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चम्बा , भरमौर , 22 ऑक्टूबर [ शिवानी ] - पांगी के विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में राजस्थान से बड़े पैमाने पर आने वाली भेड़-बकरियों की बिक्री स्थानीय पशुपालकों के लिए सीधा संकट बन चुकी है। डॉ. जनक राज ने कहा कि यदि सरकार ने इस अनियंत्रित आवक को रोकने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए, तो प्रदेश का पारंपरिक भेड़पालन व्यवसाय खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगा। डॉ. जनक राज ने कहा कि राजस्थान से बिना सत्यापन, बिना नीति और बिना नियंत्रण के आ रहे पशु स्थानीय बाजार पर कब्जा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल के भेड़पालकों की आय, बाजार और भविष्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, और सरकार की चुप्पी इस स्थिति को और भयावह बना रही है। डॉ. जनक राज ने कहा कि बाहरी पशु कम दाम में बिककर हिमाचली भेड़पालकों का मूल्य और बाजार दोनों गिरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल स्थानीय नस्लों के संरक्षण के खिलाफ है, बल्कि इससे पशु-रोग और संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है, जिस पर सरकार को तुरंत वैज्ञानिक और कानूनी नियंत्रण लागू करना चाहिए। डॉ. जनक राज ने आरोप लगाया कि सरकार की खामोशी बाहरी कारोबारियों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि हिमाचल का असली पशुपालक अपने ही प्रदेश में हाशिये पर धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह अन्याय किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। डॉ. जनक राज ने चेतावनी दी कि यदि इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो स्थानीय भेड़पालक सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भेड़पालक समुदाय के साथ खड़े रहेंगे और प्रदेश के अधिकारों की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे। डॉ. जनक राज ने कहा कि मुख्यमंत्री और पशुपालन विभाग इस मामले पर तुरंत बैठक बुलाएं और स्थानीय पशुपालकों को आर्थिक एवं कानूनी सुरक्षा प्रदान करें, अन्यथा वे आंदोलन का समर्थन करने को बाध्य होंगे।
चम्बा , भरमौर , 22 ऑक्टूबर [ शिवानी ] - पांगी के विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में राजस्थान से बड़े पैमाने पर आने वाली भेड़-बकरियों की बिक्री स्थानीय पशुपालकों के लिए सीधा संकट बन चुकी है। डॉ. जनक राज ने कहा कि यदि सरकार ने इस अनियंत्रित आवक को रोकने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए, तो प्रदेश का पारंपरिक भेड़पालन व्यवसाय खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगा।
डॉ. जनक राज ने कहा कि राजस्थान से बिना सत्यापन, बिना नीति और बिना नियंत्रण के आ रहे पशु स्थानीय बाजार पर कब्जा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल के भेड़पालकों की आय, बाजार और भविष्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, और सरकार की चुप्पी इस स्थिति को और भयावह बना रही है।
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डॉ. जनक राज ने कहा कि बाहरी पशु कम दाम में बिककर हिमाचली भेड़पालकों का मूल्य और बाजार दोनों गिरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल स्थानीय नस्लों के संरक्षण के खिलाफ है, बल्कि इससे पशु-रोग और संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है, जिस पर सरकार को तुरंत वैज्ञानिक और कानूनी नियंत्रण लागू करना चाहिए।
डॉ. जनक राज ने आरोप लगाया कि सरकार की खामोशी बाहरी कारोबारियों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि हिमाचल का असली पशुपालक अपने ही प्रदेश में हाशिये पर धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह अन्याय किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डॉ. जनक राज ने चेतावनी दी कि यदि इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो स्थानीय भेड़पालक सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भेड़पालक समुदाय के साथ खड़े रहेंगे और प्रदेश के अधिकारों की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे।
डॉ. जनक राज ने कहा कि मुख्यमंत्री और पशुपालन विभाग इस मामले पर तुरंत बैठक बुलाएं और स्थानीय पशुपालकों को आर्थिक एवं कानूनी सुरक्षा प्रदान करें, अन्यथा वे आंदोलन का समर्थन करने को बाध्य होंगे।
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