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सोलन ! डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी का चयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा योजना (एनएएचईपी) में हुआ है। राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा योजना के तहत, नौणी विवि को प्रतिष्ठित संस्थागत विकास परियोजना (IDP) के लिए चुना गया है। इस तीन-वर्षीय परियोजना का कुल परिव्यय 25 करोड़ रुपये है, जिसमें आईसीएआर का हिस्सा 20 करोड़ रुपये और राज्य द्वारा 5 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया जाएगा। विश्वविद्यालय के इतिहास की यह सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है और विवि के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि देश के कुछ चुनिंदा कृषि विश्वविद्यालयों को ही इस परियोजना के लिए चुना गया है। स्नातक छात्रों और विवि के संकाय को सीखने और सिखाने का एक समग्र वातावरण प्रदान करने में यह मदद करेगा। वैज्ञानिकों और छात्रों को विचारों के आदान-प्रदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में जाने का सुनहरा अवसर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति परियोजना के प्रोजेक्ट लीडर जबकि विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर और विभाग अध्यक्ष डॉ केके रैना परियोजना के समन्वयक और प्रधान अन्वेषक हैं। ‘नव संसाधन उत्पन्न करने के लिए बागवानी और वानिकी में गुणवत्ता शिक्षा' नामक इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय की स्नातक शिक्षा को नवीन और आधुनिक शिक्षाशास्त्र, कौशल विकास, प्लेसमेंट के अवसरों में सुधार और वैश्विक सोच और इनपुट के माध्यम से उद्यमशीलता को उत्प्रेरित करना। आईडीपी के तहत, विश्वविद्यालय छात्र एक्स्चेंज और संकाय विकास कार्यक्रमों के लिए प्रमुख शिक्षाविदों और उद्योगों के साथ सहयोग को मजबूत करेगा। प्रतियोगिता के माध्यम से लगभग 150 स्नातक छात्रों और 50 संकाय सदस्यों का चयन किया जाएगा, जिनको 3-6 महीने की अवधि के लिए शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों का दौरा करने का मौका दिया जाएगा। वेबिनार और संगोष्ठियों, कार्यशाला और क्षमता निर्माण, और उद्योग के विशेषज्ञों को भी ऐडजंक्ट फ़ैकल्टि के रूप में शामिल करने का परियोजना में प्रावधान है। छात्र सुविधाओं के निर्माण के अलावा, विश्वविद्यालय कौशल विकास में सुधार के लिए भाषा प्रयोगशालाओं, आठ स्मार्ट और दो वर्चुअल क्लासरूम की स्थापना भी करेगा। परियोजना में खाना पकाने, लाइटींग की व्यवस्था, बैटरी चालित वाहनों के उपयोग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग जैसी हरित पहल और परिसर के भूनिर्माण और प्रकृति पार्कों के विकास पर भी जोर दिया जाएगा। समशीतोष्ण बागवानी और वानिकी फसलों पर शॉर्ट टर्म इंटरनेशनल सर्टिफिकेट कोर्स का विकास और नौकरी और इंटर्नशिप के अवसरों को बनाने के लिए एक सक्रिय औद्योगिक इंटरफ़ेस विकसित करके छात्र विकास और कैरियर डेव्लपमेंट सेल को मजबूत करना इस परियोजना का एक हिस्सा है। कमजोर छात्रों की ओर विशेष ध्यान, हाईटेक प्लांट नर्सरी, प्रसंस्कृत खाद्य और वन उत्पाद पर कृषि-ऊष्मायन केंद्र, उद्यमशीलता और कृषि व्यवसाय कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। परियोजना के तहत कई कार्य शुरू हो चुके हैं, और नए बागानों को स्थापित करने की पहल की गई है। छात्र उत्सुकता से इस परियोजना का इंतजार कर रहे हैं और सक्रिय रूप से सभी गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। शनिवार को कुलपति डॉ परविंदर कौशल की अध्यक्षता में कोर प्रोजेक्ट टीम और वैधानिक अधिकारियों की समीक्षा बैठक हुई। निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ पीके महाजन, डीन डॉ भूपिंदर गुप्ता और डॉ एमएल भारद्वाज ने भी बैठक में भाग लिया।
सोलन ! डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी का चयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा योजना (एनएएचईपी) में हुआ है। राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा योजना के तहत, नौणी विवि को प्रतिष्ठित संस्थागत विकास परियोजना (IDP) के लिए चुना गया है। इस तीन-वर्षीय परियोजना का कुल परिव्यय 25 करोड़ रुपये है, जिसमें आईसीएआर का हिस्सा 20 करोड़ रुपये और राज्य द्वारा 5 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के इतिहास की यह सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है और विवि के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि देश के कुछ चुनिंदा कृषि विश्वविद्यालयों को ही इस परियोजना के लिए चुना गया है। स्नातक छात्रों और विवि के संकाय को सीखने और सिखाने का एक समग्र वातावरण प्रदान करने में यह मदद करेगा। वैज्ञानिकों और छात्रों को विचारों के आदान-प्रदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में जाने का सुनहरा अवसर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति परियोजना के प्रोजेक्ट लीडर जबकि विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर और विभाग अध्यक्ष डॉ केके रैना परियोजना के समन्वयक और प्रधान अन्वेषक हैं।
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‘नव संसाधन उत्पन्न करने के लिए बागवानी और वानिकी में गुणवत्ता शिक्षा' नामक इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय की स्नातक शिक्षा को नवीन और आधुनिक शिक्षाशास्त्र, कौशल विकास, प्लेसमेंट के अवसरों में सुधार और वैश्विक सोच और इनपुट के माध्यम से उद्यमशीलता को उत्प्रेरित करना। आईडीपी के तहत, विश्वविद्यालय छात्र एक्स्चेंज और संकाय विकास कार्यक्रमों के लिए प्रमुख शिक्षाविदों और उद्योगों के साथ सहयोग को मजबूत करेगा। प्रतियोगिता के माध्यम से लगभग 150 स्नातक छात्रों और 50 संकाय सदस्यों का चयन किया जाएगा, जिनको 3-6 महीने की अवधि के लिए शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों का दौरा करने का मौका दिया जाएगा।
वेबिनार और संगोष्ठियों, कार्यशाला और क्षमता निर्माण, और उद्योग के विशेषज्ञों को भी ऐडजंक्ट फ़ैकल्टि के रूप में शामिल करने का परियोजना में प्रावधान है। छात्र सुविधाओं के निर्माण के अलावा, विश्वविद्यालय कौशल विकास में सुधार के लिए भाषा प्रयोगशालाओं, आठ स्मार्ट और दो वर्चुअल क्लासरूम की स्थापना भी करेगा। परियोजना में खाना पकाने, लाइटींग की व्यवस्था, बैटरी चालित वाहनों के उपयोग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग जैसी हरित पहल और परिसर के भूनिर्माण और प्रकृति पार्कों के विकास पर भी जोर दिया जाएगा। समशीतोष्ण बागवानी और वानिकी फसलों पर शॉर्ट टर्म इंटरनेशनल सर्टिफिकेट कोर्स का विकास और नौकरी और इंटर्नशिप के अवसरों को बनाने के लिए एक सक्रिय औद्योगिक इंटरफ़ेस विकसित करके छात्र विकास और कैरियर डेव्लपमेंट सेल को मजबूत करना इस परियोजना का एक हिस्सा है। कमजोर छात्रों की ओर विशेष ध्यान, हाईटेक प्लांट नर्सरी, प्रसंस्कृत खाद्य और वन उत्पाद पर कृषि-ऊष्मायन केंद्र, उद्यमशीलता और कृषि व्यवसाय कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
परियोजना के तहत कई कार्य शुरू हो चुके हैं, और नए बागानों को स्थापित करने की पहल की गई है। छात्र उत्सुकता से इस परियोजना का इंतजार कर रहे हैं और सक्रिय रूप से सभी गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। शनिवार को कुलपति डॉ परविंदर कौशल की अध्यक्षता में कोर प्रोजेक्ट टीम और वैधानिक अधिकारियों की समीक्षा बैठक हुई। निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ पीके महाजन, डीन डॉ भूपिंदर गुप्ता और डॉ एमएल भारद्वाज ने भी बैठक में भाग लिया।
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