
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला ,24 जनवरी ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता और एकता में है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों, परंपराओं और प्रथाओं के संपर्क से राज्यों के बीच समझ और जुड़ाव बढ़ेगा। इसप्रकार ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की परिकल्पना से भारत की एकता और अखंडता और मजबूत होगी। राज्यपाल आज यहां उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस पर राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में बोल रहे थे। हिमाचल में रह रहे उत्तरप्रदेश के नागरिकों को राज्य के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि एक ऐसा दिवस है जब अयोध्यावासी माता सीता के श्राप से मुक्त हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या भगावान राम की जन्मस्थली है। यह सांस्कृतिक राजधानी रही है, जन कल्याण की राजधानी कही जाती रही है। लेकिन, अयोध्यावासियों ने मां सीता के अस्तित्व को जो चुनौती दी थी वे माता सीता के न रहने से अधूरी हो गई थी।’’ उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन हिंदुस्तान के इतिहास में नहीं बल्कि विश्व के इतिहास में अमर हो गया है, जब प्रभु श्रीराम अयोध्या में पुनः मंदिर में स्थापित हुए और अयोध्या माता सीता के श्राप से मुक्त हुई। शुक्ल ने कहा कि यह दिन धर्म के उत्थान का नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्थान का दिन था। उन्होंने कहा कि धर्म सबके अलग-अलग हो सकते हैं। जो धारण करने योग्य हो वही धर्म है। उन्होंने कहा कि धर्म की परिभाषा हमेशा अपने अस्तित्व के साथ लोगों के जीवन पद्धति से जुड़ी रहती है। लेकिन, हमारी सांस्कृतिक विरासत सब के लिए होती है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति हमेशा सबको गुरुत्व का संदेश देती रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सभी धर्मों की आस्था का केंद्र रहा है। बौद्ध, जैन से लेकर रहीम के दान की संस्कृति भी उत्तर प्रदेश से उपजी, सूर्य के काव्य का प्रेम भी उत्तर प्रदेश से उपजा और मीरा की भक्ति भी उत्तर प्रदेश में ही आकर समाहित हुई। राज्यपाल ने कहा कि दिल्ली भले ही राजनीतिक राजधानी हो लेकिन भारत की सांस्कृतिक राजधानी उत्तर प्रदेश ही है। उन्होंने काशी के कॉरीडोर की भव्यता और अयोध्या के राम मंदिर की दिव्यता दुनिया ने देखी है। यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने हिन्दुस्थान की अस्मिता को उभार कर नई ऊंचाइयां देने का काम किया। जिनकी वजह से आज हम गौरवान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का उत्सव पूरी दुनिया ने मनाया जहां भारतवंशी रहते हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राजभवन हर प्रदेश के स्थापना दिवस को बढ़-चढ़कर मनाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने इस अवसर पर गुरु कुन्दन लाल गंगानी फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए फाउंडेशन को 40 हजार रुपये देने की घोषणा भी की। इससे पूर्व, उन्होंने उत्तरप्रदेश के हिमाचल मेें रहे रहे नागरिकों को हिमाचली टोपी, शाल, राममंदिर का चित्र और गमला भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर, उत्तर प्रदेश के धरोहर नगरो, स्मारकों और संस्कृति को लेकर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। राज्यपाल के सचिव श्री राजेश शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
शिमला ,24 जनवरी ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता और एकता में है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों, परंपराओं और प्रथाओं के संपर्क से राज्यों के बीच समझ और जुड़ाव बढ़ेगा। इसप्रकार ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की परिकल्पना से भारत की एकता और अखंडता और मजबूत होगी।
राज्यपाल आज यहां उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस पर राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में बोल रहे थे। हिमाचल में रह रहे उत्तरप्रदेश के नागरिकों को राज्य के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि एक ऐसा दिवस है जब अयोध्यावासी माता सीता के श्राप से मुक्त हुए हैं।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या भगावान राम की जन्मस्थली है। यह सांस्कृतिक राजधानी रही है, जन कल्याण की राजधानी कही जाती रही है। लेकिन, अयोध्यावासियों ने मां सीता के अस्तित्व को जो चुनौती दी थी वे माता सीता के न रहने से अधूरी हो गई थी।’’ उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन हिंदुस्तान के इतिहास में नहीं बल्कि विश्व के इतिहास में अमर हो गया है, जब प्रभु श्रीराम अयोध्या में पुनः मंदिर में स्थापित हुए और अयोध्या माता सीता के श्राप से मुक्त हुई।
शुक्ल ने कहा कि यह दिन धर्म के उत्थान का नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्थान का दिन था। उन्होंने कहा कि धर्म सबके अलग-अलग हो सकते हैं। जो धारण करने योग्य हो वही धर्म है। उन्होंने कहा कि धर्म की परिभाषा हमेशा अपने अस्तित्व के साथ लोगों के जीवन पद्धति से जुड़ी रहती है। लेकिन, हमारी सांस्कृतिक विरासत सब के लिए होती है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति हमेशा सबको गुरुत्व का संदेश देती रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सभी धर्मों की आस्था का केंद्र रहा है। बौद्ध, जैन से लेकर रहीम के दान की संस्कृति भी उत्तर प्रदेश से उपजी, सूर्य के काव्य का प्रेम भी उत्तर प्रदेश से उपजा और मीरा की भक्ति भी उत्तर प्रदेश में ही आकर समाहित हुई। राज्यपाल ने कहा कि दिल्ली भले ही राजनीतिक राजधानी हो लेकिन भारत की सांस्कृतिक राजधानी उत्तर प्रदेश ही है।
उन्होंने काशी के कॉरीडोर की भव्यता और अयोध्या के राम मंदिर की दिव्यता दुनिया ने देखी है। यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने हिन्दुस्थान की अस्मिता को उभार कर नई ऊंचाइयां देने का काम किया। जिनकी वजह से आज हम गौरवान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का उत्सव पूरी दुनिया ने मनाया जहां भारतवंशी रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राजभवन हर प्रदेश के स्थापना दिवस को बढ़-चढ़कर मनाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने इस अवसर पर गुरु कुन्दन लाल गंगानी फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए फाउंडेशन को 40 हजार रुपये देने की घोषणा भी की।
इससे पूर्व, उन्होंने उत्तरप्रदेश के हिमाचल मेें रहे रहे नागरिकों को हिमाचली टोपी, शाल, राममंदिर का चित्र और गमला भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर, उत्तर प्रदेश के धरोहर नगरो, स्मारकों और संस्कृति को लेकर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। राज्यपाल के सचिव श्री राजेश शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -