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शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं में भी भ्रष्टाचार के रास्ते तलाश रही है। सरकार कहींपरियोजनाओं के टेंडर की शर्तों में फेर बदल करके अपने चहेते लोगों को लाभ दिलवा रही है तो कहीं पर टेंडर के राष्ट्र स्तरीय मानकों का पालन नहीं करके धांधली की कोशिश कर रही है। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित फिन्ना सिंह परियोजना के टेंडर में जल शक्ति विभाग ने जॉइंट वेंचर पर पर रोक लगा दी है। सरकार के इस काम के पीछे किसी न किसी को लाभ पहुंचाने की मंशा है। 293 करोड़ की इस परियोजना के टेंडर में जॉइंट वेंचर पर रोक लगाकर के सरकार किसे लाभ पहुंचाना चाहती है। जबकि केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन, एनएचएआई, बॉर्डर रोड संगठन (बीआरओ) हिमाचल लोक निर्माण विभाग की परियोजनायों में 100 करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट में जॉइंट वेंचर की अनुमति है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थाओं के नियमों के विपरीत हिमाचल सरकार और जल शक्ति विभाग फिन्ना सिंह सिंचाई परियोजना के टेंडर में जॉइंट वेंचर पर रोक कैसे लगा सकती है? अपने इस कदम से सरकार किसको फायदा पहुंचाना चाहती है? जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार हर काम में इसी तरह से भ्रष्टाचार के अवसर तलाशती है। यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकार पर टेंडर की शर्तों में हेर-फेर करके अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं। जिस पर सरकार हमेशा खामोश रहती है। सुक्खू सरकार ने स्कूली बच्चों की बॉटल खरीद के टेंडर की शर्तों में फेर बदल किए थे, जबकि टेंडर की प्रक्रिया पहले से ही शुरू थी। इसी तरह से वर्ल्ड बैंक द्वारा पोषित शिमला की पेय जल परियोजनाओं में भी टेंडर की शर्तों में बदलाव करके भ्रष्टाचार करने के आरोप लग चुके हैं। इसी तरह पेखुवेला के सोलर प्रोजेक्ट्स में तो भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड्स टूट गए हैं। जिसमें पॉवर कॉरपोरेशन के महाप्रबंधक विमल नेगी की जान चली गई और सरकार उस मामले की सीबीआई जांच से भाग रही है, जबकि परिवार सीबीआई जांच के लिए न्यायालय की शरण में है। सरकार द्वारा हर कदम पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देना शर्मनाक है। जयराम ठाकुर ने कहा कि फिन्ना सिंह सिंचाई परियोजना को समय से पूरा करने और निर्माण कार्यों में गति देने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने बीते साल अगस्त में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल कर 284 करोड़ का बजट मंजूर किया था। इसे केंद्र द्वारा‘त्वरित सिंचाई लाभान्वित कार्यक्रम’(एआईबीपी) के तहत मंजूर किया है। जिसमें 90 प्रतिशत केंद्र व 10 प्रतिशत राज्य सरकार ने खर्च करना है। फरवरी 2025 में केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना के निर्माण के लिए 67.5 करोड़ की पहली किश्त भी जारी कर चुका है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद सुल्याली की 4025 हेक्टेयर से ज़्यादा जमीन को सिंचाई सुविधा मिलेगी। जिससे लगभग 60 गांवों के लोग लाभान्वित होंगे और क्षेत्र में हरित क्रांति आएगी। लेकिन सुख की सरकार के द्वारा इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की नीयत से इस प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा बन रही है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि प्रदेश हित के प्रोजेक्ट्स में धांधली के बजाय गुणवत्ता को तरजीह दें।
शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं में भी भ्रष्टाचार के रास्ते तलाश रही है। सरकार कहींपरियोजनाओं के टेंडर की शर्तों में फेर बदल करके अपने चहेते लोगों को लाभ दिलवा रही है तो कहीं पर टेंडर के राष्ट्र स्तरीय मानकों का पालन नहीं करके धांधली की कोशिश कर रही है। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित फिन्ना सिंह परियोजना के टेंडर में जल शक्ति विभाग ने जॉइंट वेंचर पर पर रोक लगा दी है। सरकार के इस काम के पीछे किसी न किसी को लाभ पहुंचाने की मंशा है। 293 करोड़ की इस परियोजना के टेंडर में जॉइंट वेंचर पर रोक लगाकर के सरकार किसे लाभ पहुंचाना चाहती है। जबकि केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन, एनएचएआई, बॉर्डर रोड संगठन (बीआरओ) हिमाचल लोक निर्माण विभाग की परियोजनायों में 100 करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट में जॉइंट वेंचर की अनुमति है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थाओं के नियमों के विपरीत हिमाचल सरकार और जल शक्ति विभाग फिन्ना सिंह सिंचाई परियोजना के टेंडर में जॉइंट वेंचर पर रोक कैसे लगा सकती है? अपने इस कदम से सरकार किसको फायदा पहुंचाना चाहती है?
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार हर काम में इसी तरह से भ्रष्टाचार के अवसर तलाशती है। यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकार पर टेंडर की शर्तों में हेर-फेर करके अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं। जिस पर सरकार हमेशा खामोश रहती है। सुक्खू सरकार ने स्कूली बच्चों की बॉटल खरीद के टेंडर की शर्तों में फेर बदल किए थे, जबकि टेंडर की प्रक्रिया पहले से ही शुरू थी। इसी तरह से वर्ल्ड बैंक द्वारा पोषित शिमला की पेय जल परियोजनाओं में भी टेंडर की शर्तों में बदलाव करके भ्रष्टाचार करने के आरोप लग चुके हैं। इसी तरह पेखुवेला के सोलर प्रोजेक्ट्स में तो भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड्स टूट गए हैं। जिसमें पॉवर कॉरपोरेशन के महाप्रबंधक विमल नेगी की जान चली गई और सरकार उस मामले की सीबीआई जांच से भाग रही है, जबकि परिवार सीबीआई जांच के लिए न्यायालय की शरण में है। सरकार द्वारा हर कदम पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देना शर्मनाक है।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि फिन्ना सिंह सिंचाई परियोजना को समय से पूरा करने और निर्माण कार्यों में गति देने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने बीते साल अगस्त में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल कर 284 करोड़ का बजट मंजूर किया था। इसे केंद्र द्वारा‘त्वरित सिंचाई लाभान्वित कार्यक्रम’(एआईबीपी) के तहत मंजूर किया है। जिसमें 90 प्रतिशत केंद्र व 10 प्रतिशत राज्य सरकार ने खर्च करना है। फरवरी 2025 में केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना के निर्माण के लिए 67.5 करोड़ की पहली किश्त भी जारी कर चुका है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद सुल्याली की 4025 हेक्टेयर से ज़्यादा जमीन को सिंचाई सुविधा मिलेगी। जिससे लगभग 60 गांवों के लोग लाभान्वित होंगे और क्षेत्र में हरित क्रांति आएगी। लेकिन सुख की सरकार के द्वारा इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की नीयत से इस प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा बन रही है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि प्रदेश हित के प्रोजेक्ट्स में धांधली के बजाय गुणवत्ता को तरजीह दें।
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