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मंडी , 01 सितंबर [ विशाल सूद ] ! दंग क्षेत्र के उतुंगगढ़ इलाके में स्थित अधिष्ठाता देव गणपति चंडोही के मंदिर में हर साल गणेशोत्सव बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।दस दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में दूर-दूर से श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना करते हैं और धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं।विशेष यह है कि यहां गणेशोत्सव के समापन पर गणेश प्रतिमा का विसर्जन नहीं किया जाता। देवता पवित्र स्नान के पश्चात फिर मंदिर में विराजमान होते हैं। देवता के पुजारी और कारदारों का कहना है कि भगवान गणेश जी के साथ रिद्धि और सिद्धि का वास होता है, इसलिए उनकी प्रतिमा का विसर्जन करना उचित नहीं है।पुजारी अरुण शर्मा ने बताया कि मान्यता के अनुसार जब महाभारत का लेखन कार्य चल रहा था, तब गणेश जी लगातार लिखते रहे और उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी जमा हो गई। दसवें दिन जब लेखन पूर्ण हुआ, तो वेदव्यास जी ने चन्दन का लेप लगाया और उन्हें नदी में स्नान कराया ताकि तपन शांत हो सके। इसी घटना के प्रतीक के रूप में देशभर में गणेशोत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है और हमारे यहां विसर्जन नहीं होता हैं लोकाचार्य के अनुसार हमारे यहां टाली बांधी जाती है।
मंडी , 01 सितंबर [ विशाल सूद ] ! दंग क्षेत्र के उतुंगगढ़ इलाके में स्थित अधिष्ठाता देव गणपति चंडोही के मंदिर में हर साल गणेशोत्सव बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।दस दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में दूर-दूर से श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना करते हैं और धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं।विशेष यह है कि यहां गणेशोत्सव के समापन पर गणेश प्रतिमा का विसर्जन नहीं किया जाता। देवता पवित्र स्नान के पश्चात फिर मंदिर में विराजमान होते हैं।
देवता के पुजारी और कारदारों का कहना है कि भगवान गणेश जी के साथ रिद्धि और सिद्धि का वास होता है, इसलिए उनकी प्रतिमा का विसर्जन करना उचित नहीं है।पुजारी अरुण शर्मा ने बताया कि मान्यता के अनुसार जब महाभारत का लेखन कार्य चल रहा था, तब गणेश जी लगातार लिखते रहे और उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी जमा हो गई। दसवें दिन जब लेखन पूर्ण हुआ, तो वेदव्यास जी ने चन्दन का लेप लगाया और उन्हें नदी में स्नान कराया ताकि तपन शांत हो सके।
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इसी घटना के प्रतीक के रूप में देशभर में गणेशोत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है और हमारे यहां विसर्जन नहीं होता हैं लोकाचार्य के अनुसार हमारे यहां टाली बांधी जाती है।
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