जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमाचल में मच रही तबाही हिमाचल को मिले विशेष आपदा राहत पैकेज
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शिमला , 14 अगस्त [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते एक बार फिर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बादल फटने और फ्लैश फ्लड की घटनाओं ने प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी लगातार आ रही आपदाओं को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि किन्नौर और लाहौल-स्पीति में भी बादल फटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां पहले सिर्फ बर्फ पड़ती थी। यह जलवायु परिवर्तन का असर है। मुख्यमंत्री ने बताया कि कुल्लू, शिमला और किन्नौर में बीते 24 घंटे में बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। इस बढ़ते खतरे को लेकर केंद्र से बातचीत की गई है और वैज्ञानिकों की टीम प्रदेश का अध्ययन कर चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द कोई समाधान निकलेगा। साथ ही, केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग भी उठाई गई है। सीएम ने कहा कि 2023 में आपदा से दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। विधानसभा में इस मुद्दे पर प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन भाजपा ने चर्चा में भाग नहीं लिया। अब सराज में आपदा आने के बाद भाजपा नेता दिल्ली जा रहे हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन अब तक केंद्र से कोई राहत नहीं मिली है। 76 वा राज्य स्तरीय वन महोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल वनों के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है। प्रदेश में “राजीव गांधी वन संवर्धन योजना” शुरू की गई है, जिसके तहत महिला मंडल, युवक मंडल और स्वयंसेवी संस्थाओं को एक हेक्टेयर भूमि पौधारोपण के लिए दी जाएगी। पांच साल तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी। इसके लिए उन्हें 1 लाख 20 हजार रुपये और पौधों के जीवित रहने के आधार पर पांच वर्षों तक वार्षिक भुगतान किया जाएगा। सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में व्यवस्था परिवर्तन के चलते इस बार विधानसभा का लंबा मानसून सत्र रखा गया है, ताकि विपक्ष साक्ष्यों के साथ सार्थक चर्चा कर सके। सिर्फ आरोप लगाना मकसद नहीं होना चाहिए। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
शिमला , 14 अगस्त [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते एक बार फिर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बादल फटने और फ्लैश फ्लड की घटनाओं ने प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी लगातार आ रही आपदाओं को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि किन्नौर और लाहौल-स्पीति में भी बादल फटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां पहले सिर्फ बर्फ पड़ती थी। यह जलवायु परिवर्तन का असर है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कुल्लू, शिमला और किन्नौर में बीते 24 घंटे में बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। इस बढ़ते खतरे को लेकर केंद्र से बातचीत की गई है और वैज्ञानिकों की टीम प्रदेश का अध्ययन कर चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द कोई समाधान निकलेगा। साथ ही, केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग भी उठाई गई है।
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सीएम ने कहा कि 2023 में आपदा से दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। विधानसभा में इस मुद्दे पर प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन भाजपा ने चर्चा में भाग नहीं लिया। अब सराज में आपदा आने के बाद भाजपा नेता दिल्ली जा रहे हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन अब तक केंद्र से कोई राहत नहीं मिली है।
76 वा राज्य स्तरीय वन महोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल वनों के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है। प्रदेश में “राजीव गांधी वन संवर्धन योजना” शुरू की गई है, जिसके तहत महिला मंडल, युवक मंडल और स्वयंसेवी संस्थाओं को एक हेक्टेयर भूमि पौधारोपण के लिए दी जाएगी। पांच साल तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी। इसके लिए उन्हें 1 लाख 20 हजार रुपये और पौधों के जीवित रहने के आधार पर पांच वर्षों तक वार्षिक भुगतान किया जाएगा।
सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में व्यवस्था परिवर्तन के चलते इस बार विधानसभा का लंबा मानसून सत्र रखा गया है, ताकि विपक्ष साक्ष्यों के साथ सार्थक चर्चा कर सके। सिर्फ आरोप लगाना मकसद नहीं होना चाहिए। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
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