अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यात्रा टाल रहे हैं।होटल संचालक, रेस्टोरेंट मालिक और टूर ऑपरेटर अब सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि लगातार दो से तीन महीने का नुकसान पूरे साल की कमाई पर पानी फेर देगा।
प्रदेश व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष इंद्र जीत सिंह ने कहा कि “पहले करोना ने हमें आर्थिक तौर पर कमजोर किया, अब बारिश और लैंडस्लाइड ने। बैंक की किश्तें और कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो गया है।
पर्यटन कारोबारियों ने मांग की है कि सरकार पर्यटन उद्योग को इस बुरे वक्त से उबारने के लिए पर्यटन कारोबारियों मदद करे ताकि वे अपने स्टाफ का वेतन देने की स्थिति में आ सके । समय देने जैसे कदम उठाए
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