
*सरकारी विभागों और बोर्डों-निगमों के पद खत्म करने पर तुली सुक्खू सरकार : बिक्रम ठाकुर*
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*धर्मशाला* , 15 अक्तूबर [ विशाल सूद ] : सरकार के करीबी उच्च अधिकारीयों को लाखों के वेतन के साथ पुनः नियुक्ति और कर्मचारी जो रोज कमा कर रहे परिवार का पालन पोषण को सरकार बोझ समझ रही है।पूर्व उद्योग मंत्री एव विधायक बिक्रम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने अब प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों के प्रति अपनी संवेदनहीनता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। जिस सरकार ने ओपीएस का झूठा वादा कर सत्ता हथियाई, उसी सरकार ने अब अप्रैल 2024 के बाद सेवानिवृत्त हिमाचल पथ परिवहन निगम कर्मचारियों को पेंशन से वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज हिमाचल पथ परिवहन निगम पेंशनरों को अपने अधिकारों के लिए शिमला की सड़कों पर उतरना पड़ा, जो कांग्रेस सरकार की नाकामी और कर्मचारियों के प्रति निष्ठुर रवैये को उजागर करता है। लगभग 250 पेंशनरों को अब तक पेंशन नहीं मिली है, सितम्बर माह की पेंशन तक अटकी हुई है, जबकि 2016 के वेतनमान का एरियर, डीए और मेडिकल बिलों का भुगतान महीनों से लंबित है। यह वही सरकार है जो मंचों से “समृद्ध हिमाचल” की बात करती है और धरातल पर बुजुर्ग पेंशनरों को अपने अधिकारों के लिए सड़क पर धकेल देती है। उन्होंने कहा कि सरकार की कुदृष्टि अब महिलाओं को मिलने वाले बस किराए में 50% की छूट पर पड़ गई है। यह भी बहुत जल्दी सरकार का कोप भाजन बन सकती है। यह सरकार हमेशा ही पहले पूर्व सरकार के योजनाओं पर टिप्पणी करती है, उन योजनाओं से होने वाले सामाजिक मनोवैज्ञानिक लाभ को नजरअंदाज करके उसके आर्थिक पहलुओं को गलत तरीके से जनता के सामने रखती है। इसके बाद वह सुविधा छीन लेती है। सुक्खू सरकार हमेशा इसी पैंतरे बाजी से काम करती है। पहले सरकार ने फ्री बिजली की योजना पर ओछी टिप्पणी की, ग्रामीण क्षेत्रों में मिल रहे नि:शुल्क पानी, सहारा योजना की पेंशन, हिम केयर के इलाज पर मुख्यमंत्री ने अपनी दूरदृष्टिहीन टिप्पणियां कर पहले अपनी मंशा जाहिर की और बाद में उन्हें घोषित या घोषित रूप से बंद कर दिया। यहां भी आगे सरकार कुछ ऐसा ही करना चाहती है इसीलिए बार-बार महिलाओं को मिल रहे 50% बस किराए में छूट की आलोचना की जा रही है। बिक्रम ठाकुर ने कहा कि आज मुख्यमंत्री के मीडिया में दिए गए बयान को सुनकर हर कर्मचारी के मन में भय और आक्रोश पैदा हुआ है। मुख्यमंत्री स्वयं यह कह रहे हैं कि महिलाओं को दी जा रही 50% छूट हिमाचल पथ परिवहन निगम के लिए नुकसानदायक है और कर्मचारियों पर खर्चा बढ़ा हुआ है, जबकि बस चलाने के लिए सिर्फ ड्राइवर, कंडक्टर और इंस्पेक्टर की आवश्यकता बताना उनके दृष्टिकोण की संकीर्णता को दर्शाता है। उन्होंने कहा — मुख्यमंत्री शायद भूल रहे हैं कि यह कर्मचारी नहीं बल्कि प्रदेश की रीढ़ हैं।हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मचारी पहाड़ की कठिन परिस्थितियों में सेवाएं देते हैं। लेकिन सुक्खू की नजर अब उनकी नौकरियों पर है। इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, हिमुड़ा और अन्य संस्थानों में पद खत्म करने के बाद अब हिमाचल पथ परिवहन निगम को खत्म करने की तैयारी हो रही है।उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को “बोझ” मान रही है, जबकि यही लोग प्रदेश की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि हिमाचल पथ परिवहन निगमके 50 वर्ष पूरे होने पर किए गए वादे और घोषणाएं आज तक अधूरी क्यों हैं? बिक्रम ठाकुर ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र पेंशन जारी नहीं की, एरियर और मेडिकल बिलों का भुगतान शीघ्र करे।उन्होंने कहा इतना निर्दयी और कर्मचारियों का विरोधी मुख्यमंत्री हिमाचल को पहले कभी नहीं मिला। यह सरकार न विकास कर पाई है, न वादे निभा पाई है और अब कर्मचारियों के अधिकारों को निगलने में जुटी है।
*धर्मशाला* , 15 अक्तूबर [ विशाल सूद ] : सरकार के करीबी उच्च अधिकारीयों को लाखों के वेतन के साथ पुनः नियुक्ति और कर्मचारी जो रोज कमा कर रहे परिवार का पालन पोषण को सरकार बोझ समझ रही है।पूर्व उद्योग मंत्री एव विधायक बिक्रम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने अब प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों के प्रति अपनी संवेदनहीनता की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। जिस सरकार ने ओपीएस का झूठा वादा कर सत्ता हथियाई, उसी सरकार ने अब अप्रैल 2024 के बाद सेवानिवृत्त हिमाचल पथ परिवहन निगम कर्मचारियों को पेंशन से वंचित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज हिमाचल पथ परिवहन निगम पेंशनरों को अपने अधिकारों के लिए शिमला की सड़कों पर उतरना पड़ा, जो कांग्रेस सरकार की नाकामी और कर्मचारियों के प्रति निष्ठुर रवैये को उजागर करता है। लगभग 250 पेंशनरों को अब तक पेंशन नहीं मिली है, सितम्बर माह की पेंशन तक अटकी हुई है, जबकि 2016 के वेतनमान का एरियर, डीए और मेडिकल बिलों का भुगतान महीनों से लंबित है। यह वही सरकार है जो मंचों से “समृद्ध हिमाचल” की बात करती है और धरातल पर बुजुर्ग पेंशनरों को अपने अधिकारों के लिए सड़क पर धकेल देती है।
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उन्होंने कहा कि सरकार की कुदृष्टि अब महिलाओं को मिलने वाले बस किराए में 50% की छूट पर पड़ गई है। यह भी बहुत जल्दी सरकार का कोप भाजन बन सकती है। यह सरकार हमेशा ही पहले पूर्व सरकार के योजनाओं पर टिप्पणी करती है, उन योजनाओं से होने वाले सामाजिक मनोवैज्ञानिक लाभ को नजरअंदाज करके उसके आर्थिक पहलुओं को गलत तरीके से जनता के सामने रखती है। इसके बाद वह सुविधा छीन लेती है। सुक्खू सरकार हमेशा इसी पैंतरे बाजी से काम करती है। पहले सरकार ने फ्री बिजली की योजना पर ओछी टिप्पणी की, ग्रामीण क्षेत्रों में मिल रहे नि:शुल्क पानी, सहारा योजना की पेंशन, हिम केयर के इलाज पर मुख्यमंत्री ने अपनी दूरदृष्टिहीन टिप्पणियां कर पहले अपनी मंशा जाहिर की और बाद में उन्हें घोषित या घोषित रूप से बंद कर दिया। यहां भी आगे सरकार कुछ ऐसा ही करना चाहती है इसीलिए बार-बार महिलाओं को मिल रहे 50% बस किराए में छूट की आलोचना की जा रही है।
बिक्रम ठाकुर ने कहा कि आज मुख्यमंत्री के मीडिया में दिए गए बयान को सुनकर हर कर्मचारी के मन में भय और आक्रोश पैदा हुआ है। मुख्यमंत्री स्वयं यह कह रहे हैं कि महिलाओं को दी जा रही 50% छूट हिमाचल पथ परिवहन निगम के लिए नुकसानदायक है और कर्मचारियों पर खर्चा बढ़ा हुआ है, जबकि बस चलाने के लिए सिर्फ ड्राइवर, कंडक्टर और इंस्पेक्टर की आवश्यकता बताना उनके दृष्टिकोण की संकीर्णता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा — मुख्यमंत्री शायद भूल रहे हैं कि यह कर्मचारी नहीं बल्कि प्रदेश की रीढ़ हैं।हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मचारी पहाड़ की कठिन परिस्थितियों में सेवाएं देते हैं। लेकिन सुक्खू की नजर अब उनकी नौकरियों पर है। इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, हिमुड़ा और अन्य संस्थानों में पद खत्म करने के बाद अब हिमाचल पथ परिवहन निगम को खत्म करने की तैयारी हो रही है।उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों को “बोझ” मान रही है, जबकि यही लोग प्रदेश की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि हिमाचल पथ परिवहन निगमके 50 वर्ष पूरे होने पर किए गए वादे और घोषणाएं आज तक अधूरी क्यों हैं?
बिक्रम ठाकुर ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र पेंशन जारी नहीं की, एरियर और मेडिकल बिलों का भुगतान शीघ्र करे।उन्होंने कहा इतना निर्दयी और कर्मचारियों का विरोधी मुख्यमंत्री हिमाचल को पहले कभी नहीं मिला। यह सरकार न विकास कर पाई है, न वादे निभा पाई है और अब कर्मचारियों के अधिकारों को निगलने में जुटी है।
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