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चम्बा ,21 नवंबर [ ज्योति ] ! स्वास्थ्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला चम्बा द्वारा आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी चम्बा के सभागार में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह 2023 का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर जालम सिंह भारद्वाज ने की । इस मौके पर जिला चम्बा के सभी ब्लॉकों से आए हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ , स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों तथा आशा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस मौके पर उपस्थित स्वास्थ्य प्रदाताओं को संबोधित करते हुए डॉक्टर भारद्वाज ने बताया कि हर साल 15 नवंबर से 21 नवंबर तक विश्वभर में नवजात शिशु देखबल सप्ताह का आयोजन किया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य जन्म से 28 दिनों में नवजात शिशु की होने वाली सबसे ज्यादा मृत्यु को कम लगाना है। यह समय नवजात के लिए की देखभाल हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण होता है 0 से 1 साल तक की होने वाले बच्चों में कुल मौतों में 35% 0 से 28 दिन के भीतर होती हैं। अतः इस पीरियड के दौरान बच्चों की विशेष देखभाल की जाए जैसे की प्रसव के दौरान उसको ठंड से वचाव किया जाए।इसके लिए प्रसव के कमरे का तापमान उचित गर्माहट वाला हो ,उसके उपरांत उसको तत्काल मां का दूध पिलाया जाए जोकि बच्चों को गर्माहट तथा इम्यूनिटी प्रदान करता है। इसके साथ ही उसको ठंड से बचाने के के लिए उसके सिर तथा पावो को ठीक तरह से ढका जाए अथवा लपेटा जाए, जन्म के बाद उसे कम से कम नहलाया जाए लगभग 48 घंटे तक तो बिल्कुल ही नहीं ।जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों को कंगारू मदर केयर प्रदान की जाए ।इसके अलावा बच्चों को 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध पिलाया जाए 6 माह के उपरांत उसे मां के दूध के साथ-साथ पूरक आहार भी खिलाना शुरू किया जाए। मां का दूध कम से कम 2 साल तक पिलाया जाए तथा बच्चों को राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार बीमारियों से बचाव के लिए लगने वाले सभी टीकों का पूर्ण टीकाकरण किया जाए । नवजात बच्चों में दिखने वाली जनम जात विकृतियों को नोट किया जाए वह उन्हें जल्दी से जल्दी उपचार के लिए उचित स्वास्थ्य संस्थान भेजा जाए ।इसके साथ ही बच्चों में होने वाले जोखिमपुर लक्षणों को पहचान कर जैसे यदि बच्चा कुछ भी खा पी न रहा हो उसमें पीलापन हो उसे बुखार हो उसकी छाती अंदर धंसी हो,सांस की गति तेज हो, वह जो भी खाए पिए उस उल्टी कर दे, उसे ऐंठन या दौरे आए तो उसे तुरंत चिकित्सीय उपचार के लिए उचित स्वास्थ्य संस्थान में भेजा जाए । इन सभी बातों पर ध्यान में रखकर तथा मां को इन सारी बातों में के बारे में जागरूक करके हम नवजात शिशु में 0 से28 दिन के बीच में होने वाली नवजात शिशु मृत्यु दर को कम कर सकते हैं ।इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग से जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर हरित पुरी, एम ईआई ओ सी आर ठाकुर, स्वास्थ्य शिक्षिका निर्मला ठाकुर ,बीसी कोऑर्डिनेटर दीपक जोशी तथा जिला पोषण समन्वयक श्रीमती पूनम सहगल भी उपस्थित रही ।
चम्बा ,21 नवंबर [ ज्योति ] ! स्वास्थ्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला चम्बा द्वारा आज मुख्य चिकित्सा अधिकारी चम्बा के सभागार में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह 2023 का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर जालम सिंह भारद्वाज ने की । इस मौके पर जिला चम्बा के सभी ब्लॉकों से आए हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ , स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों तथा आशा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस मौके पर उपस्थित स्वास्थ्य प्रदाताओं को संबोधित करते हुए डॉक्टर भारद्वाज ने बताया कि हर साल 15 नवंबर से 21 नवंबर तक विश्वभर में नवजात शिशु देखबल सप्ताह का आयोजन किया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य जन्म से 28 दिनों में नवजात शिशु की होने वाली सबसे ज्यादा मृत्यु को कम लगाना है। यह समय नवजात के लिए की देखभाल हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण होता है 0 से 1 साल तक की होने वाले बच्चों में कुल मौतों में 35% 0 से 28 दिन के भीतर होती हैं।
अतः इस पीरियड के दौरान बच्चों की विशेष देखभाल की जाए जैसे की प्रसव के दौरान उसको ठंड से वचाव किया जाए।इसके लिए प्रसव के कमरे का तापमान उचित गर्माहट वाला हो ,उसके उपरांत उसको तत्काल मां का दूध पिलाया जाए जोकि बच्चों को गर्माहट तथा इम्यूनिटी प्रदान करता है। इसके साथ ही उसको ठंड से बचाने के के लिए उसके सिर तथा पावो को ठीक तरह से ढका जाए अथवा लपेटा जाए, जन्म के बाद उसे कम से कम नहलाया जाए लगभग 48 घंटे तक तो बिल्कुल ही नहीं ।जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों को कंगारू मदर केयर प्रदान की जाए ।इसके अलावा बच्चों को 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध पिलाया जाए 6 माह के उपरांत उसे मां के दूध के साथ-साथ पूरक आहार भी खिलाना शुरू किया जाए। मां का दूध कम से कम 2 साल तक पिलाया जाए तथा बच्चों को राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार बीमारियों से बचाव के लिए लगने वाले सभी टीकों का पूर्ण टीकाकरण किया जाए ।
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नवजात बच्चों में दिखने वाली जनम जात विकृतियों को नोट किया जाए वह उन्हें जल्दी से जल्दी उपचार के लिए उचित स्वास्थ्य संस्थान भेजा जाए ।इसके साथ ही बच्चों में होने वाले जोखिमपुर लक्षणों को पहचान कर जैसे यदि बच्चा कुछ भी खा पी न रहा हो उसमें पीलापन हो उसे बुखार हो उसकी छाती अंदर धंसी हो,सांस की गति तेज हो, वह जो भी खाए पिए उस उल्टी कर दे, उसे ऐंठन या दौरे आए तो उसे तुरंत चिकित्सीय उपचार के लिए उचित स्वास्थ्य संस्थान में भेजा जाए ।
इन सभी बातों पर ध्यान में रखकर तथा मां को इन सारी बातों में के बारे में जागरूक करके हम नवजात शिशु में 0 से28 दिन के बीच में होने वाली नवजात शिशु मृत्यु दर को कम कर सकते हैं ।इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग से जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर हरित पुरी, एम ईआई ओ सी आर ठाकुर, स्वास्थ्य शिक्षिका निर्मला ठाकुर ,बीसी कोऑर्डिनेटर दीपक जोशी तथा जिला पोषण समन्वयक श्रीमती पूनम सहगल भी उपस्थित रही ।
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