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चम्बा ! युवा पीढ़ी के सार्वभौमिक विकास के लिए खेलकूद नितांत आवश्यक है। शुरूआती दौर में छोटे बच्चों के साथ युवा पीढ़ी अगर अपना समय खेलकूद की तरफ लगाती है तो न केवल उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति ही सुदृढ़ होती है अपितु युवा पीढ़ी नशे जैसी बुराइयों से दूर होकर स्वच्छ,और सुदृढ़ भारत निर्माण में अपना योगदान दे सकती है। पर यंहा जानने योग्य बात यह भी है कि वर्षो पहले जिस चौगान नंबर 4 को केवल बच्चो के खेलकूद के लिए बनाया गया था आज उसकी हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि बच्चों का यंहा खेलना तो दूर पर जो अस्पताल के मरीज और उनके अभिभाभक यंहा आकर थोड़ा विश्राम कर करते थे अब वो भी यहां पर गंदगी की बजह से नही आ पा रहे है। इस चौगान के साथ साथ लगती दुकानों के दुकानदारों का जीना और बैठना भी इस दुर्गन्ध के चलते दूभर हो चला है। चम्बा शहर के बीचों बीच यह पार्क राजस्वी काल से बना हुआ है। जिसको कि राजाओ ने बच्चो के खेलने के लिए बनाया था। बताते चले कि चम्बा मुख्यालय के माधयन्त्र कुल मिलाकर पांच चौगान है जिनमे से चार नंबर का चौगान बच्चो के लिए उपयोग में लाया गया है ताकि बच्चे पढ़ने के साथ कुछ समय इस पार्क में खेल कूद सके पर लम्बे समय से इस पार्क की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि इसमें बच्चों का खेलना तो दूर लोग बैठ तक नहीं सकते है। इसको लेकर अगर चम्बा के स्थानीय बुद्धिजीवियों की माने तो उनका कहना है की आज से कुछ महीने पहले यहां पर एक सुंदर पार्क हुआ करता था पर कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से इस पार्क की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि इस पार्क में बच्चों का खेलना तो दूर यंहा आकर कोई व्यक्ति थोड़ी देर के लिए आराम तक नहीं कर सकता है। यह लोग प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से अनुरोध कर रहे हैं की कि जल्द से जल्द इस पार्क की जो स्थिति है उसको सुधारा जाए ताकि बच्चे यहां पर आकर खेल सके और बड़े बुजुर्ग यहां पर आकर बैठ सकें। वही इस पार्क की खस्ता हालत को देखकर अन्य दुकानदारों का कहना है कि पिछले कुछ समय पहले चौगान नंबर 4 का इसी जगह पर काम लगा हुआ था पर पिछले चार-पांच महीनों से इसका काम बंद हो चुका है। उन्होंने बताया की चौगान नंबर 4 जो है वह छोटे बच्चों के लिए खेलने के लिए था पर आज के समय में इस चौगान की हालात इतनी कर खराब हो चुके हैं की इस पार्क में चलना फिरना भी मुश्किल हो गया है इन लोगों का कहना है कि हम यहां के स्थानीय दुकानदार हैं तो हमें यहां बैठने में भी दिक्कत आती है। इस पार्क से इतनी दुर्लभ दुर्गन्ध आती है कि यहां पर बैठा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा इस के साथ ही चौगान नंबर 5 भी है जो कि हॉस्पिटल के साथ है वहां के जो मरीज है इस पार्क में चले आते थे और यहां पर आकर इन दोनों चौगान में बैठा करते थे पर अब तो इतने हालात खराब हो चुके हैं कि इस बदबू में यहां बैठना बहुत मुश्किल हो चुका है। यह सभी लोग जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि इस जगह में बच्चों के पार्क को सही से बनाया जाए। उन्होंने बताया कि बच्चो के खेलने का और कोई दूसरा स्थान नहीं है। इनका कहना है कि अगर यह पार्क बन जाता है तो ना केवल मरीजों के लिए बल्कि बच्चों ओर बूढों के लिए भी यहां बैठने का स्थान हो सकता है।
