
वैश्विक शिक्षा पद्धतियों के समावेश से शिक्षा क्षेत्र को किया जा रहा सशक्त
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चम्बा , 18 मई [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश शिक्षा क्षेत्र अभूतपूर्व बदलाव के दौर से गुजर रहा है। शिक्षा में समावेशिता, अकादमिक उत्कृष्टता और संरचनात्मक सुधारों के दृष्टिगत अनेेक क्रांतिकारी बदलाव लाकर इस क्षेत्र को पुनः परिभाषित किया जा रहा है। वर्तमान प्रदेश सरकार सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है ताकि हर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य का सपना साकार हो। पिछले अढ़ाई वर्षों में सरकार ने छात्रवृत्ति कार्यक्रमों को व्यापक विस्तार दिया है। विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से 87,000 से अधिक विद्यार्थियों को लगभग 92 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। यह योजनाएं सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों के गुणात्मक शिक्षा के सपने को साकार करने में मील पत्थर साबित हो रही हैं। राज्य में इन कल्याणकारी योजनाओं के तहत हजारों विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति से लाभान्वित किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत उच्च शिक्षा और वंचित वर्गों के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है। इसका लाभ उठाकर बच्चे सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा और आरआईएमसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में चयनित होने में सफल हुए हैं। पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति के 22,500 से अधिक विद्यार्थियों को 4,049.70 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांग विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति का लाभ प्रदान किया जा रहा है ताकि समावेशी शिक्षा के लक्ष्य हासिल किए जा सकें। सरकार द्वारा उठाए गए ठोस प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। जनवरी, 2025 में जारी शिक्षा की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश पढ़ने और सीखने के स्तर की राष्ट्रीय रैंकिंग में 21वें स्थान से शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में हिमाचल के विद्यार्थियों को पढ़ने के कौशल के लिए देश भर में शीर्ष पर रखा गया है। प्रदेश में किए गए जा रहे सर्वेक्षण भी सीखने के परिणामों में उल्लेखनीय सुधार को प्रदर्शित कर रहे हैं। केंद्र सरकार की पीएमश्री योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में हिमाचल, देश भर में शीर्ष स्थान पर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा योजना के तहत उपलब्ध धनराशि का शत प्रतिशत उपयोग भी सुनिश्चित किया गया है। शिक्षा क्षेत्र में की जा रही अभिनव पहलों की इस श्रृंखला के तहत प्रदेश सरकार ने पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा उपलब्ध करवाने के वायदे को पूरा किया है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं, इन स्कूलों के माध्यम से बच्चों को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के ध्येय से पूर्ण किया जाएगा। धन की कमी से प्रदेश की युवा प्रतिभा उच्च शिक्षा से वंचित न रह जाए यह सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है। इस योजना को विस्तार प्रदान करते हुए अब देश के बाहर शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक युवाओं को भी इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा। विधवा, निराश्रित और तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों के साथ-साथ दिव्यांग माता-पिता के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना शुरू की गई है। बच्चों और शिक्षकों को वैश्विक शिक्षा पद्धति से अवगत करवाने के लिए सरकार ने सिंगापुर, कंबोडिया और शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य केरल और अन्य राज्यों में मेधावी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक्सपोजर विजिट की सुविधा प्रदान की जा रही है ताकि उनका ज्ञानवर्धन हो सके। सरकार के इन प्रयासों को केन्द्र सरकार द्वारा भी सराहा गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार के लिए यूनेस्को के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरित किया है। इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति को आधुनिक बनाना, मूल्यांकन की पद्धति में सुधार करना औैर विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल में निपुण बनाना है। नीति, निवेश, नवाचार और समावेश के समग्र मिश्रण से, राज्य सरकार ने शिक्षा क्षेत्र का कायाकल्प किया है। सपनों को पूरा करने वाली छात्रवृत्तियों से लेकर शैक्षणिक अधोसंरचना में सुधार के साथ-साथ प्रदेश सरकार ने यह साबित किया है कि गुणात्मक शिक्षा केवल विशेष वर्गों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह हर एक बच्चे का अधिकार है। बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान कर सरकार न्यायपूर्ण, प्रबुद्ध और समृद्ध समाज की नींव रख रही है।
