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शिमला , 25 जून ! शिमला. हिमाचल प्रदेश की बिगडती वित्तीय हालातों पर जब सदन में विपक्ष ने सवाल खड़े किये तो, पूरा सदन शांत हो गया. ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे सभी को सांप सूंघ गया हों. यह मौका था 12 जून को आयोजित हिमाचल प्रदेश के पहले विधानसभा बाल सत्र का जिसमें राज्य के सभी बड़े नेताओं ने शिरकत की थी. यह सभी राज्य के ऐतिहासिक बाल सत्र को देखने के लिए शिमला स्थित विधानसभा भवन में मौजूद थे. बाल सत्र में प्रश्नकाल की कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा था. ऐसे में प्रश्न संख्या 9 में विपक्ष की सदस्य और बिलासपुर से चयनित बाल विधायक शालिनी ठाकुर ने प्रदेश पर चल रहे 75,000 करोड़ के क़र्ज़ को खत्म करने हेतु क्या कदम उठाये जा रहे है प्रश्न पूछा, इसी के खंड 2 और 3 में ऑ.पी.एस बहाली से अधिक वित्तीय बोझ एवं सरकारी कर्मचारियों द्वारा व्यय अनावश्यक राशि के रोकथाम हेतु सवाल किया? जिससे मौजूद सत्ता पक्ष के नेता असहज हो गए. परन्तु बाल वित्तीय मंत्री एवं पोंटा साहिब से बाल विधायक फैजान के उत्तरों ने उन्हें थोड़ी राहत दी, उन्होंने बाल स्पीकर लविश नेगी को संबोधित करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार राज्य पर चल रहे 75,000 करोड़ के क़र्ज़ को ख़त्म करने हेतु, अपना पूरा प्रयास कर रही है. पिछली सरकारों द्वारा छोड़े गए वित्तीय भोज को कम करने हेतु हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे में केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर के आये है. 2024 में ख़त्म हो रहे शानन पॉवर प्रोजेक्ट की लीज, जो अभी पंजाब सरकार के हाथों में है. प्रदेश सरकार इसे हिमाचल प्रदेश में लाने का प्रयास भी कर रही है. इसी के साथ खंड 2 एवं 3 का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा ओ.पी.एस लागु करने की वजह प्रदेश के विकास के लिए दिन रात कार्य कर रहे लाखों कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करना है वही वित्त एक गंभीर मंत्रालय है इसके सही प्रबंधन के माध्यम से ही प्रदेश विकास की ऊंचाइयों को छूता है. ऐसे में विभाग द्वारा प्रदेश सरकार के सभी कर्मचारियों द्वारा व्यय हर एक राशि का लेखा-जोखा रखा जाता है, और दावा किया की प्रदेश में सरकार का एक भी पैसा अनावश्यक रूप से खर्च नहीं होता है. डिजिटल बाल मेला की को-फाउंडर प्रिय शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट एक गंभीर समस्या है. इससे बाल प्रतिनिधि भी अछूते नहीं है, ऐसे में उनके द्वारा यह सवाल खड़ा करना सरकार को आश्वासन देना है की राज्य की वित्तीय हालातों के सुधार हेतु भावी पीढ़ी भी विचार रखती है और प्रदेश में चल रही समस्याओं से मुखातिब है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी शामिल हुए थे, जिन्होंने इस "बाल सत्र" की सराहना की। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 25 जून ! शिमला. हिमाचल प्रदेश की बिगडती वित्तीय हालातों पर जब सदन में विपक्ष ने सवाल खड़े किये तो, पूरा सदन शांत हो गया. ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे सभी को सांप सूंघ गया हों. यह मौका था 12 जून को आयोजित हिमाचल प्रदेश के पहले विधानसभा बाल सत्र का जिसमें राज्य के सभी बड़े नेताओं ने शिरकत की थी. यह सभी राज्य के ऐतिहासिक बाल सत्र को देखने के लिए शिमला स्थित विधानसभा भवन में मौजूद थे. बाल सत्र में प्रश्नकाल की कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा था. ऐसे में प्रश्न संख्या 9 में विपक्ष की सदस्य और बिलासपुर से चयनित बाल विधायक शालिनी ठाकुर ने प्रदेश पर चल रहे 75,000 करोड़ के क़र्ज़ को खत्म करने हेतु क्या कदम उठाये जा रहे है प्रश्न पूछा, इसी के खंड 2 और 3 में ऑ.पी.एस बहाली से अधिक वित्तीय बोझ एवं सरकारी कर्मचारियों द्वारा व्यय अनावश्यक राशि के रोकथाम हेतु सवाल किया? जिससे मौजूद सत्ता पक्ष के नेता असहज हो गए. परन्तु बाल वित्तीय मंत्री एवं पोंटा साहिब से बाल विधायक फैजान के उत्तरों ने उन्हें थोड़ी राहत दी, उन्होंने बाल स्पीकर लविश नेगी को संबोधित करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार राज्य पर चल रहे 75,000 करोड़ के क़र्ज़ को ख़त्म करने हेतु, अपना पूरा प्रयास कर रही है. पिछली सरकारों द्वारा छोड़े गए वित्तीय भोज को कम करने हेतु हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे में केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर के आये है. 2024 में ख़त्म हो रहे शानन पॉवर प्रोजेक्ट की लीज, जो अभी पंजाब सरकार के हाथों में है. प्रदेश सरकार इसे हिमाचल प्रदेश में लाने का प्रयास भी कर रही है.
इसी के साथ खंड 2 एवं 3 का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा ओ.पी.एस लागु करने की वजह प्रदेश के विकास के लिए दिन रात कार्य कर रहे लाखों कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करना है वही वित्त एक गंभीर मंत्रालय है इसके सही प्रबंधन के माध्यम से ही प्रदेश विकास की ऊंचाइयों को छूता है. ऐसे में विभाग द्वारा प्रदेश सरकार के सभी कर्मचारियों द्वारा व्यय हर एक राशि का लेखा-जोखा रखा जाता है, और दावा किया की प्रदेश में सरकार का एक भी पैसा अनावश्यक रूप से खर्च नहीं होता है. डिजिटल बाल मेला की को-फाउंडर प्रिय शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट एक गंभीर समस्या है. इससे बाल प्रतिनिधि भी अछूते नहीं है, ऐसे में उनके द्वारा यह सवाल खड़ा करना सरकार को आश्वासन देना है की राज्य की वित्तीय हालातों के सुधार हेतु भावी पीढ़ी भी विचार रखती है और प्रदेश में चल रही समस्याओं से मुखातिब है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी शामिल हुए थे, जिन्होंने इस "बाल सत्र" की सराहना की।
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