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चम्बा ! प्रदेश की कांग्रेस सरकार की कार्यशैली और लापरवाह व्यवस्था ने केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त करोड़ों रुपये के अनुदान को भी व्यर्थ साबित कर दिया है। चंबा मेडिकल कॉलेज, जिसे क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बिंदु बनना था, आज दुर्दशा की पराकाष्ठा पर है।कॉलेज में प्राथमिक उपचार की आवश्यक दवाओं का घोर अभाव है। और इससे भी चिंताजनक बात यह है कि गंभीर मरीजों को प्रशिक्षु चिकित्सकों के हवाले कर दिया जाता है, जिससे इलाज के दौरान जान का जोखिम बढ़ जाता है। आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं का अभाव इतना गहरा है कि सामान्य आपात स्थितियों में भी मरीजों को टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर कर देना एक आम बात बन गई है। इससे न केवल मरीजों की जान जोखिम में पड़ती है, बल्कि उनके परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ भी बढ़ता है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से खरीदे गए आधुनिक चिकित्सा उपकरण या तो धूल फांक रहे हैं या प्रयोग में नहीं लाए जा पा रहे। इनमें से कई उपकरण सिर्फ इस वजह से निष्क्रिय हैं क्योंकि उन्हें संचालित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षित ऑपरेटरों की नियुक्ति नहीं की गई है। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि एक गम्भीर प्रशासनिक विफलता भी है। न तो विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्तियाँ समय पर हुई हैं, न ही नर्सिंग स्टाफ की भरती, और न ही व्यवस्थागत अनुशासन का पालन हो रहा है।भारतीय जनता पार्टी, जिला चंबा, इस लापरवाही की निंदा करते हुए प्रदेश सरकार से निम्नलिखित मांग करती ह। चंबा मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थागत विफलताओं की उच्च स्तरीय जांच की जाए। जीवनरक्षक दवाएं, प्रशिक्षित डॉक्टर, ऑपरेटर, तकनीशियन एवं उपकरण तुरंत उपलब्ध कराए जाएं। करोड़ों के उपकरणों के निष्क्रिय पड़े होने की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाए केंद्र सरकार की योजनाओं एवं सहायता का पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। चम्बा की जनता के साथ हो रहे इस चिकित्सा अन्याय को भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी और इसे लेकर जन-आंदोलन चलाने से भी पीछे नहीं हटेगी।
चम्बा ! प्रदेश की कांग्रेस सरकार की कार्यशैली और लापरवाह व्यवस्था ने केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त करोड़ों रुपये के अनुदान को भी व्यर्थ साबित कर दिया है। चंबा मेडिकल कॉलेज, जिसे क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बिंदु बनना था, आज दुर्दशा की पराकाष्ठा पर है।कॉलेज में प्राथमिक उपचार की आवश्यक दवाओं का घोर अभाव है। और इससे भी चिंताजनक बात यह है कि गंभीर मरीजों को प्रशिक्षु चिकित्सकों के हवाले कर दिया जाता है, जिससे इलाज के दौरान जान का जोखिम बढ़ जाता है।
आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं का अभाव इतना गहरा है कि सामान्य आपात स्थितियों में भी मरीजों को टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर कर देना एक आम बात बन गई है। इससे न केवल मरीजों की जान जोखिम में पड़ती है, बल्कि उनके परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ भी बढ़ता है।
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सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से खरीदे गए आधुनिक चिकित्सा उपकरण या तो धूल फांक रहे हैं या प्रयोग में नहीं लाए जा पा रहे। इनमें से कई उपकरण सिर्फ इस वजह से निष्क्रिय हैं क्योंकि उन्हें संचालित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षित ऑपरेटरों की नियुक्ति नहीं की गई है। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि एक गम्भीर प्रशासनिक विफलता भी है।
न तो विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्तियाँ समय पर हुई हैं, न ही नर्सिंग स्टाफ की भरती, और न ही व्यवस्थागत अनुशासन का पालन हो रहा है।भारतीय जनता पार्टी, जिला चंबा, इस लापरवाही की निंदा करते हुए प्रदेश सरकार से निम्नलिखित मांग करती ह। चंबा मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थागत विफलताओं की उच्च स्तरीय जांच की जाए। जीवनरक्षक दवाएं, प्रशिक्षित डॉक्टर, ऑपरेटर, तकनीशियन एवं उपकरण तुरंत उपलब्ध कराए जाएं।
करोड़ों के उपकरणों के निष्क्रिय पड़े होने की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाए केंद्र सरकार की योजनाओं एवं सहायता का पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। चम्बा की जनता के साथ हो रहे इस चिकित्सा अन्याय को भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी और इसे लेकर जन-आंदोलन चलाने से भी पीछे नहीं हटेगी।
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