
तुर्की और अजरबैजान से आयात पर रोक लगाने की मांग, मनाली-लेह रेललाइन के सर्वे पर जताई राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता
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शिमला , 19 मई [ विशाल सूद ] ! कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं ठियोग विधानसभा क्षेत्र से विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने आज शिमला में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए तुर्की और अजरबैजान से हो रहे सेब, चेरी और अन्य वस्तुओं के आयात पर गंभीर आपत्ति दर्ज की। उन्होंने इस मुद्दे को केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, अस्मिता और आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ बताया। राठौर ने हिमाचल प्रदेश के स्थानीय मीडिया का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया, जिसने तुर्की से हो रहे सेब और चेरी के आयात के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि आप सबकी सजगता का ही परिणाम है कि आज यह विषय राष्ट्रीय मीडिया और व्यापारिक संगठनों के एजेंडे में शामिल हो चुका है। उन्होंने वर्ष 2023 में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप का जिक्र करते हुए बताया कि भारत सरकार ने "ऑपरेशन दोस्त" के तहत सबसे पहले मानवीय सहायता पहुंचाई थी। इसके बावजूद, जब भारत में पुलवामा जैसे आतंकी हमले हुए या जब भारतीय सेना ने पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, तब तुर्की और अजरबैजान ने न केवल चुप्पी साधी, बल्कि पाकिस्तान के समर्थन में ड्रोन भेजने जैसी हरकतें भी कीं। राठौर ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इर्दोग़ान की उस टिप्पणी पर भी गहरा आक्रोश जताया जिसमें उन्होंने संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के संयम की सराहना करते हुए सैन्य सहायता जारी रखने की बात कही थी। राठौर ने कहा कि जब यह मुद्दा देशभर में उठा, तब कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) की एक आपात बैठक में तुर्की और अजरबैजान से वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल और देशभर के व्यापारियों को इस राष्ट्रहितकारी कदम के लिए धन्यवाद देते हुए स्पष्ट किया कि व्यापार का लाभ राष्ट्रहित से बड़ा नहीं हो सकता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि व्यापार और शत्रुता एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने बताया कि पुणे, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में व्यापारियों ने तुर्की से आयात बंद कर दिया है और यह एक राष्ट्रवादी एवं जागरूक पहल है। राठौर ने केंद्र सरकार और रेलवे मंत्रालय से मांग की कि मनाली-लेह रेललाइन, जो एक रणनीतिक और ड्रीम प्रोजेक्ट है, उसका सर्वे तुर्की की कंपनी द्वारा किया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत घातक है। उन्होंने कहा कि यह सेटेलाइट आधारित सर्वेक्षण है और इससे संवेदनशील भौगोलिक जानकारियां दुश्मन देशों के हाथ लग सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि लेह चीन की सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है। ऐसे में किसी विरोधी देश की कंपनी को इस इलाके का डेटा सौंपना आत्मघाती कदम होगा। राठौर ने यह भी आरोप लगाया कि तुर्की और कुछ अन्य देशों से जो सेब आयात होता है, वहां उसका मूल्य जानबूझकर कम आंका जाता है और उसका आंशिक भुगतान बैंकिंग चैनलों से होता है, जबकि बाकी राशि हवाला नेटवर्क के माध्यम से भेजी जाती है। उन्होंने इस प्रकार की लेन-देन व्यवस्था को देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्थाएं आतंकवाद को पोषण दे सकती हैं, जिस पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। उन्होंने भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम आयात मूल्य ₹50 को भी अपर्याप्त बताते हुए इसे ₹100 करने की मांग की, ताकि सस्ते आयात से हिमाचल के स्थानीय किसानों और बागवानों को हो रहा नुकसान रोका जा सके। राठौर ने अमेरिका के राष्ट्रपति के उस बयान पर भी अविश्वास जताया जिसमें उन्होंने भारत से शून्य टैरिफ व्यापार की बात कही थी। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपने आर्थिक हितों को दांव पर नहीं लगाता और भारत सरकार को चाहिए कि वह हिमाचल के किसानों और बागवानों के हितों की प्राथमिकता से रक्षा करे। प्रेस वार्ता के अंत में राठौर ने हिमाचल प्रदेश के सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे संसद में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि हिमाचल के किसानों, व्यापारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की उपेक्षा न हो। कुलदीप सिंह राठौर का यह बयान केवल एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक राष्ट्रवादी चेतावनी है, जो व्यापार, कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को जोड़ता है। यह वक्तव्य न केवल आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार की मांग करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अब हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर और सतर्क रहना चाहता है।
