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शिमला ! आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू का एक प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय एवं महिला विकास विभाग के सचिव से मिला व उन्हें ग्यारह सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कर्मियों को मांगें पूर्ण करने का आश्वासन दिया। यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल,कार्यकारी महासचिव वीना देवी व महासचिव राजकुमारी ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी वर्करज़ को प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त न किया,आईसीडीएस का निजीकरण करने की कोशिश की गई व आंगनबाड़ी वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित न किया तो आंदोलन और तेज़ होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग की है क्योंकि यह न केवल छात्र विरोधी है अपितु आइसीडीएस विरोधी भी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आइसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। इस से भविष्य में कर्मियों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार को साफ शब्दों में चेताया है कि कोरोना महामारी के दौर में कोरोना मैपिंग के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रताड़ित करना बन्द करें। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि बिना किसी बीमा योजना,बिना कोविड वारियर के दर्जे व बिना किसी उचित सुविधा के आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकार जान बूझकर मौत के मुंह में धकेल रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह संवेदनहीनता व तानाशाही की चरम सीमा है। उन्होंने केंद्र सरकार से वर्ष 2013 में हुए पेंतालिसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए तीन हज़ार रुपये पेंशन,दो लाख रुपये ग्रेच्युटी,मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है। उन्होंने कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष करने,नई शिक्षा नीति 2020 को खत्म करने,मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर वेतन देने व कोविड महामारी में कर्मियों की डयूटी पर रोक लगाने आदि मांगों को पूर्ण करने की।मांग की। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह आइसीडीएस के निजीकरण का ख्याली पुलाव बनाना बन्द करे। देश के अंदर चलने वाली सभी योजनाओं से देश की लगभग एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने हैरानी जताई है कि रोज़गार में लगी महिलाओं की सबसे ज़्यादा संख्या योजनाकर्मियों के रूप में है व यह सरकार उनका सबसे ज़्यादा आर्थिक शोषण कर रही है। केंद्र सरकार लगातार इन योजनाओं को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। इस से केंद्र सरकार की महिला सशक्तिकरण व नारी उत्थान के नारों की पोल खुल रही है। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरन्त करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा केवलबन आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इसकी एवज़ में उनका वेतन बढाया जाए व उन्हें नियमित किया जाए।
शिमला ! आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू का एक प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय एवं महिला विकास विभाग के सचिव से मिला व उन्हें ग्यारह सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कर्मियों को मांगें पूर्ण करने का आश्वासन दिया। यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल,कार्यकारी महासचिव वीना देवी व महासचिव राजकुमारी ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी वर्करज़ को प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त न किया,आईसीडीएस का निजीकरण करने की कोशिश की गई व आंगनबाड़ी वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित न किया तो आंदोलन और तेज़ होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग की है क्योंकि यह न केवल छात्र विरोधी है अपितु आइसीडीएस विरोधी भी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आइसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। इस से भविष्य में कर्मियों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार को साफ शब्दों में चेताया है कि कोरोना महामारी के दौर में कोरोना मैपिंग के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रताड़ित करना बन्द करें। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि बिना किसी बीमा योजना,बिना कोविड वारियर के दर्जे व बिना किसी उचित सुविधा के आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकार जान बूझकर मौत के मुंह में धकेल रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह संवेदनहीनता व तानाशाही की चरम सीमा है। उन्होंने केंद्र सरकार से वर्ष 2013 में हुए पेंतालिसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए तीन हज़ार रुपये पेंशन,दो लाख रुपये ग्रेच्युटी,मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है। उन्होंने कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष करने,नई शिक्षा नीति 2020 को खत्म करने,मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर वेतन देने व कोविड महामारी में कर्मियों की डयूटी पर रोक लगाने आदि मांगों को पूर्ण करने की।मांग की।
उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह आइसीडीएस के निजीकरण का ख्याली पुलाव बनाना बन्द करे। देश के अंदर चलने वाली सभी योजनाओं से देश की लगभग एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने हैरानी जताई है कि रोज़गार में लगी महिलाओं की सबसे ज़्यादा संख्या योजनाकर्मियों के रूप में है व यह सरकार उनका सबसे ज़्यादा आर्थिक शोषण कर रही है। केंद्र सरकार लगातार इन योजनाओं को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। इस से केंद्र सरकार की महिला सशक्तिकरण व नारी उत्थान के नारों की पोल खुल रही है। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरन्त करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा केवलबन आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इसकी एवज़ में उनका वेतन बढाया जाए व उन्हें नियमित किया जाए।
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