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चम्बा , 08 मई [ शिवानी ] ! न्याग्रां पंचायत के घड़ौ गांव में लकड़ी, पत्थर व मिट्टी के मिश्रण से बना मकान, लोगों के लिए बना आकर्षित का केंद्र। गांव में दशकों से बारिश, धूप व भूकंप के झटके झेल रहे मकान पर आज तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह पुराना घर किसी समय राजा की कचहरी हुआ करती थी। मकान भूकंप रोधी स्थानीय तकनीक से बना हुआ है , जिससे बिना रख रखाव के इतने वर्षों तक टिका हुआ है। बुजुर्गों ने बताया कि इस घर में चाड (राजस्व एकत्रीकरण अधिकारी) लखनारा (लेखपाल) बैठते थे और यहां राजा के प्रवास पर आने पर स्थानीय मुद्दों और आपसी विवादों को सुलझाने के लिए राजा की कचहरी लगती थी। कई सालों राजाओं महाराजाओं के समय से राजधानी भरमौर हुआ करती थी। भरमौर पांगी के विधायक डॉ जनक राज ने यहां जाकर मुआयना किया और इस जगह के लिए प्लान भी तैयार करने के लिए ग्रामीणों को आश्वासन दिया।
चम्बा , 08 मई [ शिवानी ] ! न्याग्रां पंचायत के घड़ौ गांव में लकड़ी, पत्थर व मिट्टी के मिश्रण से बना मकान, लोगों के लिए बना आकर्षित का केंद्र। गांव में दशकों से बारिश, धूप व भूकंप के झटके झेल रहे मकान पर आज तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह पुराना घर किसी समय राजा की कचहरी हुआ करती थी।
मकान भूकंप रोधी स्थानीय तकनीक से बना हुआ है , जिससे बिना रख रखाव के इतने वर्षों तक टिका हुआ है। बुजुर्गों ने बताया कि इस घर में चाड (राजस्व एकत्रीकरण अधिकारी) लखनारा (लेखपाल) बैठते थे और यहां राजा के प्रवास पर आने पर स्थानीय मुद्दों और आपसी विवादों को सुलझाने के लिए राजा की कचहरी लगती थी।
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कई सालों राजाओं महाराजाओं के समय से राजधानी भरमौर हुआ करती थी। भरमौर पांगी के विधायक डॉ जनक राज ने यहां जाकर मुआयना किया और इस जगह के लिए प्लान भी तैयार करने के लिए ग्रामीणों को आश्वासन दिया।
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