बेरीकेट्स तोड़े, सड़क जाम, सरकार से बेदखली पर लगाम लगाने की मांग।
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शिमला , 29 जुलाई [ विशाल सूद ] ! हाई कोर्ट के आदेशों पर प्रदेश भर में सरकारी जमीनों से बेदखली और सेब के पेड़ों के कटान के विरोध में आज हिमाचल किसान सभा व सेब उत्पादक संघ की अगुवाई में किसानों व बागवानों ने सचिवालय का घेराव किया और सरकार से बेदखली व घरों की तालाबंदी पर रोक लगाने की मांग की।किसान सभा व सेब उत्पादक संघ के बैनर तले प्रदेश के हजारों किसानों ने टाॅलैंड से सचिवालय तक रैली निकाली और सरकार के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला।इस दौरान पुलिस और किसानों बागवानों में हल्की धक्कामुक्की हुई और बैरिकेड्स भी टूटे और सड़क जाम रही। किसान नेता व पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, यह सरकार अपंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दो मामलों में बेदखली को गैरकानूनी बताया, लेकिन न कोर्ट ने पूरी तरह रोक लगाई और न ही सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया। सिंघा ने चेतावनी दी कि, सरकार के जेलों में जगह कम पड़ जाएगी। 1980 के बाद आई तमाम सरकारें अपने कर्तव्यों में विफल रही हैं। इन्होंने दो इंच भूमि नहीं छोड़ी, बल्कि सारी भूमि को 1952 की अधिसूचना के तहत वन घोषित कर दिया गया। हाई कोर्ट के आदेश की आड़ में किसानों को उजाड़ने का काम हो रहा है जो बर्दाश्त नहीं होगा। किसान सरकार से भूमिहीन किसानों को 5 बीघा जमीन का मालिकाना हक देने की मांग कर रहे हैं। सरकार हाईकोर्ट के आदेशों पर जमीनों से हो रही किसानों की बेदखली पर रोक लगाने का काम करें।
शिमला , 29 जुलाई [ विशाल सूद ] ! हाई कोर्ट के आदेशों पर प्रदेश भर में सरकारी जमीनों से बेदखली और सेब के पेड़ों के कटान के विरोध में आज हिमाचल किसान सभा व सेब उत्पादक संघ की अगुवाई में किसानों व बागवानों ने सचिवालय का घेराव किया और सरकार से बेदखली व घरों की तालाबंदी पर रोक लगाने की मांग की।किसान सभा व सेब उत्पादक संघ के बैनर तले प्रदेश के हजारों किसानों ने टाॅलैंड से सचिवालय तक रैली निकाली और सरकार के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला।इस दौरान पुलिस और किसानों बागवानों में हल्की धक्कामुक्की हुई और बैरिकेड्स भी टूटे और सड़क जाम रही।
किसान नेता व पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, यह सरकार अपंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दो मामलों में बेदखली को गैरकानूनी बताया, लेकिन न कोर्ट ने पूरी तरह रोक लगाई और न ही सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया। सिंघा ने चेतावनी दी कि, सरकार के जेलों में जगह कम पड़ जाएगी। 1980 के बाद आई तमाम सरकारें अपने कर्तव्यों में विफल रही हैं।
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इन्होंने दो इंच भूमि नहीं छोड़ी, बल्कि सारी भूमि को 1952 की अधिसूचना के तहत वन घोषित कर दिया गया। हाई कोर्ट के आदेश की आड़ में किसानों को उजाड़ने का काम हो रहा है जो बर्दाश्त नहीं होगा। किसान सरकार से भूमिहीन किसानों को 5 बीघा जमीन का मालिकाना हक देने की मांग कर रहे हैं। सरकार हाईकोर्ट के आदेशों पर जमीनों से हो रही किसानों की बेदखली पर रोक लगाने का काम करें।
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