चम्बा , 18 मई [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश शिक्षा क्षेत्र अभूतपूर्व बदलाव के दौर से गुजर रहा है। शिक्षा में समावेशिता, अकादमिक उत्कृष्टता और संरचनात्मक सुधारों के दृष्टिगत अनेेक क्रांतिकारी बदलाव लाकर इस क्षेत्र को पुनः परिभाषित किया जा रहा है। वर्तमान प्रदेश सरकार सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है ताकि हर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य का सपना साकार हो।
पिछले अढ़ाई वर्षों में सरकार ने छात्रवृत्ति कार्यक्रमों को व्यापक विस्तार दिया है। विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से 87,000 से अधिक विद्यार्थियों को लगभग 92 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। यह योजनाएं सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों के गुणात्मक शिक्षा के सपने को साकार करने में मील पत्थर साबित हो रही हैं।
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राज्य में इन कल्याणकारी योजनाओं के तहत हजारों विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति से लाभान्वित किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत उच्च शिक्षा और वंचित वर्गों के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है। इसका लाभ उठाकर बच्चे सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा और आरआईएमसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में चयनित होने में सफल हुए हैं।
पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति के 22,500 से अधिक विद्यार्थियों को 4,049.70 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांग विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति का लाभ प्रदान किया जा रहा है ताकि समावेशी शिक्षा के लक्ष्य हासिल किए जा सकें।
सरकार द्वारा उठाए गए ठोस प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। जनवरी, 2025 में जारी शिक्षा की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश पढ़ने और सीखने के स्तर की राष्ट्रीय रैंकिंग में 21वें स्थान से शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में हिमाचल के विद्यार्थियों को पढ़ने के कौशल के लिए देश भर में शीर्ष पर रखा गया है।
प्रदेश में किए गए जा रहे सर्वेक्षण भी सीखने के परिणामों में उल्लेखनीय सुधार को प्रदर्शित कर रहे हैं। केंद्र सरकार की पीएमश्री योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में हिमाचल, देश भर में शीर्ष स्थान पर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा योजना के तहत उपलब्ध धनराशि का शत प्रतिशत उपयोग भी सुनिश्चित किया गया है।
शिक्षा क्षेत्र में की जा रही अभिनव पहलों की इस श्रृंखला के तहत प्रदेश सरकार ने पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा उपलब्ध करवाने के वायदे को पूरा किया है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं, इन स्कूलों के माध्यम से बच्चों को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के ध्येय से पूर्ण किया जाएगा।
धन की कमी से प्रदेश की युवा प्रतिभा उच्च शिक्षा से वंचित न रह जाए यह सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है। इस योजना को विस्तार प्रदान करते हुए अब देश के बाहर शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक युवाओं को भी इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा। विधवा, निराश्रित और तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों के साथ-साथ दिव्यांग माता-पिता के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना शुरू की गई है।
बच्चों और शिक्षकों को वैश्विक शिक्षा पद्धति से अवगत करवाने के लिए सरकार ने सिंगापुर, कंबोडिया और शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य केरल और अन्य राज्यों में मेधावी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक्सपोजर विजिट की सुविधा प्रदान की जा रही है ताकि उनका ज्ञानवर्धन हो सके। सरकार के इन प्रयासों को केन्द्र सरकार द्वारा भी सराहा गया है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार के लिए यूनेस्को के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरित किया है। इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति को आधुनिक बनाना, मूल्यांकन की पद्धति में सुधार करना औैर विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल में निपुण बनाना है।
नीति, निवेश, नवाचार और समावेश के समग्र मिश्रण से, राज्य सरकार ने शिक्षा क्षेत्र का कायाकल्प किया है। सपनों को पूरा करने वाली छात्रवृत्तियों से लेकर शैक्षणिक अधोसंरचना में सुधार के साथ-साथ प्रदेश सरकार ने यह साबित किया है कि गुणात्मक शिक्षा केवल विशेष वर्गों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह हर एक बच्चे का अधिकार है। बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान कर सरकार न्यायपूर्ण, प्रबुद्ध और समृद्ध समाज की नींव रख रही है।
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