मित्रों की कंपनी को आगामी कैबिनेट में विशेष लाभ देने के लगाए आरोप
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शिमला , 27 जुलाई [ विशाल सूद ] ! पूर्व मंत्री एवं धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक श्री सुधीर शर्मा ने शिमला रोपवे प्रॉजेक्ट में होने वाली टेंडर प्रक्रिया को सवाल खड़े किए है।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा की प्रदेश सरकार एक विशेष कंपनी विश्व समुद्रा को आगामी कैबिनेट में फ़ायदा पहुँचाने की फ़िराक़ में हैं। सुधीर शर्मा ने कहा की न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) द्वारा वित्तपोषित शिमला रोपवे परियोजना,हिमाचल प्रदेश के शिमला में 13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण के लिए ₹1,734 करोड़ की एक पहल है।शहर में यातायात की भीड़भाड़ को कम करने के उद्देश्य से इस परियोजना को एनडीबी से अग्रिम निविदाओं के लिए मंजूरी मिल गई है,जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की 20% इक्विटी और एनडीबी शेष 80% प्रदान करेगा। रोपवे के दो चरणों में पूरा होने की उम्मीद है और इसमें 13 स्टेशन होंगे जिनकी क्षमता प्रति घंटे 6,000 लोगों को ले जाने की होगी। न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) अधिकांश धनराशि (80%) प्रदान कर रहा है, जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार सिर्फ़ 20% का योगदान दे रही है।सुधीर शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा की विश्व समुद्रा ने चार हज़ार करोड़ की बिड भरी है और सिंगल टेंडर है जिसे कैबिनेट में हर हाल में मंजूर करवाने का दबाव बनाया जा रहा है जबकि भारत सरकार के उपक्रम ब्रिज एंड रूफ को तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया है।अब विश्व समुद्रा कंपनी ने 400 करोड़ कम करने की ऑफर दी है और मंत्रिमंडल से इसको मंजूरी देने की तैयारी हो रही है। जिसके लिए आर॰टी॰डी॰सी की बी॰ओ॰डी से रिकमेंड कर दिया गया है और तर्क यह दिया गया कि दो साल पुरानी डीपीआर होने की वजह से रेट 100% ज्यादा आया।प्रदेश सरका इस विषय में दोबारा टेंडर बुलाने को कोई तैयार नहीं है जबकि टेंडर खोले भी दो माह का समय हो गया। बी॰ओ॰डी के बाद अब इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए 28 से 31 तक चार दिन चलने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। शर्मा ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की सरकार निविदा को दोगुने रेट पर देने पर भी राज़ी है और इसके लिए लोन का 20 प्रतिशत शेयर भी देने को तैयार है जबकि सीयू के एफसीए के पैसे अभी तक नहीं दे पाई है।उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार में संलिप्त सरकार अब आम जनता का विश्वास खो चुकी है और अब सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है ।
शिमला , 27 जुलाई [ विशाल सूद ] ! पूर्व मंत्री एवं धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक श्री सुधीर शर्मा ने शिमला रोपवे प्रॉजेक्ट में होने वाली टेंडर प्रक्रिया को सवाल खड़े किए है।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा की प्रदेश सरकार एक विशेष कंपनी विश्व समुद्रा को आगामी कैबिनेट में फ़ायदा पहुँचाने की फ़िराक़ में हैं।
सुधीर शर्मा ने कहा की न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) द्वारा वित्तपोषित शिमला रोपवे परियोजना,हिमाचल प्रदेश के शिमला में 13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण के लिए ₹1,734 करोड़ की एक पहल है।शहर में यातायात की भीड़भाड़ को कम करने के उद्देश्य से इस परियोजना को एनडीबी से अग्रिम निविदाओं के लिए मंजूरी मिल गई है,जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की 20% इक्विटी और एनडीबी शेष 80% प्रदान करेगा। रोपवे के दो चरणों में पूरा होने की उम्मीद है और इसमें 13 स्टेशन होंगे जिनकी क्षमता प्रति घंटे 6,000 लोगों को ले जाने की होगी।
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न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) अधिकांश धनराशि (80%) प्रदान कर रहा है, जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार सिर्फ़ 20% का योगदान दे रही है।सुधीर शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा की विश्व समुद्रा ने चार हज़ार करोड़ की बिड भरी है और सिंगल टेंडर है जिसे कैबिनेट में हर हाल में मंजूर करवाने का दबाव बनाया जा रहा है जबकि भारत सरकार के उपक्रम ब्रिज एंड रूफ को तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया है।अब विश्व समुद्रा कंपनी ने 400 करोड़ कम करने की ऑफर दी है और मंत्रिमंडल से इसको मंजूरी देने की तैयारी हो रही है।
जिसके लिए आर॰टी॰डी॰सी की बी॰ओ॰डी से रिकमेंड कर दिया गया है और तर्क यह दिया गया कि दो साल पुरानी डीपीआर होने की वजह से रेट 100% ज्यादा आया।प्रदेश सरका इस विषय में दोबारा टेंडर बुलाने को कोई तैयार नहीं है जबकि टेंडर खोले भी दो माह का समय हो गया। बी॰ओ॰डी के बाद अब इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए 28 से 31 तक चार दिन चलने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।
शर्मा ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की सरकार निविदा को दोगुने रेट पर देने पर भी राज़ी है और इसके लिए लोन का 20 प्रतिशत शेयर भी देने को तैयार है जबकि सीयू के एफसीए के पैसे अभी तक नहीं दे पाई है।उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार में संलिप्त सरकार अब आम जनता का विश्वास खो चुकी है और अब सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है ।
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