मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए
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मंडी , 07 अगस्त [ विशाल सूद ] ! प्रशासनिक अधिकारी एवं अधिवक्ता बीआर कौंडल ने मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता में हाईकोर्ट द्वारा 5 अगस्त 2025 को अवैध कब्जों को लेकर सुनाए गए फैसले को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कोर्ट के आदेशों का बारीकी से अध्ययन करने के बाद पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि 1 लाख 67 हजार लोग ऐसे हैं जिन्होंने अवैध कब्जों को लेकर अपने हलफनामे दायर किए हैं जबकि 57 हजार मामले ऐसे हैं जिन्हें सरकार ने खुद चिन्हित किया है। कागजी तौर पर अवैध कब्जों वाली भूमि 1 लाख 23 हजार बीघा बनती है लेकिन धरातल पर यह संख्या इससे भी कहीं ज्यादा होने वाली है। इन पर लोगों ने अपने घर भी बना रखे हैं। अधिकतर जमीन पर लोगों ने अवैध रूप से बगीचे लगा रखे हैं। अब हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया है उसमें कब्जाधारियों के बचने की कोई संभावना शेष नहीं है। इसलिए यह कब्जे हर हाल में छोड़ने होंगे और जो घर बनाए गए हैं उन्हें भी हर हाल में 28 फरवरी 2026 से पहले तोड़ना ही होगा। बीआर कौंडल ने कहा कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेशों का अध्ययन कर रही है। लेकिन इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए।कौंडल ने बताया कि हाईकोर्ट ने अधिकारियों और कर्मचारियों के दायित्वों को भी सुनिश्चित किया है। यदि वे अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करेंगे तो फिर उनके खिलाफ क्रिमिनल केस भी दर्ज किए जा सकेंगे।
मंडी , 07 अगस्त [ विशाल सूद ] ! प्रशासनिक अधिकारी एवं अधिवक्ता बीआर कौंडल ने मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता में हाईकोर्ट द्वारा 5 अगस्त 2025 को अवैध कब्जों को लेकर सुनाए गए फैसले को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कोर्ट के आदेशों का बारीकी से अध्ययन करने के बाद पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि 1 लाख 67 हजार लोग ऐसे हैं जिन्होंने अवैध कब्जों को लेकर अपने हलफनामे दायर किए हैं जबकि 57 हजार मामले ऐसे हैं जिन्हें सरकार ने खुद चिन्हित किया है।
कागजी तौर पर अवैध कब्जों वाली भूमि 1 लाख 23 हजार बीघा बनती है लेकिन धरातल पर यह संख्या इससे भी कहीं ज्यादा होने वाली है। इन पर लोगों ने अपने घर भी बना रखे हैं। अधिकतर जमीन पर लोगों ने अवैध रूप से बगीचे लगा रखे हैं। अब हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया है उसमें कब्जाधारियों के बचने की कोई संभावना शेष नहीं है। इसलिए यह कब्जे हर हाल में छोड़ने होंगे और जो घर बनाए गए हैं उन्हें भी हर हाल में 28 फरवरी 2026 से पहले तोड़ना ही होगा।
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बीआर कौंडल ने कहा कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेशों का अध्ययन कर रही है। लेकिन इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए।कौंडल ने बताया कि हाईकोर्ट ने अधिकारियों और कर्मचारियों के दायित्वों को भी सुनिश्चित किया है। यदि वे अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करेंगे तो फिर उनके खिलाफ क्रिमिनल केस भी दर्ज किए जा सकेंगे।
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