
बढ़ते नशे में अधिकारियों द्वारा अपना नाम चमकाने का ही किया गया काम युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने में ऐसी कार्यवाही करने वाले होंगे जिम्मेवार प्रदेश सरकार ने केवल अपनी राजनीतिक रोटी सेकने का किया है काम
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चम्बा , 25 मई [ शिवानी ] ! छात्र नेता अक्षय ठाकुर ने बयान देते हुए कहा कि बात की जा रही है कि पिछले ढाई सालों में शिमला में नशा तस्करों के खिलाफ सबसे ज्यादा कार्यवाही की गई है। अगर बात जिला कारावास शिमला की बात करूं तो वहां नशे के एक से एक तस्कर भर रखे हैं। एवं साथ ही साथ जो युवा नशे के शिकार हुए हैं उन्हें भी उसी कारावास में उनके साथ रखा गया है। यह आने वाले समय में नशे का आतंक बढ़ने वाली स्थिति का संकेत है। जहां नशे के शिकार एवं आदीयों को एक अलग से रिहैबिटेशन सेंटर में डालना चाहिए था ताकि वे इस लत से बाहर आ सके। उसके बजाय उन्हें एक से बढ़कर एक तस्कर के साथ दोस्ती करने के लिए एक ही कारावास में डाला गया है। क्या ये उन युवाओं को नशे की लत छोड़ने के काम आयेगा या वे बाहर आकर उन तस्करों के दूत बनकर काम करेंगे। उन्हें नशा लेने के लिए अब अलग - अलग जगह के संपर्क बन जाएंगे जिसके बारे में शायद प्रशासन भूल गया या शायद इस बारे में सोचना ही नहीं चाहा। अधिकारियों ने केवल अपना नाम चमकाने के लिए नशे के शिकार युवाओं को कारावास में तो डाल दिया लेकिन उन्हें आगे भी नशे से दूर रखने के लिए ऐसी व्यवस्था करने के लिए एक बार नहीं सोचा। उस कारावास के अंदर लगभग 10 दस से ज्यादा ऐसे युवा थे जिन्होंने कुछ न कुछ सिख लेकर एवं अपने परिवार की आर्थिक सहायता से रिहैबिटेशन सेंटर में खुद को सुधार लिया था एवं नशा छोड़ कर 1 एक साल से ज़्यादा हो चुका था। लेकिन उन युवाओं को भी प्रदेश सरकार द्वारा अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने और अधिकारियों द्वारा अपना नाम चमकाने के लिए 1 एक साल से पहले की ओल्ड ट्रांजेक्शन के बेस पर कारावास में डाल दिया गया। जिस बात से वे युवा प्रताड़ित हैं और प्रशासन की ये गलती कहीं न कहीं एक बार फिर उन युवाओं को नशे के तरफ जाने को मजबूर करेगी। अक्षय ठाकुर ने कहा कि बिना किसी स्ट्रैटजी ओर विज़न के ये ढाई साल में नशे के खिलाफ कार्यवाही तो की जो कि अभी तो दिखने में अच्छी लग रही है परंतु आने वाले समय के लिए इस तरह की बिना विज़न वाली कार्यवाही समाज के लिए अभिशाप साबित होगी।
चम्बा , 25 मई [ शिवानी ] ! छात्र नेता अक्षय ठाकुर ने बयान देते हुए कहा कि बात की जा रही है कि पिछले ढाई सालों में शिमला में नशा तस्करों के खिलाफ सबसे ज्यादा कार्यवाही की गई है। अगर बात जिला कारावास शिमला की बात करूं तो वहां नशे के एक से एक तस्कर भर रखे हैं। एवं साथ ही साथ जो युवा नशे के शिकार हुए हैं उन्हें भी उसी कारावास में उनके साथ रखा गया है। यह आने वाले समय में नशे का आतंक बढ़ने वाली स्थिति का संकेत है।
जहां नशे के शिकार एवं आदीयों को एक अलग से रिहैबिटेशन सेंटर में डालना चाहिए था ताकि वे इस लत से बाहर आ सके। उसके बजाय उन्हें एक से बढ़कर एक तस्कर के साथ दोस्ती करने के लिए एक ही कारावास में डाला गया है। क्या ये उन युवाओं को नशे की लत छोड़ने के काम आयेगा या वे बाहर आकर उन तस्करों के दूत बनकर काम करेंगे। उन्हें नशा लेने के लिए अब अलग - अलग जगह के संपर्क बन जाएंगे जिसके बारे में शायद प्रशासन भूल गया या शायद इस बारे में सोचना ही नहीं चाहा।
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अधिकारियों ने केवल अपना नाम चमकाने के लिए नशे के शिकार युवाओं को कारावास में तो डाल दिया लेकिन उन्हें आगे भी नशे से दूर रखने के लिए ऐसी व्यवस्था करने के लिए एक बार नहीं सोचा। उस कारावास के अंदर लगभग 10 दस से ज्यादा ऐसे युवा थे जिन्होंने कुछ न कुछ सिख लेकर एवं अपने परिवार की आर्थिक सहायता से रिहैबिटेशन सेंटर में खुद को सुधार लिया था एवं नशा छोड़ कर 1 एक साल से ज़्यादा हो चुका था।
लेकिन उन युवाओं को भी प्रदेश सरकार द्वारा अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने और अधिकारियों द्वारा अपना नाम चमकाने के लिए 1 एक साल से पहले की ओल्ड ट्रांजेक्शन के बेस पर कारावास में डाल दिया गया। जिस बात से वे युवा प्रताड़ित हैं और प्रशासन की ये गलती कहीं न कहीं एक बार फिर उन युवाओं को नशे के तरफ जाने को मजबूर करेगी।
अक्षय ठाकुर ने कहा कि बिना किसी स्ट्रैटजी ओर विज़न के ये ढाई साल में नशे के खिलाफ कार्यवाही तो की जो कि अभी तो दिखने में अच्छी लग रही है परंतु आने वाले समय के लिए इस तरह की बिना विज़न वाली कार्यवाही समाज के लिए अभिशाप साबित होगी।
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