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शिमला , 01 नवंबर ! नगर निगम के महापौर और उप महापौर के चुनाव को टालना, नगर निगम सीमा में हो रहे विकास को बड़ा झटका। ना गारंटी, ना विकास, ना राहत, ना सुविधाएं यह है कांग्रेस का नया दौर। यह बात भाजपा महामंत्री बिहारी लाल शर्मा ने जारी एक प्रेस बयान में कही। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर निगम चुनाव को किसी सरकार ने टालने का प्रयास किया है। इससे नगर निगम की सीमा के विकास कार्य बाधित होते हैं, ऐसा इसलिए कहा क्योंकि नगर निगम के जन प्रतिनिधियों ने अपनी योजनाएं पूर्ण रूप से तैयार कर ली होती है, पर वहां उन योजनाओं की कार्यान्वयन धीमी हो जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि हिमाचल प्रदेश में केवल मात्र तानाशाही की सरकार चल रही है। उन्होंने कहा की प्रदेश के 5 नगर निगम सहित 60 शहरी निकायों को 50 फीसदी ग्रांट इन ऐड वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा वापस मंगवा ली गई है। यह भी नगर निगम और शहरी निकायों के लिए एक विकास विरोधी निर्णय है। ऐसे नकारात्मक निर्णयों का तो बच्चा-बच्चा भी विरोध कर रहा है। छठे राज्य वित्त आयोग द्वारा जुलाई माह में सभी शहरी निकायों को करीब 153.64 करोड़ रुपए की ग्रांट इन ऐड जारी की थी पर इसमें से 76.82 करोड रुपए वापस मंगवा लिए गए है, इसका जवाब तो कांग्रेस के नेताओं और उनकी पार्टी को देना ही होगा ? क्या ऐसा तो नहीं की कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व और सरकार के नेताओं में ताल मेल की कमी है। उन्होंने कहा की प्रदेश के शहरी निकायों में पीएम आवास योजना के तहत 10,405 आवास स्वीकृत किए गए हैं, यह केंद्र सरकार की प्रदेश सरकार को बड़ी सौगात है इसका धन्यवाद तो कांग्रेस नेताओं को करना चाहिए । पर ऐसा ना हो कि आने वाले समय में प्रदेश के कांग्रेस नेता इससे भी मुकर जाएं और फिर यही कहे कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को कुछ दिया नहीं है। शायद उनके नेताओं को शोर मचाने की आदत हो गई है। प्रदेश के शहरी निकायों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जवाली में 755, पालमपुर में 470, नगर पंचायत अंब में 248, पांवटा साहिब में 221, नगर पंचायत निरमंड में 135, धर्मशाला में 539, नगर पंचायत शाहपुर में 112, नूरपुर में 223, नगर पंचायत आनी में 51, बैजनाथ में 657, संतोषगढ़ में 324, ज्वालामुखी में 102, सुंदरनगर में 129, कुल्लू में 201, सुजानपुर टीहरा में 270, देहरा में 123, मैहतपुर बसदेहड़ा में 236, नगर पंचायत चिड़गांव में 65, मंडी में 316, घुमारवीं में 151,भुंतर में 26, टाहलीवाल में 401, ऊना में 615, बिलासपुर में 580, नाहन में 362, कांगड़ा में 203, नेरचौक में 372, रोहडू में 48, सियोनी में 37, तलाई में 118, अर्को में 41, चंबा में 362, नालागढ़ में 238, बद्दी में 35, दौलतपुर चौक में 217, गगरेट में 103, हमीरपुर में 78, करसोग में 67, नेरवा में 39, राजगढ़ में 79, भोटा में 28, चुवाड़ी खास में 160, नगरोटा बगवां में 135, शिमला में 52, सोलन में 117, बंजार में सात, चौपाल में 50, जोगिंद्रनगर में 143, जुब्बल में आठ, कोटखाई में तीन, मनाली में 2, नादौन में 86, नैनादेवी में 44, नारकंडा में 9, रामपुर में 26, रिवालसर में 40, सरकाघाट में 127 और ठियोग में 19 घरों के निर्माण कार्य की स्वीकृति दी गई है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 01 नवंबर ! नगर निगम के महापौर और उप महापौर के चुनाव को टालना, नगर निगम सीमा में हो रहे विकास को बड़ा झटका। ना गारंटी, ना विकास, ना राहत, ना सुविधाएं यह है कांग्रेस का नया दौर। यह बात भाजपा महामंत्री बिहारी लाल शर्मा ने जारी एक प्रेस बयान में कही। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर निगम चुनाव को किसी सरकार ने टालने का प्रयास किया है। इससे नगर निगम की सीमा के विकास कार्य बाधित होते हैं, ऐसा इसलिए