शिमला , 19 मई [ विशाल सूद ] ! कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं ठियोग विधानसभा क्षेत्र से विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने आज शिमला में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए तुर्की और अजरबैजान से हो रहे सेब, चेरी और अन्य वस्तुओं के आयात पर गंभीर आपत्ति दर्ज की। उन्होंने इस मुद्दे को केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, अस्मिता और आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ बताया।
राठौर ने हिमाचल प्रदेश के स्थानीय मीडिया का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया, जिसने तुर्की से हो रहे सेब और चेरी के आयात के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि आप सबकी सजगता का ही परिणाम है कि आज यह विषय राष्ट्रीय मीडिया और व्यापारिक संगठनों के एजेंडे में शामिल हो चुका है।
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उन्होंने वर्ष 2023 में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप का जिक्र करते हुए बताया कि भारत सरकार ने "ऑपरेशन दोस्त" के तहत सबसे पहले मानवीय सहायता पहुंचाई थी। इसके बावजूद, जब भारत में पुलवामा जैसे आतंकी हमले हुए या जब भारतीय सेना ने पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, तब तुर्की और अजरबैजान ने न केवल चुप्पी साधी, बल्कि पाकिस्तान के समर्थन में ड्रोन भेजने जैसी हरकतें भी कीं। राठौर ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इर्दोग़ान की उस टिप्पणी पर भी गहरा आक्रोश जताया जिसमें उन्होंने संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के संयम की सराहना करते हुए सैन्य सहायता जारी रखने की बात कही थी।
राठौर ने कहा कि जब यह मुद्दा देशभर में उठा, तब कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) की एक आपात बैठक में तुर्की और अजरबैजान से वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल और देशभर के व्यापारियों को इस राष्ट्रहितकारी कदम के लिए धन्यवाद देते हुए स्पष्ट किया कि व्यापार का लाभ राष्ट्रहित से बड़ा नहीं हो सकता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि व्यापार और शत्रुता एक साथ नहीं चल सकते।
उन्होंने बताया कि पुणे, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में व्यापारियों ने तुर्की से आयात बंद कर दिया है और यह एक राष्ट्रवादी एवं जागरूक पहल है। राठौर ने केंद्र सरकार और रेलवे मंत्रालय से मांग की कि मनाली-लेह रेललाइन, जो एक रणनीतिक और ड्रीम प्रोजेक्ट है, उसका सर्वे तुर्की की कंपनी द्वारा किया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत घातक है।
उन्होंने कहा कि यह सेटेलाइट आधारित सर्वेक्षण है और इससे संवेदनशील भौगोलिक जानकारियां दुश्मन देशों के हाथ लग सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि लेह चीन की सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है। ऐसे में किसी विरोधी देश की कंपनी को इस इलाके का डेटा सौंपना आत्मघाती कदम होगा।
राठौर ने यह भी आरोप लगाया कि तुर्की और कुछ अन्य देशों से जो सेब आयात होता है, वहां उसका मूल्य जानबूझकर कम आंका जाता है और उसका आंशिक भुगतान बैंकिंग चैनलों से होता है, जबकि बाकी राशि हवाला नेटवर्क के माध्यम से भेजी जाती है। उन्होंने इस प्रकार की लेन-देन व्यवस्था को देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्थाएं आतंकवाद को पोषण दे सकती हैं, जिस पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है।
उन्होंने भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम आयात मूल्य ₹50 को भी अपर्याप्त बताते हुए इसे ₹100 करने की मांग की, ताकि सस्ते आयात से हिमाचल के स्थानीय किसानों और बागवानों को हो रहा नुकसान रोका जा सके।
राठौर ने अमेरिका के राष्ट्रपति के उस बयान पर भी अविश्वास जताया जिसमें उन्होंने भारत से शून्य टैरिफ व्यापार की बात कही थी। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपने आर्थिक हितों को दांव पर नहीं लगाता और भारत सरकार को चाहिए कि वह हिमाचल के किसानों और बागवानों के हितों की प्राथमिकता से रक्षा करे।
प्रेस वार्ता के अंत में राठौर ने हिमाचल प्रदेश के सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे संसद में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि हिमाचल के किसानों, व्यापारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की उपेक्षा न हो।
कुलदीप सिंह राठौर का यह बयान केवल एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक राष्ट्रवादी चेतावनी है, जो व्यापार, कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को जोड़ता है। यह वक्तव्य न केवल आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार की मांग करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अब हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर और सतर्क रहना चाहता है।
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