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मंडी ! माण्डव्य कला मंच मंडी की नई कार्यकारिणी का चुनाव संस्था के मंचीय कार्यालय लूनापानी में संपन्न हुआ। सर्वसम्मति से चुनी नई कार्यकारिणी में कुलदीप गुलेरिया को प्रधान, राजेश कुमार को उप प्रधान, अश्विनी पंडित को सचिव, श्रेया को सह सचिव, हिमांशिका को कार्यालय सचिव और विनोद गुलेरिया को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।इसके अतिरिक्त कार्यकारिणी सदस्यों में हरिचरण, पंकज ठाकुर, अमित कुमार, हिना, कृतिका, चेतन, और भण्डार प्रभारी हरीचरण शामिल हैं। इस अवसर पर मंच के सलाहकार मंडल में प्रो. डॉ. सूरत ठाकुर, मयंक गुलेरिया, बीरबल शर्मा, रविंद्र शर्मा तथा इस अवसर पर अनेक सदस्य पूर्व पदाधिकारी उपस्थित रहे।गौरतलब है कि माण्डव्य कला मंच मंडी पिछले 37 वर्षों से लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु कार्यरत है। इस दौरान संस्था ने अनेक उपलब्धियां और कृतिमान स्थापित किए हैं। अब तक मंच के साथ 5000 से अधिक कलाकार जुड़ चुके हैं। संस्था द्वारा मंडी जनपद की सांस्कृतिक विरासत जैसे लोकगीत, (संस्कार), लोक नृत्य लुड्डी, नगरीय नृत्य, मंड्याली गीद्दा, बुढ़ड़ा, लोकनाट्य बांठड़ा आदि को सहेजने और बढ़ावा देने का कार्य किया गया है। संस्था समय-समय पर निशुल्क आवासीय सांस्कृतिक संवाद व प्रशिक्षण कार्यशालाओं का भी आयोजन करती रही है, जिससे युवाओं में सांस्कृतिक चेतना जागृत हो रही है।
मंडी ! माण्डव्य कला मंच मंडी की नई कार्यकारिणी का चुनाव संस्था के मंचीय कार्यालय लूनापानी में संपन्न हुआ। सर्वसम्मति से चुनी नई कार्यकारिणी में कुलदीप गुलेरिया को प्रधान, राजेश कुमार को उप प्रधान, अश्विनी पंडित को सचिव, श्रेया को सह सचिव, हिमांशिका को कार्यालय सचिव और विनोद गुलेरिया को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।इसके अतिरिक्त कार्यकारिणी सदस्यों में हरिचरण, पंकज ठाकुर, अमित कुमार, हिना, कृतिका, चेतन, और भण्डार प्रभारी हरीचरण शामिल हैं।
इस अवसर पर मंच के सलाहकार मंडल में प्रो. डॉ. सूरत ठाकुर, मयंक गुलेरिया, बीरबल शर्मा, रविंद्र शर्मा तथा इस अवसर पर अनेक सदस्य पूर्व पदाधिकारी उपस्थित रहे।गौरतलब है कि माण्डव्य कला मंच मंडी पिछले 37 वर्षों से लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु कार्यरत है। इस दौरान संस्था ने अनेक उपलब्धियां और कृतिमान स्थापित किए हैं। अब तक मंच के साथ 5000 से अधिक कलाकार जुड़ चुके हैं। संस्था द्वारा मंडी जनपद की सांस्कृतिक विरासत जैसे लोकगीत, (संस्कार), लोक नृत्य लुड्डी, नगरीय नृत्य, मंड्याली गीद्दा, बुढ़ड़ा, लोकनाट्य बांठड़ा आदि को सहेजने और बढ़ावा देने का कार्य किया गया है।
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संस्था समय-समय पर निशुल्क आवासीय सांस्कृतिक संवाद व प्रशिक्षण कार्यशालाओं का भी आयोजन करती रही है, जिससे युवाओं में सांस्कृतिक चेतना जागृत हो रही है।
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