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लाहौल , 21 जून [ रंजीत लाहौली ] ! नील कंठ महादेव,,अगर मन में श्रद्धा , भक्ति ओर प्रभु पर सच्ची आस्था हो तो राहें भी आसान लगने लगती है। ऐसा ही समुंद्रतल 13124 फुट ऊंचे लाहौल स्थित नीलकंठ झील के दर्शन को गए एक श्रद्धालु में देखा गया। लाहौल घाटी का एक युवा श्रद्धालु निशांत तीन अन्य युवा साथियों के साथ अल्यास से आगे रास्ते में पड़ी बर्फ के ऊपर नंगे पांव चढ़ाई चढ़ नीलकंठ झील के दर्शन को पहुंचा। वहां पहुंच कर इन चार श्रद्धालुओं ने इस पवित्र झील में माइनस तापमान के वीच स्नान भी किया । श्रद्धालुओं के बताए अनुसार अभी भी नीलकंठ झील चारों ओर बर्फ से ढका होने से झील का पानी भी जमी है। अभी वहां रात्रि ठहराव करना भी सुरक्षित नहीं है उस और मौसम खराब होते ही बर्फ का गिरना अभी भी जारी है। लिहाजा, श्रद्धालु कुछ दिन बाद ही उस ओर तीर्थ यात्रा करें तो ठीक रहेगा। उस और मोबाइल नेटवर्क की सुविधा भी नहीं है ऐसे में श्रद्धालु मुसीबत में भी पड़ सकते हैं। नीलकंठ महादेव की तपोस्थली पर स्थित पवित्र नीलकंठ झील के अब श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन इंतजार करना होगा। रविवार को नीलकंठ झील का दर्शन कर लौटे लाहौल के बिहाड़ी गांव के चार युवा श्रद्धालु योगेश, निशांत, अमर जीत और राहुल ने बताया कि नीलकंठ झील की यात्रा अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। योगेश ने बताया कि अल्यास से आगे कई हिस्सों में एक, डेढ़ फुट से अधिक बर्फ है। उस पर अभी झील का पानी भी जमी हुई है और वहां का तापमान सुबह - शाम जमाव विंदु से नीचे चल रहा है ! उनके अनुसार श्रद्धालु अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन बाद ही दर्शन को निकले तो अच्छा रहेगा। तकरीवन आठ माह बाद इन चार श्रद्धालुओं ने सबसे पहले इस साल नीलकंठ झील के दर्शन किए हैं। इस पवित्र झील के दर्शन का उपयुक्त समय तीन - चार माह से अधिक समय तक नहीं रहता है। सात- आठ माह तक यह झील बर्फ से ढकी रहती है। पुलिस अधीक्षक मयंक चौधरी ने कहा कि श्रद्धालु मौसम को भांप कर ही नीलकंठ झील का रुख करें! इस वीच यात्री अल्यास में रात्रि ठहराव के बाद सुबह नीलकंठ झील का दर्शन कर वापिस अपने गंतव्य पहुंच सकते हैं। रात्रि ठहराव के लिए श्रद्धालुओं को अपने साथ टेंट और खाद्य सामग्री साथ ले जाना होगा!।अल्यास में गद्दियों के टापरी भी है श्रद्धालु उसमें भी रात गुजार लेते हैं। सराय आदि की अभी कोई व्यवस्था नहीं है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
लाहौल , 21 जून [ रंजीत लाहौली ] ! नील कंठ महादेव,,अगर मन में श्रद्धा , भक्ति ओर प्रभु पर सच्ची आस्था हो तो राहें भी आसान लगने लगती है। ऐसा ही समुंद्रतल 13124 फुट ऊंचे लाहौल स्थित नीलकंठ झील के दर्शन को गए एक श्रद्धालु में देखा गया। लाहौल घाटी का एक युवा श्रद्धालु निशांत तीन अन्य युवा साथियों के साथ अल्यास से आगे रास्ते में पड़ी बर्फ के ऊपर नंगे पांव चढ़ाई चढ़ नीलकंठ झील के दर्शन को पहुंचा। वहां पहुंच कर इन चार श्रद्धालुओं ने इस पवित्र झील में माइनस तापमान के वीच स्नान भी किया ।
श्रद्धालुओं के बताए अनुसार अभी भी नीलकंठ झील चारों ओर बर्फ से ढका होने से झील का पानी भी जमी है। अभी वहां रात्रि ठहराव करना भी सुरक्षित नहीं है उस और मौसम खराब होते ही बर्फ का गिरना अभी भी जारी है। लिहाजा, श्रद्धालु कुछ दिन बाद ही उस ओर तीर्थ यात्रा करें तो ठीक रहेगा। उस और मोबाइल नेटवर्क की सुविधा भी नहीं है ऐसे में श्रद्धालु मुसीबत में भी पड़ सकते हैं।
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नीलकंठ महादेव की तपोस्थली पर स्थित पवित्र नीलकंठ झील के अब श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन इंतजार करना होगा। रविवार को नीलकंठ झील का दर्शन कर लौटे लाहौल के बिहाड़ी गांव के चार युवा श्रद्धालु योगेश, निशांत, अमर जीत और राहुल ने बताया कि नीलकंठ झील की यात्रा अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। योगेश ने बताया कि अल्यास से आगे कई हिस्सों में एक, डेढ़ फुट से अधिक बर्फ है। उस पर अभी झील का पानी भी जमी हुई है और वहां का तापमान सुबह - शाम जमाव विंदु से नीचे चल रहा है ! उनके अनुसार श्रद्धालु अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन बाद ही दर्शन को निकले तो अच्छा रहेगा। तकरीवन आठ माह बाद इन चार श्रद्धालुओं ने सबसे पहले इस साल नीलकंठ झील के दर्शन किए हैं। इस पवित्र झील के दर्शन का उपयुक्त समय तीन - चार माह से अधिक समय तक नहीं रहता है। सात- आठ माह तक यह झील बर्फ से ढकी रहती है। पुलिस अधीक्षक मयंक चौधरी ने कहा कि श्रद्धालु मौसम को भांप कर ही नीलकंठ झील का रुख करें!
इस वीच यात्री अल्यास में रात्रि ठहराव के बाद सुबह नीलकंठ झील का दर्शन कर वापिस अपने गंतव्य पहुंच सकते हैं। रात्रि ठहराव के लिए श्रद्धालुओं को अपने साथ टेंट और खाद्य सामग्री साथ ले जाना होगा!।अल्यास में गद्दियों के टापरी भी है श्रद्धालु उसमें भी रात गुजार लेते हैं। सराय आदि की अभी कोई व्यवस्था नहीं है।
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