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चम्बा ! बेबी राज चम्बयाली लोक गायन का एक ऐसा नाम जिस पर सबको है नाज निर्धन परिवार की वो बेटी. जिसके सपने अकसर बुलंदियों के रहे. आसमां को छूने जैसे लक्ष्य.... मुफलिसी की जिंदगी और ख़्वाब बडे मगर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी..... विपरीत परिस्थितियों के चलते पढाई भले ही कम की. मगर कढाई बेशूमार. दसवीं पास करने पश्चात बेबी राज जुट गई अपने सपने पूरा करने को सिलाई, कढाई और चित्रकारी क्या क्या नहीं किया. यहाँ तक हॉलीवुड की फिल्म "जीसस" में भी अपनी चम्बयाली बोली में डबिंग से नया इतिहास रच दिया । उपलब्धियां हासिल करने का सिलसिला यही नहीं थमा..... दिल में एक जिद थी कुछ बहुत बडा करने की.....ब्यूटीपार्लर खोला.वो भी खूब चल रहा है.. शादी के बाद घर गृहस्थी और. दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी निभाते.हुए भी बेबी राज के सपनो का रंग फीका नहीं पड़ा.... हालांकि पति राज कुमार देश सेवा के लिए सरहद पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है... लेकिन बेबी राज को सपनों को साकार करने के लिए बराबर सहयोग कर रहा है । एक दर्जन से भी अधिक ऑडियो कैसेट्स और करीब पचास गाने गा चुकी बेबी राज आज किसी परिचय की मोहताज नहीं. अपनी गुरु मंजू चिश्ती आशीर्वाद से संगीत जगत में खास पहचान बनाने वाली बेबी राज का सफरनामा आज भी निरंतर जारी है। हाल ही में उन्होंने "मेरियो सींकरियो धारो" और अन्य पहाडी और भक्ति गीत गाकर कम बैक किया है. जो एक लोक गायिका के लिए अपने आप में काबिले तारीफ हैं वर्तमान में प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक कुशल गृहणी होकर अपने लड़कपन के सपनो को जिंदा रखा और उन्हें पूरा करने के लिए पुनः संगीत जगत में एंट्री ली है l निसंदेह दाद देनी होगी ऐसी शख्सियत की. जिसने पारिवारिक दायित्व निभाते हुए फिर अपने सपनों को पूरा करने की उडान भरी है ।बेबी राज की यह कहानी उन सभी माता और बहनों के लिए प्रेरणा है...ज़ो अपने सपनोँ को पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के चलते बाधा मानते हुए साकार नहीं कर पाई बकौल बेबी राज मुश्किलें और हालत कितने भी विपरीत हो जाएं. सपनों को हमेशा जिंदा रखना चाहिए. क्योंकि हौँसलोँ से ही अकसर उडान होती है.
चम्बा ! बेबी राज चम्बयाली लोक गायन का एक ऐसा नाम जिस पर सबको है नाज निर्धन परिवार की वो बेटी. जिसके सपने अकसर बुलंदियों के रहे. आसमां को छूने जैसे लक्ष्य.... मुफलिसी की जिंदगी और ख़्वाब बडे मगर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी..... विपरीत परिस्थितियों के चलते पढाई भले ही कम की. मगर कढाई बेशूमार. दसवीं पास करने पश्चात बेबी राज जुट गई अपने सपने पूरा करने को सिलाई, कढाई और चित्रकारी क्या क्या नहीं किया. यहाँ तक हॉलीवुड की फिल्म "जीसस" में भी अपनी चम्बयाली बोली में डबिंग से नया इतिहास रच दिया ।
उपलब्धियां हासिल करने का सिलसिला यही नहीं थमा..... दिल में एक जिद थी कुछ बहुत बडा करने की.....ब्यूटीपार्लर खोला.वो भी खूब चल रहा है.. शादी के बाद घर गृहस्थी और. दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी निभाते.हुए भी बेबी राज के सपनो का रंग फीका नहीं पड़ा.... हालांकि पति राज कुमार देश सेवा के लिए सरहद पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है... लेकिन बेबी राज को सपनों को साकार करने के लिए बराबर सहयोग कर रहा है ।
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एक दर्जन से भी अधिक ऑडियो कैसेट्स और करीब पचास गाने गा चुकी बेबी राज आज किसी परिचय की मोहताज नहीं. अपनी गुरु मंजू चिश्ती आशीर्वाद से संगीत जगत में खास पहचान बनाने वाली बेबी राज का सफरनामा आज भी निरंतर जारी है। हाल ही में उन्होंने "मेरियो सींकरियो धारो" और अन्य पहाडी और भक्ति गीत गाकर कम बैक किया है. जो एक लोक गायिका के लिए अपने आप में काबिले तारीफ हैं वर्तमान में प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक कुशल गृहणी होकर अपने लड़कपन के सपनो को जिंदा रखा और उन्हें पूरा करने के लिए पुनः संगीत जगत में एंट्री ली है l
निसंदेह दाद देनी होगी ऐसी शख्सियत की. जिसने पारिवारिक दायित्व निभाते हुए फिर अपने सपनों को पूरा करने की उडान भरी है ।बेबी राज की यह कहानी उन सभी माता और बहनों के लिए प्रेरणा है...ज़ो अपने सपनोँ को पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के चलते बाधा मानते हुए साकार नहीं कर पाई बकौल बेबी राज मुश्किलें और हालत कितने भी विपरीत हो जाएं. सपनों को हमेशा जिंदा रखना चाहिए. क्योंकि हौँसलोँ से ही अकसर उडान होती है.
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