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शिमला, 04 मई [ विशाल सूद ] ! पिछले कल हिमाचल प्रदेश के ठियोग, कोटगढ़, कुमारसैन सहित शिमला ज़िले के कई हिस्सों में आई भीषण ओलावृष्टि ने किसानों और बागवानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बेमौसम ओलों की इस मार ने क्षेत्र में सेब, चेरी, नाशपाती जैसे फलों के साथ-साथ सब्ज़ियों की फसलों को गहरा नुकसान पहुँचाया है।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेज़ हवा के साथ गिरे भारी ओलों ने फलदार पेड़ों की टहनियों को तोड़ दिया, सेब के पौधों पर लगी जालियां भी फट गई और बांस के सहारे लगाए गए पौधे ढह गए। कई बागीचों में बहुत ज्यादा नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है। किसान-बागवानों की वर्षभर की मेहनत कुछ ही घंटों में तबाह हो गई। फूल से लेकर छोटे फल तक सब झड़ गए हैं। ओलों ने पेड़ों की छाल तक छील दी है। इस बार की उम्मीदें खत्म हो गई हैं। स्थानीय विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने इस आपदा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने ठियोग व कुमारसैन के अधिकारियों को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार से आग्रह किया है कि प्रभावित किसानों को अविलंब राहत राशि और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए। राठौर ने कहा, यह कोई पहली घटना नहीं है। मौसमीय आपदाएं अब आम हो चली हैं। हमें दीर्घकालिक समाधान तलाशने की ज़रूरत है, ताकि किसान-बागवानों को हर बार प्राकृतिक आपदा का शिकार न होना पड़े।कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारी भी नुकसान के सर्वेक्षण में जुट गए हैं। प्रदेश सरकार से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा की जाएगी।इस बीच किसानों ने मौसमीय आपदाओं से बचाव के लिए आधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की भी मांग उठाई है। स्थिति चिंताजनक है और अब समय आ गया है कि नीति-निर्माता इस विषय को प्राथमिकता से लें - वरना हिमाचल के बागवानी भविष्य पर संकट के बादल और गहराते रहेंगे।
शिमला, 04 मई [ विशाल सूद ] ! पिछले कल हिमाचल प्रदेश के ठियोग, कोटगढ़, कुमारसैन सहित शिमला ज़िले के कई हिस्सों में आई भीषण ओलावृष्टि ने किसानों और बागवानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बेमौसम ओलों की इस मार ने क्षेत्र में सेब, चेरी, नाशपाती जैसे फलों के साथ-साथ सब्ज़ियों की फसलों को गहरा नुकसान पहुँचाया है।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेज़ हवा के साथ गिरे भारी ओलों ने फलदार पेड़ों की टहनियों को तोड़ दिया, सेब के पौधों पर लगी जालियां भी फट गई और बांस के सहारे लगाए गए पौधे ढह गए। कई बागीचों में बहुत ज्यादा नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है। किसान-बागवानों की वर्षभर की मेहनत कुछ ही घंटों में तबाह हो गई। फूल से लेकर छोटे फल तक सब झड़ गए हैं। ओलों ने पेड़ों की छाल तक छील दी है। इस बार की उम्मीदें खत्म हो गई हैं।
स्थानीय विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने इस आपदा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने ठियोग व कुमारसैन के अधिकारियों को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार से आग्रह किया है कि प्रभावित किसानों को अविलंब राहत राशि और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
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राठौर ने कहा, यह कोई पहली घटना नहीं है। मौसमीय आपदाएं अब आम हो चली हैं। हमें दीर्घकालिक समाधान तलाशने की ज़रूरत है, ताकि किसान-बागवानों को हर बार प्राकृतिक आपदा का शिकार न होना पड़े।कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारी भी नुकसान के सर्वेक्षण में जुट गए हैं। प्रदेश सरकार से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा की जाएगी।इस बीच किसानों ने मौसमीय आपदाओं से बचाव के लिए आधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की भी मांग उठाई है। स्थिति चिंताजनक है और अब समय आ गया है कि नीति-निर्माता इस विषय को प्राथमिकता से लें - वरना हिमाचल के बागवानी भविष्य पर संकट के बादल और गहराते रहेंगे।
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