कहा क्योंकि नगर निगम के जन प्रतिनिधियों ने अपनी योजनाएं पूर्ण रूप से तैयार कर ली होती है, पर वहां उन योजनाओं की कार्यान्वयन धीमी हो जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि हिमाचल प्रदेश में केवल मात्र तानाशाही की सरकार चल रही है।
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उन्होंने कहा की प्रदेश के 5 नगर निगम सहित 60 शहरी निकायों को 50 फीसदी ग्रांट इन ऐड वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा वापस मंगवा ली गई है। यह भी नगर निगम और शहरी निकायों के लिए एक विकास विरोधी निर्णय है। ऐसे नकारात्मक निर्णयों का तो बच्चा-बच्चा भी विरोध कर रहा है। छठे राज्य वित्त आयोग द्वारा जुलाई माह में सभी शहरी निकायों को करीब 153.64 करोड़ रुपए की ग्रांट इन ऐड जारी की थी पर इसमें से 76.82 करोड रुपए वापस मंगवा लिए गए है, इसका जवाब तो कांग्रेस के नेताओं और उनकी पार्टी को देना ही होगा ? क्या ऐसा तो नहीं की कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व और सरकार के नेताओं में ताल मेल की कमी है।
उन्होंने कहा की प्रदेश के शहरी निकायों में पीएम आवास योजना के तहत 10,405 आवास स्वीकृत किए गए हैं, यह केंद्र सरकार की प्रदेश सरकार को बड़ी सौगात है इसका धन्यवाद तो कांग्रेस नेताओं को करना चाहिए । पर ऐसा ना हो कि आने वाले समय में प्रदेश के कांग्रेस नेता इससे भी मुकर जाएं और फिर यही कहे कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को कुछ दिया नहीं है। शायद उनके नेताओं को शोर मचाने की आदत हो गई है।
प्रदेश के शहरी निकायों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जवाली में 755, पालमपुर में 470, नगर पंचायत अंब में 248, पांवटा साहिब में 221, नगर पंचायत निरमंड में 135, धर्मशाला में 539, नगर पंचायत शाहपुर में 112, नूरपुर में 223, नगर पंचायत आनी में 51, बैजनाथ में 657, संतोषगढ़ में 324, ज्वालामुखी में 102, सुंदरनगर में 129, कुल्लू में 201, सुजानपुर टीहरा में 270, देहरा में 123, मैहतपुर बसदेहड़ा में 236, नगर पंचायत चिड़गांव में 65, मंडी में 316, घुमारवीं में 151,भुंतर में 26, टाहलीवाल में 401, ऊना में 615, बिलासपुर में 580, नाहन में 362, कांगड़ा में 203, नेरचौक में 372, रोहडू में 48, सियोनी में 37, तलाई में 118, अर्को में 41, चंबा में 362, नालागढ़ में 238, बद्दी में 35, दौलतपुर चौक में 217, गगरेट में 103, हमीरपुर में 78, करसोग में 67, नेरवा में 39, राजगढ़ में 79, भोटा में 28, चुवाड़ी खास में 160, नगरोटा बगवां में 135, शिमला में 52, सोलन में 117, बंजार में सात, चौपाल में 50, जोगिंद्रनगर में 143, जुब्बल में आठ, कोटखाई में तीन, मनाली में 2, नादौन में 86, नैनादेवी में 44, नारकंडा में 9, रामपुर में 26, रिवालसर में 40, सरकाघाट में 127 और ठियोग में 19 घरों के निर्माण कार्य की स्वीकृति दी गई है।
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