- विज्ञापन (Article Top Ad) -
करसोग । दशकों की मेहनत से गांववासियों ने सहेज कर रखा हुआ था जंगल हिमाचल प्रदेश में 66 प्रतिशत भूमि पर जंगल है और हिमाचल वासियों को अपने जंगल पहाड़ों पर नाज है। लेकिन जैसे-जैसे गर्मियां शुरू होती हैं तो प्रदेश के कोने-कोने से जंगल, घर, मकान, गउशालाएं जलने के बुरे समाचार आने भी शुरू हो जाते हैं। एक ऐसा ही वाक्या करसोग उपमंडल के बेहद खूबसूरत और अपनी कृषि के लिए सुप्रसिद्ध गांव नांज में पेश आया। गांव के जंगलों में बुधवार की रात को आग भड़क गई। इस आग में गांव के पास स्थित जंगल और लाखों रूपये की वन संपदा जलकर राख हो गई है। आग दो दिनों तक भड़की रही। वह आग आज यानी शनिवार को जाकर शांत हुई है लेकिन पूरे इलाके में धुआं छाया हुआ है। कृषि वैज्ञानिक और नांज निवासी नेकराम शर्मा ने बताया कि जंगल सरंक्षण और जंगल को आग से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपये का बजट बनाया जाता है। केंद्र सरकार ने भी कैंपा योजना के तहत हिमाचल सरकार को इस साल 1600 करोड़ रुपये प्रदान की हैं। फायर सीजन से पहले प्रशासन द्वारा जो तैयारियां की जानी चाहिए थी वह पूरी नहीं हुई, हमने अप्रैल महीने से ही प्रशासन को अवगत करवाना शुरू कर दिया था। लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई। पीढ़ियों से हमने इस जंगल को पाल-पोष कर बड़ा किया है, हमें बहुत दुख हो रहा है, इस जंगल में आंवला, दाड़ु व तरह-तरह की जड़ी-बुटियां और वनस्पति थी। नांज के युवा उप प्रधान तेजेंद्र शर्मा का कहना है कि 21 मई को आग लगी जैसे ही आग लगी हमें विभाग को अवगत करवा दिया, हमारे गांव वाले जमा होकर आग बुझाने के लिए गए लेकिन इलाका बहुत बड़ा था, तुरंत काबू नहीं पाया जा सका। विभाग को अवगत करवाया गया तो वह अगले दिन पहुंचा तब तक सैकड़ों एकड़ जंगल जलकर राख हो चुका था। हमारी प्रशासन से मांग है कि वह समय पर तुरंत कार्रवाई करे, अन्यथा यह घटनाएं करसोग के अन्य गांव में भी घट सकती है, जगंल सूख चुका है और अब बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत हैं। सेरी फारेस्ट रेंज ओफिसर गुरदास ने कहा है कि आग से अधिक नुक्सान नहीं हुआ है, घास पति का जंगल था, आग पर काबू पा लिया गया है, फिर से आज आग लगी है उसके पास ही, हम बुझाने के लिये जा रहे हैं. जानवर आदि नहीं मरे हैं.
करसोग । दशकों की मेहनत से गांववासियों ने सहेज कर रखा हुआ था जंगल हिमाचल प्रदेश में 66 प्रतिशत भूमि पर जंगल है और हिमाचल वासियों को अपने जंगल पहाड़ों पर नाज है। लेकिन जैसे-जैसे गर्मियां शुरू होती हैं तो प्रदेश के कोने-कोने से जंगल, घर, मकान, गउशालाएं जलने के बुरे समाचार आने भी शुरू हो जाते हैं। एक ऐसा ही वाक्या करसोग उपमंडल के बेहद खूबसूरत और अपनी कृषि के लिए सुप्रसिद्ध गांव नांज में पेश आया। गांव के जंगलों में बुधवार की रात को आग भड़क गई। इस आग में गांव के पास स्थित जंगल और लाखों रूपये की वन संपदा जलकर राख हो गई है। आग दो दिनों तक भड़की रही। वह आग आज यानी शनिवार को जाकर शांत हुई है लेकिन पूरे इलाके में धुआं छाया हुआ है।
कृषि वैज्ञानिक और नांज निवासी नेकराम शर्मा ने बताया कि जंगल सरंक्षण और जंगल को आग से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपये का बजट बनाया जाता है। केंद्र सरकार ने भी कैंपा योजना के तहत हिमाचल सरकार को इस साल 1600 करोड़ रुपये प्रदान की हैं। फायर सीजन से पहले प्रशासन द्वारा जो तैयारियां की जानी चाहिए थी वह पूरी नहीं हुई, हमने अप्रैल महीने से ही प्रशासन को अवगत करवाना शुरू कर दिया था। लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई। पीढ़ियों से हमने इस जंगल को पाल-पोष कर बड़ा किया है, हमें बहुत दुख हो रहा है, इस जंगल में आंवला, दाड़ु व तरह-तरह की जड़ी-बुटियां और वनस्पति थी।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
नांज के युवा उप प्रधान तेजेंद्र शर्मा का कहना है कि 21 मई को आग लगी जैसे ही आग लगी हमें विभाग को अवगत करवा दिया, हमारे गांव वाले जमा होकर आग बुझाने के लिए गए लेकिन इलाका बहुत बड़ा था, तुरंत काबू नहीं पाया जा सका। विभाग को अवगत करवाया गया तो वह अगले दिन पहुंचा तब तक सैकड़ों एकड़ जंगल जलकर राख हो चुका था। हमारी प्रशासन से मांग है कि वह समय पर तुरंत कार्रवाई करे, अन्यथा यह घटनाएं करसोग के अन्य गांव में भी घट सकती है, जगंल सूख चुका है और अब बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत हैं।
सेरी फारेस्ट रेंज ओफिसर गुरदास ने कहा है कि आग से अधिक नुक्सान नहीं हुआ है, घास पति का जंगल था, आग पर काबू पा लिया गया है, फिर से आज आग लगी है उसके पास ही, हम बुझाने के लिये जा रहे हैं. जानवर आदि नहीं मरे हैं.
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -