एचपीपीटीसीएल कार्यालय होगा सलाहकार की सलाह पर शिफ्ट कर्मचारी परेशान। (विवेक शर्मा)
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शिमला , 13 अगस्त [ विशाल सूद ] : भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने सरकार द्वारा पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड . कार्यालय को स्थानांतरण करने की नीति और नीयत पर कहा कि हिमाचल सरकार पी.पी.पी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से अब सी.पी.पी कांग्रेस प्राइवेट पार्टनरशिप की ओर बढ़ रही है। हिमफैड कोऑपरेटिव सोसाइटी के भवन में चल रहा एचपीपीटीसीएल का कार्यालय शिमला स्थित आई.एस.बी.टी के नजदीक हिमफैड की इमारत में चल रहा हिमाचल पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीटीसीएल ) कार्यालय को शिफ्ट करने का व्यवस्था परिवर्तन हो रहा है। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के भट्टा कूफर के नजदीक पंचायत क्षेत्र में उनके निजी भवन में एचपीपीटीसीएल का कार्यालय स्थानांतरण किया जा रहा है। प्रदेश के कर्मचारियों की पीड़ा डी.ऐ, तनखाए के अतिरिक्त अब कार्यालय स्थानांतरण होने तक आ गई है। एचपीपीटीसीएल के कर्मचारियों ने इस मनमानी के पश्चात 22 कर्मचारियों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र चीफ सेक्रेटरी हिमाचल प्रदेश को लिखा है। 5 लाख 63 हजार रुपए में 13,625 वर्ग फूट स्थान मे कार्यालय चल रहा है। जो आई.एस.बी.टी बस अड्डा से मात्र 500 मी की दूरी पर है। पार्किंग आदि की भी सुविधा है। जिसे अब स्थानांतरित करके भट्ठा कूफर के नजदीक पंचायत क्षेत्र में स्थानांतरित करने का प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है। जिसकी प्रक्रिया एक बार 2024 सितंबर में भी प्रारंभ हुई थी व अबकी बार दोबारा 23 जुलाई 2025 को पुनः टेंडर हुए हैं। हैरानी की बात है कि दोनों बार मैसेज नरेश चौहान, और मैसेज टोल प्लाजा शिमला नामक कंपनियों ने पार्टिसिपेट किया है। जबकि टेंडर प्रक्रिया में कानूनी तौर से तीन टेंडर होना अनिवार्य है। टेंडर में बिल्डिंग का स्ट्रक्चर स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट से लेकर के अन्य विभागीय एनओसी का कोई जिक्र नहीं है और किराया भी वर्तमान किराए से अधिक है। प्रदेश सरकार की अगर पॉलिसी का अध्ययन करें तो प्राइवेट क्षेत्र में किराए के 14 कार्यालय को नगर निगम की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है और यहां तक के कुछ कार्यालय को शिमला से बाहर भी भेजा जा रहा है। फिर आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई है ढाई लाख की सैलरी पाने वाले सरकार के मीडिया सलाहकार को अप्रत्याशित सहयोग करना प्रदेश सरकार की मजबूरी हो गई है। वित्त वर्ष 2022-23 से 105 करोड़ के वित्तीय घाटे से चल रहे एचपीपीटीसीएल पर आर्थिक बोझ क्यों डाला जा रहा है। जब के विभाग कर्मचारियों को डीए में वृद्धि देने में असमर्थ है। कर्मचारियों ने अपने सुझाव पत्र में लिखा है की घोड़ा चौकी स्थित गवर्नमेंट प्रेस में बहुत स्थान है हमें वहां शिफ्ट कर दिया जाए। इसके बावजूद शहर से बाहर एक पंचायत क्षेत्र के भवन में कार्यालय को स्थानांतरण करने के पीछे की क्या दास्तां है। चीफ सेक्रेटरी को लिखे पत्र में अपनी पीड़ा का व्याख्यान करते हुए कर्मचारियों ने अनेक भावनात्मक और व्यवहारिक दावे किए हैं। लेकिन जो व्यक्ति स्वयं एक्सटेंशन की कृपा दृष्टि पर हो उसके सामने यह अपील व्यर्थ है। मुख्यमंत्री के लिए कर्मचारियों की बददुआएं लेने से बेहतर है सी.एम पर्सनैलिटी डेवलपमेंट कंपनी नोएडा स्थित, जिसे मुख्यमंत्री की छवि सुधारने का काम दिया गया है उसका कार्यालय शहर से बाहर भट्ठा कूफर में खुलवा दे। जनहित के साथ-साथ कांग्रेस हित भी हो जाएगा और सलाहकार भी खुश हो जाएगा।
शिमला , 13 अगस्त [ विशाल सूद ] : भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने सरकार द्वारा पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड . कार्यालय को स्थानांतरण करने की नीति और नीयत पर कहा कि हिमाचल सरकार पी.पी.पी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से अब सी.पी.पी कांग्रेस प्राइवेट पार्टनरशिप की ओर बढ़ रही है।
हिमफैड कोऑपरेटिव सोसाइटी के भवन में चल रहा एचपीपीटीसीएल का कार्यालय शिमला स्थित आई.एस.बी.टी के नजदीक हिमफैड की इमारत में चल रहा हिमाचल पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीटीसीएल ) कार्यालय को शिफ्ट करने का व्यवस्था परिवर्तन हो रहा है। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के भट्टा कूफर के नजदीक पंचायत क्षेत्र में उनके निजी भवन में एचपीपीटीसीएल का कार्यालय स्थानांतरण किया जा रहा है। प्रदेश के कर्मचारियों की पीड़ा डी.ऐ, तनखाए के अतिरिक्त अब कार्यालय स्थानांतरण होने तक आ गई है।
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एचपीपीटीसीएल के कर्मचारियों ने इस मनमानी के पश्चात 22 कर्मचारियों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र चीफ सेक्रेटरी हिमाचल प्रदेश को लिखा है। 5 लाख 63 हजार रुपए में 13,625 वर्ग फूट स्थान मे कार्यालय चल रहा है। जो आई.एस.बी.टी बस अड्डा से मात्र 500 मी की दूरी पर है। पार्किंग आदि की भी सुविधा है। जिसे अब स्थानांतरित करके भट्ठा कूफर के नजदीक पंचायत क्षेत्र में स्थानांतरित करने का प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है।
जिसकी प्रक्रिया एक बार 2024 सितंबर में भी प्रारंभ हुई थी व अबकी बार दोबारा 23 जुलाई 2025 को पुनः टेंडर हुए हैं। हैरानी की बात है कि दोनों बार मैसेज नरेश चौहान, और मैसेज टोल प्लाजा शिमला नामक कंपनियों ने पार्टिसिपेट किया है। जबकि टेंडर प्रक्रिया में कानूनी तौर से तीन टेंडर होना अनिवार्य है। टेंडर में बिल्डिंग का स्ट्रक्चर स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट से लेकर के अन्य विभागीय एनओसी का कोई जिक्र नहीं है और किराया भी वर्तमान किराए से अधिक है। प्रदेश सरकार की अगर पॉलिसी का अध्ययन करें तो प्राइवेट क्षेत्र में किराए के 14 कार्यालय को नगर निगम की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है और यहां तक के कुछ कार्यालय को शिमला से बाहर भी भेजा जा रहा है।
फिर आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई है ढाई लाख की सैलरी पाने वाले सरकार के मीडिया सलाहकार को अप्रत्याशित सहयोग करना प्रदेश सरकार की मजबूरी हो गई है। वित्त वर्ष 2022-23 से 105 करोड़ के वित्तीय घाटे से चल रहे एचपीपीटीसीएल पर आर्थिक बोझ क्यों डाला जा रहा है। जब के विभाग कर्मचारियों को डीए में वृद्धि देने में असमर्थ है।
कर्मचारियों ने अपने सुझाव पत्र में लिखा है की घोड़ा चौकी स्थित गवर्नमेंट प्रेस में बहुत स्थान है हमें वहां शिफ्ट कर दिया जाए। इसके बावजूद शहर से बाहर एक पंचायत क्षेत्र के भवन में कार्यालय को स्थानांतरण करने के पीछे की क्या दास्तां है। चीफ सेक्रेटरी को लिखे पत्र में अपनी पीड़ा का व्याख्यान करते हुए कर्मचारियों ने अनेक भावनात्मक और व्यवहारिक दावे किए हैं। लेकिन जो व्यक्ति स्वयं एक्सटेंशन की कृपा दृष्टि पर हो उसके सामने यह अपील व्यर्थ है।
मुख्यमंत्री के लिए कर्मचारियों की बददुआएं लेने से बेहतर है सी.एम पर्सनैलिटी डेवलपमेंट कंपनी नोएडा स्थित, जिसे मुख्यमंत्री की छवि सुधारने का काम दिया गया है उसका कार्यालय शहर से बाहर भट्ठा कूफर में खुलवा दे। जनहित के साथ-साथ कांग्रेस हित भी हो जाएगा और सलाहकार भी खुश हो जाएगा।
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