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सुंदरनगर ! बिहार व उत्तरप्रदेश की सरकारें अपने ही राज्यों के लोगों को वापिस लाने की अनुमति नहीं दे रही है। सरकार की अनुमति नहीं मिलने से यहां पर हजारों की संख्या में फंसे मजदूरों की घर वापसी नहीं हो पा रही है। वहीं प्रशासन से स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी सरकार उन्हें वापिस लाने की अनुमति नहीं देती है उन्हें वापिस नहीं भेजा जा सकता है। अनुमति मिलते ही सभी मजदूरों को प्रशासन वाहनों की व्यवस्था कर वापिस भेजने की प्रक्रिया शुरु कर देगा। अपनी घर वापसी की मांग को लेकर बुधवार को दर्जनों की संख्या में सुंदरनगर के जवाहर पार्क पहुंचे बिहारी मजदूरों ने अधिकारियों से गुहार लगाई। मजदूरों का कहना है कि जिस तरह से कश्मीरी मजदूरों को प्रशासन ने प्रबंध कर यहां से भिजवाया है, उसी तरह उनके लिए भी उन्हें उनके घरों तक छोड़ने की व्यवस्था की जाए। काम नहीं मिलने पर आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। प्रशासन द्वारा पहले तीन दिनों तक तो राशन की व्यवस्था की गई थी। लेकिन उसके बाद उन्हें पूछा तक नहीं गया। जो कुछ जमापूंजी अपने पास थी वह भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इससे पहले की हालात और ज्यादा बिगड़े, हमें यहां से वापिस भेजा जाए। बिहार के मुहम्मद सहाबुदीन, अफजल हुसैन, मुहम्मद गुल फराज ने कहा कि सुंदरनगर में यूपी, बिहार और उत्तराखंड के तीन हजार के करीब मजदूर हैं। उनमें से अकेले बिहार से ही दो हजार मजदूर यहां काम करते हैं। पूरे देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है। यहां उनकी हालत अब पहले जैसी नहीं रही है। अधिकारी वहां की सरकार की अनुमति लाने को कह रहे हैं। यह सब वह कैसे कर पाएंगे।
सुंदरनगर ! बिहार व उत्तरप्रदेश की सरकारें अपने ही राज्यों के लोगों को वापिस लाने की अनुमति नहीं दे रही है। सरकार की अनुमति नहीं मिलने से यहां पर हजारों की संख्या में फंसे मजदूरों की घर वापसी नहीं हो पा रही है। वहीं प्रशासन से स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी सरकार उन्हें वापिस लाने की अनुमति नहीं देती है उन्हें वापिस नहीं भेजा जा सकता है। अनुमति मिलते ही सभी मजदूरों को प्रशासन वाहनों की व्यवस्था कर वापिस भेजने की प्रक्रिया शुरु कर देगा।
अपनी घर वापसी की मांग को लेकर बुधवार को दर्जनों की संख्या में सुंदरनगर के जवाहर पार्क पहुंचे बिहारी मजदूरों ने अधिकारियों से गुहार लगाई। मजदूरों का कहना है कि जिस तरह से कश्मीरी मजदूरों को प्रशासन ने प्रबंध कर यहां से भिजवाया है, उसी तरह उनके लिए भी उन्हें उनके घरों तक छोड़ने की व्यवस्था की जाए। काम नहीं मिलने पर आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है।
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प्रशासन द्वारा पहले तीन दिनों तक तो राशन की व्यवस्था की गई थी। लेकिन उसके बाद उन्हें पूछा तक नहीं गया। जो कुछ जमापूंजी अपने पास थी वह भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इससे पहले की हालात और ज्यादा बिगड़े, हमें यहां से वापिस भेजा जाए। बिहार के मुहम्मद सहाबुदीन, अफजल हुसैन, मुहम्मद गुल फराज ने कहा कि सुंदरनगर में यूपी, बिहार और उत्तराखंड के तीन हजार के करीब मजदूर हैं।
उनमें से अकेले बिहार से ही दो हजार मजदूर यहां काम करते हैं। पूरे देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है। यहां उनकी हालत अब पहले जैसी नहीं रही है। अधिकारी वहां की सरकार की अनुमति लाने को कह रहे हैं। यह सब वह कैसे कर पाएंगे।
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