चम्बा ! युवा पीढ़ी के सार्वभौमिक विकास के लिए खेलकूद नितांत आवश्यक है। शुरूआती दौर में छोटे बच्चों के साथ युवा पीढ़ी अगर अपना समय खेलकूद की तरफ लगाती है तो न केवल उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति ही सुदृढ़ होती है अपितु युवा पीढ़ी नशे जैसी बुराइयों से दूर होकर स्वच्छ,और सुदृढ़ भारत निर्माण में अपना योगदान दे सकती है। पर यंहा जानने योग्य बात यह भी है कि वर्षो पहले जिस चौगान नंबर 4 को केवल बच्चो के खेलकूद के लिए बनाया गया था आज उसकी हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि बच्चों का यंहा खेलना तो दूर पर जो अस्पताल के मरीज और उनके अभिभाभक यंहा आकर थोड़ा विश्राम कर करते थे अब वो भी यहां पर गंदगी की बजह से नही आ पा रहे है। इस चौगान के साथ साथ लगती दुकानों के दुकानदारों का जीना और बैठना भी इस दुर्गन्ध के चलते दूभर हो चला है।
चम्बा शहर के बीचों बीच यह पार्क राजस्वी काल से बना हुआ है। जिसको कि राजाओ ने बच्चो के खेलने के लिए बनाया था। बताते चले कि चम्बा मुख्यालय के माधयन्त्र कुल मिलाकर पांच चौगान है जिनमे से चार नंबर का चौगान बच्चो के लिए उपयोग में लाया गया है ताकि बच्चे पढ़ने के साथ कुछ समय इस पार्क में खेल कूद सके पर लम्बे समय से इस पार्क की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि इसमें बच्चों का खेलना तो दूर लोग बैठ तक नहीं सकते है। इसको लेकर अगर चम्बा के स्थानीय बुद्धिजीवियों की माने तो उनका कहना है की आज से कुछ महीने पहले यहां पर एक सुंदर पार्क हुआ करता था पर कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से इस पार्क की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि इस पार्क में बच्चों का खेलना तो दूर यंहा आकर कोई व्यक्ति थोड़ी देर के लिए आराम तक नहीं कर सकता है। यह लोग प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से अनुरोध कर रहे हैं की कि जल्द से जल्द इस पार्क की जो स्थिति है उसको सुधारा जाए ताकि बच्चे यहां पर आकर खेल सके और बड़े बुजुर्ग यहां पर आकर बैठ सकें।
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वही इस पार्क की खस्ता हालत को देखकर अन्य दुकानदारों का कहना है कि पिछले कुछ समय पहले चौगान नंबर 4 का इसी जगह पर काम लगा हुआ था पर पिछले चार-पांच महीनों से इसका काम बंद हो चुका है। उन्होंने बताया की चौगान नंबर 4 जो है वह छोटे बच्चों के लिए खेलने के लिए था पर आज के समय में इस चौगान की हालात इतनी कर खराब हो चुके हैं की इस पार्क में चलना फिरना भी मुश्किल हो गया है इन लोगों का कहना है कि हम यहां के स्थानीय दुकानदार हैं तो हमें यहां बैठने में भी दिक्कत आती है। इस पार्क से इतनी दुर्लभ दुर्गन्ध आती है कि यहां पर बैठा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा इस के साथ ही चौगान नंबर 5 भी है जो कि हॉस्पिटल के साथ है वहां के जो मरीज है इस पार्क में चले आते थे और यहां पर आकर इन दोनों चौगान में बैठा करते थे पर अब तो इतने हालात खराब हो चुके हैं कि इस बदबू में यहां बैठना बहुत मुश्किल हो चुका है। यह सभी लोग जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि इस जगह में बच्चों के पार्क को सही से बनाया जाए। उन्होंने बताया कि बच्चो के खेलने का और कोई दूसरा स्थान नहीं है। इनका कहना है कि अगर यह पार्क बन जाता है तो ना केवल मरीजों के लिए बल्कि बच्चों ओर बूढों के लिए भी यहां बैठने का स्थान हो सकता है।
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