
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
आरोग्य भारती हिमाचल ईकाई द्वारा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बरोटीवाला में किशोरी स्वस्थ्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें आरोग्य भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. सुमन शर्मा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुई। वहीं हरियाणा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य मनिंदर कौर ने विशेष रूप से शिरकत की। डा. सुमन शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि आम तौर किशोरियों पर 10 से 16 वर्ष के बीच में शरीर में यौवन शुरू होता है। यह एक बच्चे की परिपक्व होने की क्रमिक प्रक्रिया होती है। प्रत्येक व्यक्ति में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। शरीर, व्यवहार, और जीवन शैली में परिवर्तन उनमें से कुछ हैं। इस प्रक्रिया के दौरान होने वाले परिवर्तन शरीर, हाथों, पैरों और कमर के आस-पास दिखाई देते हैं। जिनमें से प्रमुख तौर पर शरीर के यौन अंग बड़े होते हैं और हार्मोन का उत्पादन शुरू होता है। इसके इलावा त्वचा का और अधिक विकास हो सकता है। इसी के साथ ही कई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बचपन और किशोरावस्था में उभर सकती हैं, जिन्हें हम अपने सामाजिक कौशल, समस्याएं सुलझाने के कौशल और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी करके उनका समाधान निकाल सकते हैं। इस तरह के आचरण, विकार, चिंता, अवसाद के साथ ही यौन व्यवहार में भी परिवर्तन का कारक हो सकते हैं। इसलिए सामाजिक कौशल एवं आत्मविश्वास जैसे व्यवहार के रूप मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि अवैध पदार्थ, त बाकू और शराब, स्वस्थ विकास की स्थिति के लिए बहुत बड़ी बाधा हैं। इसलिए हमें ऐसी आदतों से हमेशा बचना चाहिए। इस अवसर पर डा. अक्षत ठाकुर, डा. सुमन शर्मा, मनिंनदर कौर, डा. श्रीकान्त शर्मा, अनिल शर्मा, किशोर ठाकुर आदि अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
आरोग्य भारती हिमाचल ईकाई द्वारा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बरोटीवाला में किशोरी स्वस्थ्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें आरोग्य भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. सुमन शर्मा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुई। वहीं हरियाणा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य मनिंदर कौर ने विशेष रूप से शिरकत की। डा. सुमन शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि आम तौर किशोरियों पर 10 से 16 वर्ष के बीच में शरीर में यौवन शुरू होता है। यह एक बच्चे की परिपक्व होने की क्रमिक प्रक्रिया होती है। प्रत्येक व्यक्ति में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। शरीर, व्यवहार, और जीवन शैली में परिवर्तन उनमें से कुछ हैं। इस प्रक्रिया के दौरान होने वाले परिवर्तन शरीर, हाथों, पैरों और कमर के आस-पास दिखाई देते हैं। जिनमें से प्रमुख तौर पर शरीर के यौन अंग बड़े होते हैं और हार्मोन का उत्पादन शुरू होता है।
इसके इलावा त्वचा का और अधिक विकास हो सकता है। इसी के साथ ही कई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बचपन और किशोरावस्था में उभर सकती हैं, जिन्हें हम अपने सामाजिक कौशल, समस्याएं सुलझाने के कौशल और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी करके उनका समाधान निकाल सकते हैं। इस तरह के आचरण, विकार, चिंता, अवसाद के साथ ही यौन व्यवहार में भी परिवर्तन का कारक हो सकते हैं। इसलिए सामाजिक कौशल एवं आत्मविश्वास जैसे व्यवहार के रूप मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि अवैध पदार्थ, त बाकू और शराब, स्वस्थ विकास की स्थिति के लिए बहुत बड़ी बाधा हैं। इसलिए हमें ऐसी आदतों से हमेशा बचना चाहिए। इस अवसर पर डा. अक्षत ठाकुर, डा. सुमन शर्मा, मनिंनदर कौर, डा. श्रीकान्त शर्मा, अनिल शर्मा, किशोर ठाकुर आदि अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -