
कहा — युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है सरकार*
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हमीरपुर 17 जुलाई [ बिंदिया ठाकुर ] ! हमीरपुर जिला के भोरंज क्षेत्र में प्रस्तावित रोजगार मेले को प्रशासन द्वारा ऐन वक्त पर रद्द किए जाने को लेकर पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला सरकार के इशारे पर लिया गया है, जो न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। आज यहां जारी बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि यह मेला कांग्रेस के एक स्थानीय कार्यकर्ता द्वारा आयोजित किया जा रहा था, जिसका उद्देश्य निजी कंपनियों के माध्यम से युवाओं को नौकरी दिलाना था। मेला कब और कहां होना है, इसकी रूपरेखा पहले से तय थी, लेकिन अंतिम समय में प्रशासन ने अनुमति रद्द कर दी। रोजगार मेले के आयोजकों ने इस फैसले पर नाराज़गी जताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि उनका मकसद सिर्फ बेरोजगारी दूर करना था, लेकिन प्रशासन और सरकार की राजनीतिक नीयत ने इसमें बाधा डाल दी। राजेंद्र राणा ने कहा, "प्रदेश सरकार चुनाव से पहले हर साल एक लाख युवाओं को रोजगार देने की बात करती थी, लेकिन अब न खुद रोजगार दे पा रही है और न दूसरों को युवाओं की मदद करने दे रही है। यह दोहरा रवैया युवाओं के साथ धोखा है।" उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक पुराने बयान की ओर इशारा करते हुए कहा, "जब सीएम खुद कहते हैं कि 'हमने रोजगार देने की बात की थी, सरकारी नौकरी देने की नहीं', तो साफ है कि सरकार की नीयत में ही खोट है।" पूर्व विधायक ने कहा कि यह बेहद चिंता की बात है कि जनहित में किए जा रहे कार्य को महज़ राजनीतिक द्वेष के चलते रोका जा रहा है। उन्होंने प्रशासन पर सरकार के दबाव में आकर लोकतंत्र को ठेस पहुंचाने का आरोप भी लगाया। राजेंद्र राणा ने चेताया कि यह स्थिति अब "कांग्रेस कार्यकर्ता बनाम कांग्रेस सरकार" की बनती जा रही है और लोगों का भरोसा सरकार से उठता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह युवाओं के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
हमीरपुर 17 जुलाई [ बिंदिया ठाकुर ] ! हमीरपुर जिला के भोरंज क्षेत्र में प्रस्तावित रोजगार मेले को प्रशासन द्वारा ऐन वक्त पर रद्द किए जाने को लेकर पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला सरकार के इशारे पर लिया गया है, जो न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।
आज यहां जारी बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि यह मेला कांग्रेस के एक स्थानीय कार्यकर्ता द्वारा आयोजित किया जा रहा था, जिसका उद्देश्य निजी कंपनियों के माध्यम से युवाओं को नौकरी दिलाना था। मेला कब और कहां होना है, इसकी रूपरेखा पहले से तय थी, लेकिन अंतिम समय में प्रशासन ने अनुमति रद्द कर दी।
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रोजगार मेले के आयोजकों ने इस फैसले पर नाराज़गी जताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि उनका मकसद सिर्फ बेरोजगारी दूर करना था, लेकिन प्रशासन और सरकार की राजनीतिक नीयत ने इसमें बाधा डाल दी।
राजेंद्र राणा ने कहा, "प्रदेश सरकार चुनाव से पहले हर साल एक लाख युवाओं को रोजगार देने की बात करती थी, लेकिन अब न खुद रोजगार दे पा रही है और न दूसरों को युवाओं की मदद करने दे रही है। यह दोहरा रवैया युवाओं के साथ धोखा है।"
उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक पुराने बयान की ओर इशारा करते हुए कहा, "जब सीएम खुद कहते हैं कि 'हमने रोजगार देने की बात की थी, सरकारी नौकरी देने की नहीं', तो साफ है कि सरकार की नीयत में ही खोट है।"
पूर्व विधायक ने कहा कि यह बेहद चिंता की बात है कि जनहित में किए जा रहे कार्य को महज़ राजनीतिक द्वेष के चलते रोका जा रहा है। उन्होंने प्रशासन पर सरकार के दबाव में आकर लोकतंत्र को ठेस पहुंचाने का आरोप भी लगाया।
राजेंद्र राणा ने चेताया कि यह स्थिति अब "कांग्रेस कार्यकर्ता बनाम कांग्रेस सरकार" की बनती जा रही है और लोगों का भरोसा सरकार से उठता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह युवाओं के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
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